बीते साल बड़े मर्जर और ब्‍लॉक डील में आई गिरावट, जानें वजह

जानकारों के मुताबिक पिछले साल ग्‍लोबल स्‍तर पर सौदे को लेकर ठंडे महौल के चलते ज्‍यादा बड़े मर्जर नहीं हो पाए

बीते साल बड़े मर्जर और ब्‍लॉक डील में आई गिरावट, जानें वजह

वैश्विक स्‍तर पर फाइनेंस की कमी का असर घरेलू कंपनियों के मर्जर और अधिग्रहण सौदों पर भी पड़ा है. यही वजह है कि बीते साल (2023) यह 51 प्रतिशत घटकर तीन साल के निचले स्तर 83.8 अरब डॉलर पर पहुंच गई. वित्तीय बाजार के आंकड़े देने वाली एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार अगर एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के 60.4 अरब डॉलर के मर्जर डील को हटा दिया जाए तो सौदा मूल्य 23 प्रतिशत और कम हो जाएगा. जानकारों के मुताबिक पिछले साल ग्‍लोबल स्‍तर पर सौदे को लेकर ठंडे महौल के चलते ज्‍यादा बड़े सौदे नहीं हो पाए.

एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के विलय से सौदा राशि कुछ ठीक रही. दोनों वित्तीय संस्थानों का विलय कंपनी जगत के इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा सौदा है. इसे छोड़कर बाकी कोई खास ब्‍लॉक डील नहीं हो पाई. एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस के वरिष्ठ प्रबंधक एलेन टान का कहना है कि साल 2023 में महज एक डील तीन अरब डॉलर मूल्य से अधिक की थी, जो एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के बीच हुई थी. यह सौदा 60.4 अरब डॉलर का था. वहीं 2022 में तीन अरब डॉलर से अधिक मूल्य के पांच सौदे हुए थे. हालांकि, अगर संख्या के हिसाब से देखा जाए तो सालाना आधार पर इसमें 1.7 प्रतिशत की कमी आई है. इससे संकेत मिले है कि मीडियम साइज के लेन-देन का बाजार में दबदबा रहा.

टान ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महंगाई भारी गिरावट के कारण नीतिगत दर में संभावित कमी का अनुमान है, इससे 2024 में आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. इससे पूंजी कुछ सस्ती होने की भी उम्मीद है. उन्‍होंने अनुमान लगाया कि 2024 में चुनाव के बाद देशभर में विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों में तेजी आ सकती है.

Published - January 5, 2024, 04:45 IST