अपने निवेश से नियमित आय प्राप्त करने के लिए कई लोग बैंक एफडी या पोस्टल डिपॉजिट को चुनते हैं. बैंक एफडी और पोस्टल डिपॉजिट के ब्याज दर काफी कम हैं, इसलिए एक्सपर्ट ऐसे ट्रेडिशनल विकल्पों से दूर रहने की सलाह देते है. इनके अलावा दूसरा विकल्प है SWP जहां से आप नियमित रूप से आय प्राप्त करने के साथ अपने मूलधन पर अतिरिक्त रिटर्न कमा सकते हैं. SWP यानी सिस्टेमैटिक विद्ड्रॉल प्लान कहते हैं. SWP के जरिए नियमित आय प्राप्त करने की अच्छी रणनीति बनाई जा सकती है.
SWP भी SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) की तरह एक म्यूचुअल फंड निवेश योजना है, जो निवेशक को कितने समय में कितना पैसा निकालना है यह विकल्प चुनने का मौका देती हैं. यानि आप एक तय राशि वापस पाते हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से आप रोजाना, हर हफ्ते, मंथली, तिमाही, 6 महीने पर या सालाना आधार पर राशि निकाल सकते हैं.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर अमित पटेल कहते हैं, “कोई भी म्यूचुअल फंड निश्चित रिटर्न की गारंटी नहीं देता है लेकिन सही स्कीम चुनकर आप बैंक एफडी से तो ज्यादा रिटर्न कमा ही सकते हैं. SWP के लिए आप इक्विटी, डेट या हाइब्रिड जैसी किसी भी प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं.”
आप तय अवधि से पहले पैसा निकालते हैं तो एग्जिट लोड लगता है. उदाहरण के लिए, यदि आपके निवेश के 6वें महीने से प्रति माह 10,000 रुपये का SWP है, तो हर महीने SWP किस्त में से 1 फीसदी या 100 रुपये काटा जाएगा.
आप किस प्रकार के फंड से निकासी कर रहे हैं और आपके फंड की अवधि कितनी है उस हिसाब से SWP में टैक्स लागू होता है. इक्विटी फंड के मामले में, खरीद के 1 साल के भीतर पैसे निकालने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) के तहत 15% टैक्स लगेगा. 1 साल के बाद निकलने पर, 1 लाख रुपये से अधिक मुनाफे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) के तहत 10% टैक्स लगेगा.
यदि आपने डेट फंड में पैसे निवेश किया है तो 3 साल में निकासी पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा और 3 साल बाद इंडेक्सेशन का लाभ मिलने के बाद 20% टैक्स लागू होगा.
यदि आप सेकेंड्री इनकम प्राप्त करना चाहते हैं, अपने मूलधन में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, पेंशन प्लान बनाना चाहते हैं और जो लोग ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आते हैं उनके लिए ये अच्छा विकल्प है. पटेल के मुताबिक, “SWP के जरिए आप निवेश पर हुए केवल कैपिटल गेन वाले हिस्से को निकाल सकते हैं. दूसरे इन्वेस्टमेंट के मुकाबले इसमें प्रोफिट वाले हिस्से पर टैक्स नहीं लगता इसलिए टैक्स के नजरिए से ये विकल्प अच्छा है. आय प्राप्त करने के लिए मंथली ऑप्शन ज्यादा लोकप्रिय है.” म्यूचुअल फंड्स के डिविडंड प्लान के मुकाबले SWP बेहतर है क्योंकि डिविडंड पर 10 फीसदी टीडीएस कटता है और निवेशक को मिलने वाली डिविडंड अमाउंट भी टैक्सेबल गिनी जाती है.