एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) अब एक से ज्यादा ईएसजी (ESG) थीम फंड ला सकती हैं. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने ईएसजी (इन्वायर्नमेंट, सोशल एंड गवर्नेंस) स्कीम के तहत म्यूचुअल फंड को 6 नए वर्गों में पेश करने की मंजूरी दे दी है. इन वर्गों में– एक्सक्लूजन (Exclusion), इंट्रीग्रेशन (Integration), बेस्ट–इन–क्लास एंड पॉजिटिव स्क्रीनिंग (Best-in-class & Positive Screening), इंपैक्ट इन्वेस्टिंग (Impact investing), सस्टेनेबल ऑब्जेक्टिव (Sustainable objectives), और ट्रांजिशन ओर ट्रांजिशन रिलेटेड इन्वेस्टमेंट्स (Transition or transition-related investments) शामिल हैं. सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए भी कहा है.
क्या है ईएसजी (ESG) स्कीम?
जैसे कि नाम से साफ है इस म्यूचुअल फंड का निवेश इन्वायर्नमेंट यानी पर्यावरण, सोशल यानी सामाजिक और गवर्नेंस यानी शासन से जुड़े मानकों पर खरी उतरने वाला कंपनियों में किया जाता है. यानी वे कंपनियां जिनके पोर्टफोलियो में ये मानक शामिल होते हैं.
इन बातों का रखा जाता है ध्यान
आसान भाषा में कहें तो ईएसजी फंड मैनेजर ये देखते हैं कि क्या कंपनी के कारोबार का पर्यावरण पर बुरा असर तो नहीं हो रहा? क्या कंपनी अपने कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलटी (CSR) यानी सामाजिक दायित्वों को पूरा कर रही हैं या नहीं? इन सबके बाद ही फंड मैनेजर इन कंपनियों में निवेश करते हैं.
क्या होगा फायदा?
इससे ग्रीन फाइनेंसिंग यानी ग्रीन लोन को बढ़ावा मिलेगा. ग्रीन फाइनेसिंग का मतलब है पर्यावरण से जुड़ी पहलों में निवेश करना जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, विंड एनर्जी टर्बाइन आदि.
सेबी का ईएसजी को इस तरह बढ़ावा देने का फायदा ईएसजी म्यूचुअल फंड को मिल सकता है. कोविड पैंडेमिक के दौरान ये स्कीम शुरू की गई थीं लेकिन इन्हें खुदरा निवेशकों से बहुत अच्छा रिस्पोंस नहीं मिला. पिछले कुछ महीनों में ईएसजी फंड से काफी निकासी भी देखी गई. लेकिन अब सेबी के इस कदम से उम्मीद है कि ईएसजी म्यूचुअल फंड में निवेश में तेजी आएगी.