म्यूचुअल फंड में क्या होते हैं Alpha और Beta, निवेश से पहले इन्हें समझना है जरूरी

म्यूचुअल फंड में आप कोई फंड चुनते हैं तो इसके 5 इंडिकेटर्स होते हैं. ये अल्फा, बीटा, आर स्क्वेयर्ड, स्टैंडर्ड डेविएशन और शार्प रेशियो होते हैं.

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म्यूचुअल फंड में अल्फा ये बताता है कि फंड ने बेंचमार्क इंडेक्स से कितना ज्यादा या कम रिटर्न दिया है.

म्यूचुअल फंड में अल्फा ये बताता है कि फंड ने बेंचमार्क इंडेक्स से कितना ज्यादा या कम रिटर्न दिया है.

कोविड-19 के अल्फा वैरिएंट ने इन दिनों खौफ का माहौल बना रखा है. हम भी आज अल्फा और बीटा की बात करने जा रहे हैं. लेकिन, ये थोड़े हटकर हैं. हम जिन Alpha और Beta बात कर रहे हैं वे म्यूचुअल फंड से जुड़े हुए हैं. म्यूचुअल फंड में आप किसी फंड को चुनते हैं तो इसके पांच इंडिकेटर्स होते हैं. जैसे अल्फा, बीटा, आर स्क्वेयर्ड, स्टैंडर्ड डेविएशन और पांचवां है शार्प रेशियो. तो आज हम जानेंगे अल्फा और बीटा की और इसको कैलकुलेट करने के तरीके की बात करेंगे.

Alpha क्या है?

Alpha किसी फंड की परफॉर्मेंस को दिखाता है. म्यूचुअल फंड में अल्फा ये बताता है कि फंड ने बेंचमार्क इंडेक्स से कितना ज्यादा या कम रिटर्न दिया है. इसको एक उदाहरण से समझते हैं.

मान लीजिए आपने किसी फंड में इनवेस्ट किया है और उस फंड का बेंचमार्क है 20% और उस फंड ने 25% रिटर्न दिया है तो इसका मतलब इसका अल्फा यानी परफॉर्मेंस 5% ज्यादा है. इसका मतलब ये भी है कि आपके फंड मैनेजर ने आपके फंड को अच्छी तरह मैनेज किया है.

इससे उलट, अगर बेंचमार्क 20% है और फंड ने 15% रिटर्न दिया है तो उसने अपनी उमीद से 5% कम रिटर्न दिया है. तो कभी भी आप इनवेस्ट करने जाएं तो ये जरूर चेक करें कि उसका अल्फा अधिक हो. अल्फा जितना नेगेटिव रहेगा स्थिति उतनी खराब रहेगी और जितना ज्यादा रहेगा स्थिति उतनी अच्छी रहेगी.

अगर किसी म्यूचुअल फंड का पॉजिटिव अल्फा 2% है तो उसका अर्थ ये है कि उसने बेंचमार्क इंडेक्स से 2% ज्यादा रिटर्न दिया है. अगर उस फंड का अल्फा -2% दिखा रहा है तो फंड ने नेगेटिव रिटर्न दिया है. पॉजिटिव अल्फा यानी उसके फंड मेनेजर ने अच्छा काम किया है.

Beta क्या है?

Beta फंड की वोलैटिलिटी को दिखाता है. मार्केट मूवमेंट पर म्यूचुअल फंड कितना सेंसिटिव है ये बीटा से पता चलता है. यानी वो कितना ऊपर या नीचे जा सकता है. अगर Beta नेगेटिव है तो वोलैटिलिटी कम होती है और अगर Beta पॉजिटिव है तो वोलैटिलिटी ज्यादा होती है.

म्यूचुअल फंड में बीटा का बेंचमार्क हम 1 को मानते हैं. मान लीजिए इसका बेंचमार्क 1 से अधिक है तो ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला है और 1 से कम है तो कम वोलेटाइल है, यानी रिस्क कम है.

जब भी उतार-चढ़ाव होता है तो नुकसान के आसार बढ़ जाते हैं. लेकिन, रिटर्न के चांस भी बढ़ जाते हैं. अगर आपको किसी एएमसी में इनवेस्टमेंट करना है तो पहले उसकी बीटा वैल्यू चेक कर लें.

बीटा वैल्यू कभी भी 1 से अधिक नहीं होनी चाहिए. यानी वो माइनस में हो या 1 से कम हो. तो अगर 1 से कम है बीटा तो आप उसे ले सकते हैं क्योंकि वहां आपका रिस्क कम हो जाता है. रिटर्न आपको जरूर थोड़ा कम मिलता है, लेकिन जोखिम घट जाता है.

Published - June 28, 2021, 05:57 IST