अदानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश को लेकर एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. अदानी ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों ने ऑफशोर फंड डिस्क्लोजर रूल्स और निवेश सीमा का उल्लंघन किया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने यह गड़बड़ी पकड़ी है. इस मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने सोमवार को इसका खुलासा किया.
सेबी ने पिछले साल अगस्त में लिस्टेड संस्थाओं की ओर से डिस्क्लोजर नियमों और ऑफशोर फंडों की होल्डिंग लिमिट का उल्लंघन किए जाने की बात कही थी. हालांकि इस बारे में सेबी और अदानी ग्रुप ने तुरंत जवाब नहीं दिया था. रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नियामक इस गड़बड़ी को लेकर अदानी के संबंधों पर भी गौर कर रहा था. हालांकि इस आरोप को अदानी ने पहले ही खारिज कर दिया था.
एक दर्जन कंपनियों को भेजा गया था नोटिस
सूत्रों का कहना है कि नियामक ने इस साल की शुरुआत में अदानी ग्रुप में निवेश करने वाले एक दर्जन ऑफशोर निवेशकों को नियमों के उल्लंघन के आरोप पर नोटिस भेजा गया था. साथ ही उनसे डिस्क्लोजर रूल्स और निवेश सीमा के उल्लंघन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था.
सूत्रों का कहना है कि ये ऑफशोर फंड व्यक्तिगत स्तर पर अदानी समूह की कंपनियों में अपने इन्वेस्टमेंट की रिपोर्ट कर रहे थे. जबकि सेबी चाहता था कि इसका खुलासा ऑफशोर फंड ग्रुप लेवल पर हो. .
जुर्माना देकर मामले के निपटारे की अपील
सूत्रों ने बताया कि 12 में से 8 ऑफशोर फंडों ने लिखित में सेबी से अनुरोध किया है कि जो भी चार्जेज लगे हैं उन्हें जुर्माना लेकर सुलझा लिया जाए और इसमें अपराध की बात न आए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन 8 एफपीआई (FPI) में अल्बुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड, एमजीसी फंड, एशिया इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (मॉरीशस), एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड, एलारा इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड, वेस्पेरा फंड और एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड शामिल हैं. इनके कानूनी प्रतिनिधियों ने सेबी के साथ कुल 16 निपटान आवेदन दायर किए हैं.