क्या महंगा होगा म्यूचुअल के डायरेक्ट प्लान में निवेश?

म्यूचुअल फंड कंपनियों को डायरेक्ट प्लान के लिए ज्यादा एक्सपेंस चार्ज करने की मंजूरी दे सकता है

क्या महंगा होगा म्यूचुअल के डायरेक्ट प्लान में निवेश?

पूंजी बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) म्यूचुअल फंड कंपनियों को डायरेक्ट प्लान के लिए ज्यादा एक्सपेंस चार्ज करने की मंजूरी दे सकता है. सेबी इस तरह की मंजूरी देने पर विचार कर रहा है.

गौरतलब है कि म्‍यूचुअल फंड प्लान दो तरह के होते हैं. एक डायरेक्‍ट और दूसरा रेगुलर प्‍लान. अकसर निवेशक इन्हें लेकर उलझन में रहते हैं. वे इनके बीच फर्क नहीं कर पाते हैं जबकि इन दोनों में फर्क होता है. ये दोनोंं म्यूचुअल फंड के दाे अलग-अलग वैरियंट हैं. जहां म्‍यूचुअल फंडों के डायरेक्‍ट प्‍लान में कोई कमीशन या ब्रोकरेज शामिल नहीं होता है. वहीं, रेगुलर प्‍लान में इसे वसूला जाता है. डायरेक्ट प्लान में रेगुलर प्लान की तुलना में एक्सपेंस रेशियो कम होता है.

इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. एक इक्विटी स्कीम अपने रेगुलर प्लान में 150 बेसिस पॉइंट (bps) चार्ज कर रही है और डिस्ट्रीब्यूटर का कमीशन 50 बेसिस पॉइंट है. कुल मिलाकर रेगुलर प्लान में सालाना खर्च दो फीसद बनता है. इसकी तुलना में डायरेक्ट प्लान में 100 बेसिस पॉइंट से ज्यादा चार्ज नहीं किया जा सकता.

सेबी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक रेगुलेटर दोनों प्लान के एक्सपेंस में अंतर को डिस्ट्रीब्यूटर के कमीशन को 70, 80 या 90 फीसद तक घटाने पर विचार कर सकता है. डिस्ट्रीब्यूटर के कमीशन में अगर 70 फीसद की कमी की मंजूरी दी जाती है तो डायरेक्ट प्लान में 115 बेसिस पॉइंट तक चार्ज किया जा सकता है.

इसका मकसद म्यूचुअल फंड कंपनियों को मार्केटिंग, सेल्स आदि के जरिए प्रोमोट करने के लिए जरूरी अतिरिक्त खर्च को पूरा करने में मदद करना है. हालांकि ये कदम निवेशकों के लिए बुरा साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे ज्यादा एक्सपेंस से स्कीम में मिलने वाला रिटर्न घट सकता है.

Published - August 22, 2023, 08:09 IST