रीमा अपने बचत खाते में बड़ी रकम जमा रखती हैं ताकि आड़े वक्त में तुरंत पैसे निकाल सकें. अगर रीमा की तरह आपकी भी यही सोच है तो आप बड़ी गलती कर रहे हैं. सरप्लस यानी अतिरिक्त रकम को लिक्विड या ओवरनाइट फंड में निवेश करके ज्यादा कमाई कर सकते हैं.
लिक्विड और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड डेट फंड की कैटेगरी में आते हैं. हालांकि एक्सपर्ट शॉर्ट टर्म लक्ष्यों और जरूरतों को पूरा करने के लिए दोनों तरह के फंड्स में निवेश करने की सलाह देते हैं. जोखिम और मैच्योरिटी के हिसाब से लिक्विड और ओवरनाइट फंड दोनों अलग हैं.
ऐसे में ये समझना बेहद जरूरी है कि किस तरह के निवेशकों को लिक्विड और ओवरनाइट फंड्स में निवेश करना चाहिए…और ये फंड कैसे काम करते हैं?
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि लिक्विड फंड छोटी अवधि वाले फंड हैं जो मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट और डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इस स्कीम में पैसे की लिक्विडिटी रहती है. यानी जरूरत पड़ने पर अपने निवेश को कभी भी निकाल सकते हैं.
लिक्विड फंड्स 91 दिन तक की मैच्योरिटी वाले शॉर्ट-टर्म इंस्ट्रूमेंट्स हैं जो ट्रेजरी बिल्स, कमर्शियल पेपर और सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट यानी सीडी में निवेश करते हैं. निवेश की सुरक्षा के साथ बैंक के बचत खाते की तुलना में ये बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. लिक्विड फंड को सामान्य तौर पर एक दिन में भुनाया जा सकता है. जबकि ओवरनाइट म्यूचुअल फंड डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो निवेश के अगले दिन मैच्योर होते हैं. यानी इन्हें अगले दिन ही भुना सकते हैं इसलिए इन म्यूचुअल फंड्स को ओवरनाइट फंड कहते हैं.
इस निवेश में अगर जोखिम की बात करें तो लिक्विड म्यूचुअल फंड ऊंची ब्याज दरों से ज्यादा प्रभावित होते हैं…ओवरनाइट फंड के मुकाबले लिक्विड फंड में क्रेडिट और डिफॉल्ट जोखिम ज्यादा रहता है क्योंकि फंड मैनेजर ओवरनाइट फंड को अगले ही दिन बेच देता है इसलिए डिफॉल्ट जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है.
किसी भी निवेश में रिटर्न सबसे अहम पहलू होता है. लिक्विड फंड्स में आमतौर पर ओवरनाइट फंड की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलता है. वैल्यू रिसर्च के 7 मार्च के आंकड़ों के मुताबिक लिक्विड म्यूचुअल फंड्स ने पिछले एक साल में 7.05 फीसद, 3 साल में 5.18 फीसद और 5 साल में 5.02 फीसद सालाना औसत रिटर्न दिया है. इस अवधि में ओवरनाइट म्यूचुअल फंड्स का सालाना औसत रिटर्न 6.69 फीसद, 4.99 फीसद और 4.65 फीसद रहा है.
इस निवेश में अगर टैक्स की बात करें तो लिक्विड और ओवरनाइट, दोनों फंड्स डेट फंड की कैटेगिरी में आते हैं. एक अप्रैल 2023 के बाद से डेट फंड में निवेश से होने वाली कमाई निवेशक की सालाना आय में जुड़ती है जिस पर स्लैब के आधार पर टैक्स चुकाना होता है. भले ही निवेश की अवधि कितनी भी क्यों न हो.
अब सवाल ये है कि क्या आपको निवेश करना चाहिए? जो लोग एक दिन से तीन महीने तक की छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं वो लिक्विड फंड का विकल्प चुन सकते हैं. जब आपको अचानक एक बड़ा बोनस या सरप्लस पैसा मिलता है और आप ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसे कहां लगाएं. तब वेल्थ एडवाइजर्स लिक्विड फंड में निवेश की सलाह देते हैं. अगर निवेश की अवधि एक सप्ताह से कम की है तो ओवरनाइट फंड बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें कोई एग्जिट लोड नहीं होता. यानी निवेश को भुनाने पर आपको कोई चार्ज नहीं देना होगा.
Finwisor के Founder और CEO जय शाह कहते हैं कि जो निवेशक 7 दिन तक के लिए निवेश करना चाहते हैं उन्हें ओवरनाइट फंड्स में निवेश करना चाहिए. अगर निवेश का नजरिया एक हफ्ते से अधिक और दो महीने तक का है तो लिक्विड फंड में निवेश बेहतर विकल्प है. ओवरनाइट फंड में कोई एग्जिट लोड नहीं होता जबकि लिक्विड फंड में 7 दिन तक एग्जिट लोड होता है.
रीमा की तरह ज्यादातर लोग अपनी अतिरिक्त नकदी को बैंक के बचत खाते में ही जमा रखना पसंद करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ये सबसे सुरक्षित विकल्प है. और अपने बैंक अकाउंट से वे कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. .हालांकि लिक्विड फंड्स और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड्स भी आकर्षक विकल्प मुहैया करवाते हैं और बेहतर रिटर्न्स के साथ-साथ इसमें लगाया आपका पैसा ज्यादातर सेफ रहता है. खास बात ये है कि ओवरनाइट फंड में बिना किसी एग्जिट लोड के साथ अपना पैसा निवेश कर सकते हैं.
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