बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 449 परियोजनाओं की लागत मार्च, 2024 में तय अनुमान से 5.01 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है. मंत्रालय की मार्च, 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,873 परियोजनाओं में से 449 की लागत बढ़ गई है, जबकि 779 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं.
रिपोर्ट के अनुसार इन 1,873 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 26,87,535.69 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 31,88,859.02 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 18.65 प्रतिशत यानी 5,01,323.33 करोड़ रुपए बढ़ गई है. रिपोर्ट के अनुसार, मार्च, 2024 तक इन परियोजनाओं पर 17,11,648.99 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 53.68 प्रतिशत है. हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 567 पर आ जाएगी. रिपोर्ट में 393 परियोजनाओं के चालू होने के समय का जिक्र नहीं किया गया है.
देरी से चलने वाली परियोजनाएं
देरी से चल रही 779 परियोजनाओं में से 202 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 181 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 277 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 119 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं. इन 779 परियोजनाओं में विलंब का औसत 36.04 महीने है. इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है. इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है.