73% भारतीय कंपनियां रैंसमवेयर का शिकार, AIIMS और ताज होटल भी शामिल

44 प्रतिशत संगठनों ने 100,000 अमेरिकी डॉलर से 500,000 अमेरिकी डॉलर के बीच रेंसम यानी फिरौती के रूप में भी दिया

73% भारतीय कंपनियां रैंसमवेयर का शिकार, AIIMS और ताज होटल भी शामिल

देश के लगभग 73 प्रतिशत छोटी-बड़ी कंपनियां साल 2023 में रैंसमवेयर हमले की चपेट में आई थी. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं. साइबर सिक्योरिटी फर्म सोफोस की एक स्टडी में बताया गया है कि ऑल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और ताज होटल्स भी रैंसमवेयर प्रभावित कंपनियों में शामिल थे. इन्होंने अपने जरूरी डाटा के लिए रेंसम का भुगतान भी किया.

एम्स और ताज जैसे संस्थान भी शामिल

इस अध्ययन में में कहा गया है कि इनमें से लगभग 44 प्रतिशत संगठनों ने 100,000 अमेरिकी डॉलर से 500,000 अमेरिकी डॉलर के बीच रेंसम यानी फिरौती के रूप में भी दिया है. सोफोस के निदेशक और वैश्विक क्षेत्र के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) चेस्टर विस्निव्स्की ने कहा कि आजकल साइबर अपराधी किसी भी व्यक्ति या संस्थान के डेटा तक टेक्निकली पहुंच जाते हैं. साइबर हमले के लिए ये या तो इंटरनेट-फेसिंग उपकरण में यूज हुए पुराने डिटेल्स या किसी कर्मचारी के पासवर्ड चुरा कर उसे दोबारा उपयोग कर जानकारी प्राप्त कर लेते हैं.

क्या होता है रैंसमवेयर?

साल 2017 में Wanna Cry Ransomware अटैक ने 150 से ज्यादा देशों को प्रभावित किया था. दरअसल, रैंसमवेयर एक तरह का मालवेयर है , जो यूजर या किसी ऑर्गेनाइजेशन पर अटैक करके उनके कंप्यूटर पर फाइलों के एक्सेस को रोक देता है. ये उन फाइलों को एन्क्रिप्ट करता है और फिर डिक्रिप्शन की के लिए फिरौती यानी रेंसम की मांग करता हैं इसलिए इसे रैंसमवेयर नाम दिया गया है. इसमें ज्यादातर बड़ी और नामी कंपनियां होती हैं. ऐसे में, अपने जरूरी डाटा को हासिल करने के लिए लोग या कंपनी पैसे देने को तैयार हो जाती है. पिछले कुछ समय से रैंसमवेयर के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

Published - November 27, 2023, 05:10 IST