दिल्ली पुलिस ने “अकाउंट्स-फॉर-हायर” रैकेट में शामिल एक सिंडिकेट का भंडा फोड़ दिया है. यह अवैध लाभ को वैध बनाने के लिए साइबर अपराधियों को बैंक अकाउंट पट्टे पर देता था. सिंडिकेट को हर धोखाधड़ी वाली जमा राशि के लिए 10 फीसद कमीशन मिलता था. यह सिंडिकेट अकाउंट फॉर हायर का रैकेट चलाता था, जो साइबर घोटालेबाजों को अपराध की कमाई को ठिकाने लगाने के लिए बैंक खाते किराए पर देता था. फ्रॉड का पता न चले इसलिए घोटालेबाज शुरू में एक ऑनलाइन वॉलेट के माध्यम से पैसा भेजते थे.
महिला की शिकायत पर भंडाफोड़
अधिकारियों का कहना है कि साइबर अपराधी आमतौर पर जाली दस्तावेजों या असंबंधित लोगों के नाम पर खोले गए बैंक खातों का दुरुपयोग करते थे. गिरफ्तार किए गए दोनों लोग बीकॉम ग्रेजुएट मुकुल शर्मा (23) हैं; और ललित कुमार (24), बीटेक स्नातक. दोनों यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. डीसीपी सैन ने कहा कि लगभग 42,000 रुपये की ठगी की शिकार हुई एक महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू की गई थी.
कैसे दिया गया फ्रॉड को अंजाम?
यह घटना 20 मार्च को हुई थी जब महिला को उसके दो बैंक खातों से पेसै कटने से जुड़े मैसेज मिले. पीड़िता के बयान के आधार पर साइबर थाने में मामला दर्ज कर जांच की गयी. जांच के दौरान, तकनीकी निगरानी रखी गई और बैंक खाते से धन के लेन-देन का विश्लेषण किया गया. यह पता चला कि गबन की गई धनराशि एक ‘खाता बुक ऐप’ में जमा की गई थी, जहां से उन्हें बुलंदशहर के एक बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया गया. जब संदिग्ध खाते का विश्लेषण किया गया, तो टीमों ने कम समय के अंदर कई संदिग्ध लेनदेन की पहचान की.
बिहार से चल रहा था फ्रॉड
बाद में खाता चलाने वाले के स्थान का पता लगाया गया और शर्मा को 5 जनवरी को एक अंतरराज्यीय छापेमारी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. वह पुलिस को अपने सहयोगी ललित कुमार तक ले गया. पूछताछ के दौरान, शर्मा ने खुलासा किया कि नौकरी की तलाश के दौरान वह कुमार के संपर्क में आया. कुमार बिहार के ऑनलाइन धोखेबाजों से जुड़ा था, जो 10% कमीशन पर अपने गलत तरीके से कमाए गए धन को वैध बनाने के लिए बैंक खाते किराए पर लेना चाहते थे.
कमीशन पर कर रहे थे काम
शर्मा ने एक खाता खोला और कुमार के साथ डिटेल्स शेयर की. कुछ ही समय में शर्मा के खाते में 50 लाख रुपये से अधिक जमा हो गए, जिससे उन्हें 5% कमीशन मिला, जबकि ललित ने बचा 5% ले लिया. उसने 10% कमीशन लेने के लिए इन बैंक खातों में धोखाधड़ी के पैसे ट्रांसफर किए. बची धनराशि को धोखेबाजों द्वारा उपलब्ध कराए गए खातों में भेज दिया गया. पुलिस अब सिंडिकेट के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है.