इक्विटी Mutual Funds में SIP के रास्ते निवेश करने वाले निवेशकों को सलाह दी जाती है कि उनको हर साल स्कीम्स में शिफ्टिंग नहीं करनी चाहिए. ज्यादातर निवेशक बीते 1 साल या हाल के प्रदर्शन के आधार पर सबसे अच्छे प्रदर्शन वाली म्यूचुअल फंड स्कीम्स में अपना निवेश शिफ्ट करते रहते हैं. तो आखिर हर साल म्यूचुअल फंड स्कीम में बदलाव क्यों करनी चाहिए और इसका आपके निवेश पर क्या असर होता है, इस पर व्हाईटओक कैपिटल म्यूचुअल फंड ने एक रिपोर्ट जारी की है.
WhiteOak Capital Mutual Fund की एक स्टडी के अनुसार, जिन निवेशकों ने अप्रैल 2005 में मिडकैप या स्मॉलकैप इंडेक्स फंड में SIP की शुरुआत की और 19 साल तक अपने निवेश में बने रहे उन निवेशकों का रिटर्न ज्यादा था. यह उन निवेशकों की तुलना में कहीं ज्यादा था जो हर साल उस कैटेगरी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली स्कीमों में अपनी SIP शिफ्ट कर देते थे.
इसे आंकड़ों की मदद से समझते हैं. Whiteoak Capital Mutual Fund की स्टडी के अनुसार किसी एक निवेशक A ने मिडकैप इंडेक्स फंड में अप्रैल 2005 में SIP शुरू की और हर वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने निवेश को उस सेगमेंट में बेहतरीन रिटर्न देने वाली स्कीम में शिफ्ट कर दिया. उस निवेशक को अप्रैल 2024 तक 15.5 फीसदी का सालाना रिटर्न मिला है, लेकिन दूसरे निवेशक B जिसने अप्रैल 2005 में शुरु किए गए अपने SIP निवेश को अप्रैल 2024 तक उसी फंड में बरकरार रखा, उस निवेशक को 18.1% का सालाना रिटर्न मिला है.
इसी तरह अगर मिडकैप के बजाए किसी स्मॉलकैप इंडेक्स फंड में निवेश के अंतर को समझें तो अप्रैल 2005 में SIP शुरू करने के बाद हर वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने निवेश को उस सेगमेंट में बेहतरीन रिटर्न देने वाली स्कीम में शिफ्ट करने वाले निवेशक A को अप्रैल 2024 तक 15.1 फीसदी का सालाना रिटर्न मिला है. जबकि दूसरे निवेशक B जिसने अप्रैल 2005 में शुरु किए गए अपने SIP निवेश को अप्रैल 2024 तक जारी रखा, उस निवेशक को 16% का सालाना रिटर्न मिला है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि किसी फंड के पिछले परफॉर्मेंस को देखकर बार-बार निवेश बदलने पर आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न पर असर पड़ता है. निवेशकों को SIP के रास्ते 5-20 साल के लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करना चाहिए क्योंकि कंपाउंडिग यानी चक्रवृद्धि रिटर्न का फायदा 7-8 साल के बाद मिलना शुरू होता है. स्कीम की निगरानी समय-समय पर करते रहना चाहिए. लेकिन बदलाव तभी करें अगर पोर्टफोलियो की क्वॉलिटी में कोई दिक्कत हो या फंड हाउस के इन्वेस्टमेंट स्टाइल में अचानक कोई बड़ा बदलाव आया हो.
रिटेल यानी छोटे निवेशक पिछले प्रदर्शन पर ज्यादा फोकस करते हैं और अकसर ऐसी स्कीमों में पैसा लगाते हैं जिन्होंने सबसे अच्छे रिटर्न दिए होते हैं. वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि इस तरह निवेश करने से रिटेल निवेशक उन स्कीमों में पैसा लगा देते हैं जो पहले से बहुत ज्यादा चल चुकी हों. इस तरह ज्यादातर मौकों पर मिलने वाले बेहतर संभावित रिटर्न से चूक जाते हैं.
कुल मिलाकर SIP के रास्ते म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले निवेशकों को धैर्य से काम लेना चाहिए और लंबी अवधि के लिए पैसा लगाना चाहिए. किसी फंड के पिछले प्रदर्शन के आधार पर अपना निवेश शिफ्ट करने के बजाए कोई बड़ा बदलाव होने तक अपने SIP निवेश को अनुसाशित तरीके से जारी रखना चाहिए ताकि बेहतर रिटर्न मिल सकें.