महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों पर अवैध बेटिंग के जरिए हर महीने 450 करोड़ रुपए कमाने का आरोप लगा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों ने ऑनलाइन एप्लिकेशन के माध्यम से अवैध बेट की पेशकश करके हर महीने 450 करोड़ रुपए कमाए हैं. ईडी ने अपनी प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन में कहा है कि इस राशि का एक बड़ा हिस्सा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के जरिए भारतीय शेयर बाजार में निवेश किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला होने की आशंका जताई है.
ओरिपियों ने ली विदेशी नागरिकता
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक ईडी ने मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को बार-बार तलब किया है. ईडी ने इनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया है और सीबीआई को पत्र लिखकर दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने को कहा है. हालांकि जांच से इस बात का पता चला है कि दोनों ने वानुआतु देश की नागरिकता हासिल कर ली है. विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक भारत और वानुआतु के बीच अच्छे संबंध हैं. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि फरार आरोपियों को सजा दिलाने के लिए दोनों देशों के बीच कोई संधि है या नहीं.
FPI के जरिए निवेश
प्रवर्तन निदेशालय ने विकास छपारिया और उनके सहयोगियों गोविंद केडिया और अमित सरावगी के परिसरों की तलाशी ली है. विकास छपारिया महादेव बुक ऐप के लिए हवाला से संबंधित सभी ऑपरेशनों को संभालते थे. तलाशी कार्रवाई से छपारिया के लाभकारी स्वामित्व वाली तीन कंपनियों की जानकारी मिली है जो एफपीआई के जरिए भारत में निवेश कर रही थीं. महादेव बुक एक फ्रैंचाइजी मॉडल के जरिए बिजनेस चला रहा था जिसमें पैनल को 70-30 फीसद प्रॉफिट शेयरिंग रेशियो में आउटसोर्स किया जाता है. पैनल ऑपरेटर पैसे की प्राप्ति, भुगतान और यूजरआईडी के क्वाइन के प्रबंधन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है. चार्ज शीट में कहा गया है कि वे महादेव के मुख्य कार्यालय का हिस्सा हवाला चैनलों के जरिए ट्रांसफर करते हैं.