आवासीय सोसायटी में रहने वाले लोगों से अगर रियल एस्टेट कंपनियां और रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) बिजली की निर्धारित दरों से ऊंचा शुल्क वसूलते हैं, तो उन्हें बिजली बिल पर 18 फीसद की दर से माल एवं सेवा कर (GST) देना होगा. इस संबंध में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है.
इसमें रियल एस्टेट कंपनियों, शॉपिंग मॉल एवं हवाई अड्डा परिचालकों द्वारा अपने परिसर में मौजूद इकाइयों एवं किरायेदारों से वसूले जाने वाले बिजली बिल पर जीएसटी लगाने को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है. इस स्पष्टीकरण के मुताबिक, जहां बिजली की आपूर्ति रियल एस्टेट मालिक, आरडब्ल्यूए और रियल एस्टेट डेवलपर ‘विशुद्ध एजेंट’ के तौर पर कर रहे हों, वहां पर उनकी आपूर्ति के मूल्य का हिस्सा नहीं होगी. इस तरह उस बिजली बिल पर जीएसटी नहीं लगेगा.
हालांकि, किराये पर दी गई किसी अचल संपत्ति या परिसर के रखरखाव के लिए बिजली आपूर्ति किए जाने पर उसे समग्र आपूर्ति माना जाएगा और उसी के हिसाब से उसपर कर लगेगा. CBIC ने कहा, ‘‘अगर बिजली का बिल अलग से दिया गया हो तो भी वह आपूर्ति एक समग्र आपूर्ति होगी, लिहाजा प्रमुख आपूर्ति की दर यानी अचल संपत्ति के किराये और/या परिसर के रखरखाव पर GST दर लगेगी.’’
MMRG & Associatesमें वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि CBIC ने किराये पर दी गई अचल संपत्ति या परिसर के रखरखाव के लिए होने वाली बिजली आपूर्ति पर लगने वाले कर को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है. मोहन ने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में स्थिति को समग्र आपूर्ति माना जाएगा और उसपर 18 फीसद की दर से कर लगेगा. यह भी ध्यान रखना होगा कि अलग से बिजली बिल जारी होने पर कर देनदारी खत्म नहीं होगी.’’