एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रिडिएंट्स (API) की कीमतों में कोविड-19 के बाद अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखी जा रही है. फार्मा उद्योग ने API लागत में 50% की कमी की सूचना दी है. कीमतों में गिरावट से फार्मा उद्योग को राहत मिली है क्योंकि API का इस्तेमाल फॉर्मूलेशन बनाने के लिए किया जाता है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अगली दो-तीन तिमाहियों में कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन ऊंचा रहेगा.
साल की शुरुआत तक बनी रहेगी तेजी
भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग API, इंटरमीडियरीज और बल्क ड्रग्स के लिए चीन पर निर्भर है. उद्योग ने कोविड के समय इनकी कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखा था. कीमतों में बढ़ोतरी इस साल की शुरुआत तक जारी रही. हालांकि अब परिस्थितियां बदलनी शुरू हो गई हैं.
दो महीनों में API की कीमतें तेजी से घटीं
अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीनों में कीमतों में भारी गिरावट देखी गई है. API की मांग भी कम हो गई है. कोविड के दौरान पेरासिटामोल के लिए API की कीमत ₹900 से घटकर ₹250 प्रति किलोग्राम हो गई है. कोविड के बाद यह ₹600 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया और अब इसमें तेजी से गिरावट देखी गई है.
इन APIs की कीमतें भी कम हुईं
इसी तरह, मोंटेलुकास्ट सोडियम (दमा-रोधी दवा) की कीमत ₹45,000 प्रति किलोग्राम से घटकर ₹28,000 प्रति किलोग्राम हो गई है. एंटीबायोटिक मेरोपेनेम के लिए API ₹75,000 से 40% कम होकर ₹45,000 प्रति किलोग्राम हो गई है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां चीन ने काफी वृद्धि की है, वहीं API की मांग कम हो गई है क्योंकि भारत ने आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए हैं.
क्या है कीमतों में गिरावट की वजह
इकॉनोमिक टाइम्स ने फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) के पूर्व अध्यक्ष दिनेश दुआ के हवाले से कहा कि ऐसे कई कारक हैं जिनके कारण API की कीमतों में गिरावट आई है. उन्होंने कहा पिछले छह महीनों में चीनी कार्टेलाइजेशन API और इंटरमीडियरीज दोनों के लिए टूटा है. दुआ ने कहा कि भारत पेरासिटामोल के लिए पीएपी जैसे कुछ इंटरमीडिएट्स में भी आत्मनिर्भर हो गया है और पिछले एक साल से API और इंटरमीडिएट्स के कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक के मामले भी सामने आए हैं. उम्मीद की जा रही थी कि इस बार मांग बढ़ेगी. इसके विपरीत, मांग में कमी आई है. प्राथमिकता के क्रम में इन सभी चार कारकों ने कीमतों में गिरावट दर्ज की है.
2022 में बढ़ा ऑर्गेनिक कैमिकल्स का आयात
भारत में ऑर्गेनिक कैमिकल्स का आयात (जिसमें API भी शामिल है) वित्त वर्ष 2022 में एक साल पहले की तुलना में 39% बढ़कर 12.5 अरब डॉलर हो गया. यह दवा बनाने में लगने वाले प्रमुख इनपुट पर निर्भरता को दिखाता है. ल्यूपिन, सन फार्मास्यूटिकल्स, ग्लेनमार्क, मैनकाइंड, डॉ. रेड्डीज, टोरेंट और कई अन्य घरेलू कंपनियां चीन से आयात पर निर्भर हैं.