लोन के लिए म्यूचुअल फंड कितना सही?

म्यूचुअल फंड पर लिया गया लोन सिक्योर्ड लोन है. इस वजह से यह पर्सनल लोन की तुलना में सस्ता पड़ता है.

लोन के लिए म्यूचुअल फंड कितना सही?

विकास के बेटे का बीटेक में एडमिशन हो गया है. इसकी फीस कैसे मैनेज होगी, उन्हें इसकी चिंता है. उनके दोस्त सुनील ने सलाह दी कि म्यूचुअल फंड के निवेश पर लोन ले लो. विकास पिछले पांच साल से म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं. करीब पांच लाख रुपए का कॉर्पस है. इस पैसे को बिना विड्रॉ यानी रिडीम किए विकास ने बैंक को लोन रिक्वेस्ट भेजा और ओवर ड्राफ्ट के जरिए म्यूचुअल फंड पर लोन मिल गया. ओवर ड्राफ्ट मतलब लोन की योग्य राशि का अप्रूवल मिल जाता जिसे विकास चाहें तो एक बार में यूज कर लें या फिर जरूरत के हिसाब से. पैसों की ऐसी जरूरत जो पर्सनल लोन से पूरी हो सकती है उसे आप म्यूचुअल फंड लोन से पूरा कर सकते हैं.

क्या लगेगा ब्याज?
म्यूचुअल फंड लोन पर ब्याज का गणित समझिए. म्यूचुअल फंड पर लिया गया लोन सिक्योर्ड लोन है. इस वजह से यह पर्सनल लोन की तुलना में सस्ता पड़ता है. प्रमुख संस्थान म्यूचुअल फंड के लोन पर सालाना 9 से 13 फीसद तक का ब्याज वसूल रहे हैं. अगर विकास क्रेडिट कार्ड पर या फिर पर्सनल लोन लेते हैं तो उन्हें सालाना 14 से 36 फीसद तक का ब्याज चुकाना पड़ सकता है. राहत की बात यह है कि पैसे का इंतजाम होने पर विकास अपने लोन को कभी भी चुका सकते हैं. ज्यादातर बैंक और फाइनेंस कंपनियां प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर पर कोई चार्ज नहीं लेते.

कितना मिलेगा लोन?
विकास को म्यूचुअल फंड पर कितना लोन मिलेगा, यह उनके पोर्टफोलियो के कॉपर्स और फंड की स्कीम्स पर निर्भर करेगा. ज्यादातर संस्थान इक्विटी में निवेश पर 50 फीसद और डेट फंड पर 80 फीसद तक का लोन देते हैं. विकास का सारा पैसा डेट फंड में है. ऐसे में उनके लिए चार लाख रुपए तक का लोन ओडी के रूप में मंजूर हो सकता है. विकास को जरूरत केवल 80 हजार की है तो और उनकी एलिजिबिलीट इससे कहीं ज्यादा इसलिए इन्हें आसानी से ये पैसे मिल जाएगे.

इस लोन की खास बात यह है कि लोन लेने के बाद भी म्यूचुअल फंड्स की ओनरशिप विकास के पास ही रहेगी. इस निवेश पर उन्हें पहले की तरह रिटर्न भी मिलता रहेगा. अगर किसी स्कीम में डिविंडेड मिल रहा है तो यूनिट को गिरवी रखने के बावजूद इस लाभ पर कोई असर नहीं पड़ेगा. विकास को यह आय भी पहले की तरह होती रहेगी. हालांकि वह लोन चुकाने से पहले अपने म्यूचुअल फंड को रिडीम नहीं कर पाएंगे. गिरवी रखी हुई सिक्योरिटी को बैंक लीन यानी ब्लॉक कर देते हैं. लोन का पूरा भुगतान होने के बाद इस तरह की सिक्योरिटी को मैच्योर करा पाएंगे. आमतौर पर इस तरह का लोन एक साल की अवधि के लिए होता है. बैंक ओडी की रकम से भी ब्याज वसूल सकते हैं या फिर आप हर महीने भी ब्याज दे सकते हैं. अगर विकास सिर्फ 80 हजार रुपए का ही लोन लेते हैं तो उन्हें निश्चित अंतराल पर ब्याज चुकाना होगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
म्यूचुअल फंड पर लोन का विकल्प तभी चुनें जब और कोई रास्ता न हो. यह लोन किसी खास उद्देश्य के लिए नहीं बल्कि व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए है. इस तरह के लोन में ओडी की राशि जरूरत के हिसाब से ही चुननी चाहिए. बैंक खाते में पैसे रहने पर अमूमन लोग इसका इस्तेमाल कर लेते हैं. बाद में इस लोन को चुकाने में दिक्कत आ सकती है.

Published - May 23, 2023, 08:55 IST