आपने निवेश के लिए म्यूचुअल फंड (mutual funds) को चुना है, ये अच्छी बात है, लेकिन इसमें कुछ बदलाव करने से आप ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं. यहां हम ऐसी कुछ टिप्स के बारे में बात करेंगे जिनसे आपका रिटर्न कई गुना बढ़ सकता है.
डायरेक्ट प्लान पसंद करें
डायरेक्ट प्लान पसंद करने से आपको इनवेस्टमेंट पर 1%-1.5% ज्यादा रिटर्न मिल सकता है. रेगुलर प्लान में 1-1.5% ब्रोकरेज चुकाना पड़ता है और नो-लोड फंड में तो इससे भी ज्यादा चार्ज लगता है.
रेगुलर प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) कम होता है. आपने 20 साल के लिए हर महीने 10,000 रुपये निवेश करने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान को पसंद किया है तो 2% एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) और 12% सालाना रिटर्न के बाद आपको 73.41 लाख रुपये मिलेंगे. लेकिन, आप डायरेक्ट प्लान पसंद करते हैं तो 1% एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) के हिसाब से आपको 10.84 लाख रुपये ज्यादा, यानी 84.25 लाख रुपये मिलता है.
स्टेप-अप SIP को चुनें
आप हर महीने SIP के जरिए निवेश करते हैं तो उसमें थोड़ा इजाफा करने से रिटर्न में बहुत बड़ा फायदा होता है, जिसे स्टेप-अप SIP कहते हैं. मान लीजिए, आप हर महीने 30,000 रुपये की SIP से 10 साल तक निवेश करते हैं तो सालाना 12.5% रिटर्न के हिसाब से कुल 71.82 लाख रुपये का फंड जुटा पाएंगे.
यदि आप हर साल इसमें 10% इजाफा करते है, यानी पहले साल हर महीने 30,000 रुपये फिर दूसरे साल हर महीने 33,000 रुपये, फिर 36,000 रुपये और ऐसे ही 10 साल तक निवेश करने से कुल 96.95 लाख रुपये की राशि इकट्ठा कर पाएंगे. यानी, हर साल सिर्फ 10% इसाफा करने से आप 35% ज्यादा बचत कर सकते हैं.
करेक्शन में टिके रहें और ज्यादा युनिट खरीदें
जब मार्केट में बड़ी गिरावट आए या जब मार्केट मंदी के चरण से गुजर रहा हो तब आपको कम भाव में ज्यादा यूनिट खरीदने का मौका मिलता है. आप यदि ऐसे समय में अपनी इक्विटी SIP बरकरार रखते हैं तो इनवेस्टमेंट कॉस्ट को एवरेज करने में मदद मिलती है. ऐसे वक्त में आपको एकमुश्त इनवेस्टमेंट के जरिए अधिक यूनिट खरीद लेनी चाहिए, जिसके कारण आपको वेल्थ में अधिक वृद्धि करने का मौका मिलेगा और आप निर्धारित टारगेट को बहुत ही जल्द हासिल कर पाएंगे.
एकमुश्त नहीं SIP का विकल्प चुनें
एकमुश्त निवेश से अधिकतम रिटर्न हासिल किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपको जब मार्केट निचले स्तर पर हो तब पैसा डालना होगा और जब मार्केट टॉप पर हो तब निकालना होगा. अब ये कोई नहीं जानता कि मार्केट का बॉटम और टॉप कहां है. इसलिए एकमुश्त के मुकाबले SIP के जरिए निवेश करने से आप धीरे-धीरे अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं.
इंडेक्स फंड चुनें
जैसे डायरेक्ट प्लान सस्ते हैं वैसे ही पैसिव फंड में भी खर्च कम होता है. हांलाकि, इंडेक्स फंड का मुख्य मकसद मार्केट के इंडेक्स के परफॉर्मेंस की नकल करने का है. ऐसे प्लान में मैनेजर का जोखिम कम हो जाता है. सक्रिय तौर पर मैनेज्ड फंड में मेनेजर का एक्स्पेंस ज्यादा होने से फंड का रिटर्न कम हो जाता है, इसके मुकाबले लो-कॉस्ट, लो-रिस्क फंड्स में थोड़ा फायदा होता है.
डाइवर्सिफिकेशन
अपनी रिस्क-कैपेसिटी को ध्यान में रखते हुए लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप फंड में निवेश करना चाहिए. जो निवेशक ज्यादा रिस्क ले सकते हैं, वे स्मॉल-कैप चुनें और कम-रिस्क लेने वाले निवेशक लार्ज-कैप में ही निवेश करें.
डायवर्सिफिकेशन एक सीमा के अंदर होना चाहिए, ज्यादा डाइवर्सिफइकेशन भी अच्छा नहीं है, वर्ना पोर्टफोलियो के भीतर बहुत सारे फंड के प्रदर्शन को ट्रैक करना मुश्किल हो जाएगा और यहां तक कि आपके समग्र पोर्टफोलियो रिटर्न पर भी खराब असर पड़ेगा.