अगले महीने चुनाव वाले राज्य राजस्थान में गंभीर बिजली संकट खड़ा हो सकता है. छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन रुकने से राज्य में कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. वहीं दूरदराज से कोयला खरीदने पर बिजली की लागत बढ़ रही है. ऐसे में या तो बिजली की आपूर्ति कम होगी या उपभोक्ताओं को बिजली के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी.
छत्तीसगढ़ के परसा पूर्व और कांटा बासन ब्लॉक में उत्पादन रुकने से चुनावी राज्य राजस्थान में कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है. कांग्रेस शासित दोनों राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के बीच इस मुद्दे पर पिछले दिनों कई बैठकें हुई हैं.
छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ टन सालाना क्षमता की कोयला खदान का स्वामित्व राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के पास है.
अधिकारी ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले साल फरवरी में चरण-दो के परिचालन के लिए 1,898.32 हेक्टेयर के गैर-वानिकी उपयोग की मंजूरी दी थी. वित्त वर्ष 2023-24 तक खनन कार्यों को जारी रखने के लिए 141 हेक्टेयर वन भूमि को सौंपने और पेड़ों की कटाई की जरूरत है.
अधिकारी ने कहा कि 141 हेक्टेयर वन भूमि में से 43.63 हेक्टेयर पर पेड़ों की कटाई का काम पूरा हो चुका है और लगभग 91.21 हेक्टेयर वन भूमि को कोयला उत्पादन जारी रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सौंपा जाना बाकी है.
अधिकारी ने कहा कि यदि पेड़ों की कटाई तुरंत नहीं की गई, तो वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 90 लाख टन कोयला उत्पादन का नुकसान हो सकता है. राजस्थान सरकार और केंद्र द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार से इस बारे में कई बार अनुरोध किया गया है, लेकिन उसका वांछित नतीजा नहीं मिला है.
कोयला उत्पादन बंद हो गया है, इसलिए राजस्थान को कोयले की आपूर्ति बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, केंद्र ने एक विशेष उपाय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि. के जरिये अतिरिक्त कोयला आवंटित किया है. अधिकारी ने बताया कि इस कोयले को कोल इंडिया की इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और अन्य दूरदराज के स्थानों से लाना पड़ रहा है जिससे राजस्थान के लिए लागत ऊंची बैठ रही है.