बाजार नियामक सेबी ने सभी फंड हाउसेज को स्मॉलकैप और मिडकैप स्कीम्स का रेगुलर स्ट्रेस टेस्ट करने और इसकी रिपोर्ट जारी करने के निर्देश दिए थे. इसी के तहत गुरुवार को निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) ने अपनी पहली स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट जारी की है. जिसमें बताया गया है कि स्मॉल-कैप फंड पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत बेचने में 27 दिन लगेंगे, वहीं 25 प्रतिशत एसेट का निपटान करने में 13 दिन लगेंगे.
सेबी के निर्देश के बाद कई दूसरे म्यूचुअल फंड हाउस ने भी 14 मार्च 2024 को अपनी स्ट्रेस रिपोर्ट जारी की है, लेकिन निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप फंड का स्ट्रेस टेस्ट रिजल्ट इसके साइज और इसके पास मौजूद स्टॉक की संख्या के कारण ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. इसके पोर्टफोलियो में 200 से अधिक स्टॉक हैं. निप्पॉन 46,044 करोड़ रुपए के एसेट अंडर मैनेजमेंट के साथ सबसे बड़े स्मॉलकैप फंड को मैनेज करता है. फंड हाउस ने 2023, जुलाई से नए एकमुश्त निवेश स्वीकार करना बंद कर दिया है.
मिड कैप फंड की बात करें तो निप्पॉन इंडिया ग्रोथ फंड को बाजार में तेज बिकवाली की स्थिति में अपने पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत बेचने में सात दिन लगेंगे, जबकि 25 प्रतिशत पोर्टफोलियो परिसमापन केवल चार दिनों में किया जा सकता है. निप्पॉन इंडिया ग्रोथ फंड फरवरी आखिर तक 24,481 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ शीर्ष 10 मिड-कैप योजनाओं में से एक है.
इन फंड हाउसों ने भी जारी की रिपोर्ट
शीर्ष 10 स्मॉल-कैप फंडों में से 19,606 करोड़ रुपए के एयूएम वाले एक्सिस स्मॉल कैप फंड ने रिपोर्ट में बातया कि उसे अपने पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत बेचने में 28 दिन लगेंगे. वहीं डीएसपी स्मॉल-कैप फंड जिसके पास फरवरी के आखिर तक 13,703 करोड़ रुपए का एयूएम था, उसे अपने पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत बेचने में 32 दिन लगेंगे. जबकि क्वांट म्यूचुअल फंड की स्मॉल-कैप योजना के 50 प्रतिशत बेचने में 22 दिन लगेंगे.
आरबीआई ने जोखिम को लेकर जताई थी चिंता
सेबी ने फरवरी में मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेग्मेंट में जोखिम को लेकर चिंता जताई थी. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने फंड हाउस कंपनियों से इस मामले में बन रहें स्ट्रेस को दूर करने के लिए कहा. इसके तहत फंड हाउसों को 15 मार्च से हर 15 दिन में एक बार अपनी और एएमएफआई की वेबसाइटों पर स्मॉल और मिड कैप का स्ट्रेस टेस्ट करने और रिजल्ट जारी करने को कहा था. इसका मकसद औसत म्यूचुअल फंड निवेशक को किसी के इक्विटी पोर्टफोलियो की लिक्विडिटी पर बाजार की अस्थिरता के जोखिम और प्रभाव से रूबरू कराना है.