कोरोना संकट नया और ज्यादा विकराल रूप लेकर लौटा है. ठीक एक साल पहले जब इस संकट ने दस्तक दी थी तो कई सीख दे गया था. उसमें से एक है फाइनेंशियल प्लानिंग की समीक्षा करना और उस हिसाब से बदलाव करना. जब लॉकडाउन लगा और अर्थव्यवस्था का पहिया जाम हुआ तो लाखों लोगों की नौकरी गई और कइयों ने सैलरी में कटौती होते देखी. खर्च में कोई कमी नहीं लेकिन इनकम घटी. जरूरतें बढ़ीं लेकिन कमाई पर ग्रहण लगा. ऐसे में काम आए इमरजेंसी फंड (Emergency Fund). लेकिन जिन्होंने इमरजेंसी फंड नहीं बनाया था उनके लिए दिक्कतें ज्यादा थी. इस बार फिर कई राज्यों ने स्थानीय लॉकडाउन का ऐलान किया है. इसलिए जरूरी है कि आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में इनकम में किसी भी तरह की रुकावट के लिए तैयार रहें.
जैसा कि नाम में भी कहा है, ये वो पैसा है जिसे आप किसी भी जरूरत के वक्त इस्तेमाल कर पाएं. इस रकम को निकालने के लिए आपको लंबा इंतजार ना करना पड़े. ना ही आप इस पैसे पर कोई रिस्क लें ना ही किसी ऐसी जगह इसे निवेश करें जहां किसी गिरावट आने पर मूल रकम की रिकवरी के लिए आपको समय देना पड़े. इस पैसे को रिटर्न कमाने की नजर से ना देखें, बल्कि इस रकम की सुरक्षा और परिवार के लिए सहूलियत के तौर पर रखें.
नौकरी जाने या सैलरी में गिरावट आने पर आप इस पैसे का इस्तेमाल कर जरूरी खर्चों की पूर्ति कर सकें.
फिनसेफ की फाउंडर मृण अग्रवाल के मुताबिक इस फंड में आपको कम से कम 6 महीनों के खर्च के बारबर की रकम जमा करनी चाहिए. इस रकम को सुरक्षित रखने के लिए आप बैंक के सेविंग्स खाते और लिक्विड फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं.
उनका कहना है कि आपको इमरजेंसी फंड का 25 फीसदी हिस्सा बैंक अकाउंट में रखना चाहिए और बाकी रकम को किसी लिक्विड फंड में डालना चाहिए. मान लीजिए आपको 1 लाख रुपये का इमरजेंसी फंड बनाना है तो 25 हजार रुपये आप सेविंग्स खाते में रखें और बाकी 75 हजार रुपये को लिक्विड फंड में निवेश करें
लिक्विड फंड म्यूचुअल फंड की वो कैटेगरी है जहां सुरक्षित विकल्पों में निवेश किया जाता है और आपको पैसे निकालने की सुविधा होती है.
फिनफिक्स (FinFix) की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी का कहना है, “कोविड-19 की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन (Lockdown) ने किसी भी अर्थिक तनावपूर्ण परिस्थिति के लिए हमारी अधूरी तैयारी को उभारा. इसमें हासिल सबसे बड़ी सीख ये थी कि 6 महीने से लेकर एक साल के खर्च के बराबर का इमरजेंसी फंड बनाना जिसमें EMI, प्रीमियम और निवेश की किस्तों का भी हिसाब लगाया गया हो.”
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के दौर में आपको अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग समीक्षा करनी जरूरी है. इसमें अपने इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस का कवर भी रिव्यू करें.