मार्केट रेगुलेटर SEBI ने एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के कर्मचारियों की 20 फीसदी सैलरी म्यूचुअल फंड यूनिट (Mutual Fund Units) के तौर पर पे-आउट करने का नियम बनाया है. इस फैसले को आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी CEO फिरोज अजीज निवेशकों के हित में मानते हैं और कहते हैं कि इससे फंड हाउस के कर्मचारी भी यूनिट होल्डर के हित में फैसले ले पाएंगे. मनी9 से की खास चर्चा में उन्होंने इस नियम को समझाया है.
फिरोज अजीज: ये हैरानी की बात नहीं है क्योंकि SEBI पहले से निवेशकों में भरोसा बढ़ाने के लिए स्किन-इन-द-गेम यानी फंड हाउस की भी हिस्सेदारी बढ़ाने की ओर काम कर रहा था. पिछले साल फ्रैंकलिन टेंपलटेन की 6 स्कीमों के अचानक बंद हो जाने से रेगुलेटर ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया. मुझे बेहद खुशी है कि रेगुलेटर के इस कदम से लंबे समय में पॉजिटिव असर होगा. इस फैसले से निवेशकों में ऐसे समय में कॉन्फिडेंस बढ़ेगा जब वे FD से बेहतर टैक्स बचत विकल्पों की ओर निवेश कर रहे हैं.
फिरोज अजीज: निवेशकों को ये सांत्वना रहेगी कि उनके एजवाइजर और फंड मैनेजर वही कर रहे हैं जो कहा गया है. निवेशकों को इस बात की तसल्ली रहेगी क्योंकि अब उनके पोर्टफोलियो का जहां निवेश है वहां उनके मैनेजर्स का भी हिस्सा होगा. इस कदम से जरूर निवेशकों की चिंताएं कम होंगी.
फिरोज अजीज: अधिक्तर फंड मैनेजर्स (Mutual Fund Managers) की आय का बड़ा हिस्सा पहले से ही प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है. उनके अधिकतर बोनस उनके अल्फा जनरेट करने की क्षमता पर निर्भर करते हैं. (अल्फा यानी बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न). इसलिए इस कदम को प्रदर्शन बेहतर करने के बजाय गवर्नेंस में सुधार के तौर पर देखना चाहिए.
फिरोज अजीज: सिर्फ एक कदम से नहीं बल्कि रेगुलेटर की ओर से उठाए गए कई कदम से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है. ये कदम फ्रैंकलिन जैसे और मामले होने की संभावनाएं कम जरूर करेगा.
फिरोज अजीज के साथ पूरी चर्चा यहां देखें –