आप जिस कार में बैठकर हाइवे पर हवा से बातें करते हैं, क्या वह सिर्फ लोहे का डिब्बा है? क्या जिन भारी भरकम एसयूवी को देखकर हम मजबूत बोलते हैं वह दुर्घटना के वक्त भी आपको सुरक्षित रखेगी? अगर आप भी इन बातों को लेकर कन्फ्यूज हैं तो आप अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा किए गए क्रेश टेस्ट के नतीजे जान लीजिए. भारत की कई प्रमुख कारें क्रैश टेस्ट में फेल पाई गई हैं. दुनिया भर में कारों की पैसेंजर सेफ्टी की जांच करने वाले ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम यानि GNCAP के ताजा टेस्ट रिजल्ट में कुछ कार मॉडलों में गंभीर सुरक्षा कमियां पाई गई हैं. अगर आप भी नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए जानना जरूरी है कि आपके लिए सुरक्षित कार कौन सी है.
किआ कैरेन्स की क्रैश रिपोर्ट
इसी हफ्ते GNCAP टेस्ट रिपोर्ट में किआ कैरेंस (Kia Carens), होंडा अमेज (Honda Amaze) और महिंद्रा बोलेरो नियो (Mahindra Bolero Neo) के दो मॉडलों के क्रैश टेस्ट रिजल्ट घोषित किए गए हैं. टेस्ट में होंडा अमेज़ को जहां एडल्ट सेफ्टी के लिए 2 स्टार मिले हैं वहीं इसे एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन के लिए 34.00 में से 27.85 पॉइंट मिले. बच्चों की सुरक्षा के लिए इस फैमिली कार को शून्य स्टार मिला है. एजेंसी ने कहा कि फ्रंट इम्पैक्ट टेस्ट में बच्चे का सिर सीधे संपर्क में आया है… इसके साथ ही अमेज में… इसमें तीन साल के बच्चे की छाती और गर्दन की खराब सुरक्षा भी दिखी…
Mahindra Bolero Neo कितनी सुरक्षित?
देखने में मजबूत और दमखम वाली महिंद्रा बोलेरो नियो की बात करें तो यह सेफ्टी के मामले में बुरी तरह फिस्ड्डी साबित हुई है. बोलेरो को वयस्कों और बच्चों की सुरक्षा के लिए एक एक स्टार मिला है. इस क्रैश टेस्ट में कार को अधिकतम 34 में से सिर्फ 20.26 अंक हासिल हुए हैं. GNCAP की जांच में सामने आया है कि बोलेरो नियो में दी गई साइड सीटिंग बेंच बैठने वालों के लिए एक बड़ा जोखिम हैं. Bolero Neo में यात्रियों के लिए कर्टेन एयरबैग या सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे फीचर मौजूद नहीं हैं.
किआ कैरेन्स की रीटेस्टिंग का क्या रहा रिजल्ट?
वहीं किआ की कैरेंस को GNCAP की री टेस्टिंग में कुछ बेहतर परिणाम दिखाई दिए हैं. 2 मई 2023 से 11 दिसंबर 2023 के बीच बनी कैरेंस मॉडल्स को एडल्ट प्रोटेक्शन के लिए 0 स्टार रेटिंग मिली थी, लेकिन 11 दिसंबर 2023 के बाद बनी कैरेंस मॉडल्स में एडल्ट प्रोटेक्शन बेहतर पाई गई है. इस वजह से गाड़ी को 34 में से 22.07 स्कोर के साथ 3 स्टार रेटिंग मिली है. वयस्क सुरक्षा के लिए 3 स्टार और बच्चों की सुरक्षा के लिए पांच स्टार मिले हैं. भले ही किआ के मामले में आपको स्टार रेटिंग बेहतर दिख रही हो लेकिन GNCAP इसे ठीक नहीं मानती है. GNCAP के मुताबिक किआ कैरेंस में स्टैंडर्ड वेरिएंट के रूप में 6 एयरबैग दिए जाते हैं. इसके बावजूद कैरेंस के टेस्ट में ड्राइवर की गर्दन की सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है.
दूसरे क्रैश टेस्ट के क्या रहे परिणाम?
ग्लोबल क्रैश टेस्ट GNCAP के अलावा भारत सरकार ने भी पिछले साल अगस्त से अपने क्रैश-टेस्ट प्रोग्राम भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम BNCAP को लागू किया है. हालांकि, इन पहलों के बावजूद जिस तरह कार निर्माता पैसेंजर सेफ्टी से खिलवाड़ कर रहे हैं और क्रैश टेस्ट में फेल हो रहे हैं, वह काफी चिंताजनक है. हाल ही में मारुति और रेनो की पैसेंजर कारें भी क्रैश टेस्ट में असुरक्षित पाई गई हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई की क्रैश टेस्ट एजेंसी ANCAP के क्रैश टेस्ट में महिंद्रा की स्कॉर्पियो बुरी तरह फेल पाई गई थी. ANCAP ने स्कॉर्पियो को सुरक्षा मानकों के आधार पर शून्य स्टार दिए थे. इससे पहले महिंद्रा की स्कॉर्पियो-एन को ग्लोबल NCAP की दुर्घटना जांच में वयस्कों के लिए फाइव स्टार रेटिंग मिली थी, वहीं बच्चों के लिए इसे थ्री स्टार रेटिंग मिली थी.
रोड एक्सीडेंट में इतने लोगों की जाती है जान
भारत में दुर्घटना के आंकड़ों को देखें तो आपको अहसास होगा कि कारों में पैसेंजर सेफ्टी कितनी जरूरी है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं से 168,000 मौतें हुईं. जबकि 2021 में 155,000 मौतें रोड एक्सिडेंट के कारण हुई थीं. दुर्घटनाओं की फोरेंसिक जांच में भी यह सामने आया है कि 10 में से 6 मामलों में पैसेंजर केबिन में सुरक्षा के उपाय न होना यात्रियों की मौत का एक बड़ा कारण रहा है. यह हमें बताता है कि देश के वाहन निर्माता वाहन सुरक्षा को लेकर कितने सुस्त हैं. चिंताजनक बात यह है कि पैसेंजर सेफ्टी में फेल होने वाली ज्यादातर कारें कम कीमत वाली हैं.