'सेहत' पर दांव लगाने लगे म्यूचुअल फंड, IT शेयरों को लेकर कंफ्यूज

आईटी सेक्‍टर पर नजर डालें तो उनका आउटलुक थोड़ा धुंधला दिख रहा है.

'सेहत' पर दांव लगाने लगे म्यूचुअल फंड, IT शेयरों को लेकर कंफ्यूज

देश की इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में आईटी सेक्‍टर का योगदान काफी अहम रहा है. तमाम एक्‍सपर्ट ऐसी उम्‍मीद लगाते हैं कि आगे भी देश की इकोनॉमी को तेज ग्रोथ आईटी सेक्‍टर की बड़ी भूमिका रहेगी. लेकिन शेयर बाजार में निवेश करने वाले म्‍यूचुअल फंड लगता है कि इस कहानी से कन्विंस नहीं हैं. म्‍यूचुअल फंड निवेश के के लिए हेल्‍थकेयर सेक्‍टर को ज्‍यादा तरजीह दे रहे हैं.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंश‍ियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून के अंत तक सभी 20 बड़े फंड हाउस ने हेल्‍थकेयर सेक्‍टर को ओवरवेट यानी निवेश करने लायक कैटेगिरी में रखा है. दूसरी तरफ, IT सेक्‍टर को लेकर इनमें से सिर्फ छह ने ऐसा रुख अपनाया है. सच तो यह है कि म्‍यूचुअल फंड इंडस्‍ट्री के समूचे आवंटन में टेक्‍नोलॉजी सेक्‍टर का हिस्‍सा तीन साल के निचले स्‍तर 9.3% तक पहुंच गया है.

हेल्‍थकेयर शेयरों पर क्‍यों बढ़ा दांव?

अब यह समझते हैं कि हेल्‍थकेयर सेक्‍टर के शेयरों को लेकर म्‍यूचुअल फंड क्‍यों ज्‍यादा बुलिश हैं? बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक अमेरिका में कारोबारी माहौल में सुधार हो रहा है और महंगाई निचले स्‍तर पर है. इसकी वजह से आगे ब्‍याज दरों के बढ़त पर अब अंकुश लगने की संभावना है. भारत की फार्मा कंपनियों के कारोबार का बड़ा हिस्‍सा अमेरिका से आता है. इसके अलावा हेल्‍थकेयर सेक्‍टर के शेयरों में वैल्‍युएशन भी फिलहाल आकर्षक दिख रहे हैं.

DSP म्‍यूचुअल फंड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘अमेरिका में जेनेरिक दवाओं के बेस बिजनेस प्राइसिंग में सुधार हो रहा है. अमेरिकी एफडीए ने दवा कारखानों की फिजिकल इंस्‍पेक्‍शन की फिर से शुरुआत की है. इससे नए दवाओं को मंजूरी मिलने और अवसरों के बढ़ने की संभावना है. इसके बाजवूद अभी फार्मा कंपनियों के वैल्‍युएशन भी सस्‍ते हैं.’
हाल के महीनों में हमने ऐसी कई खबरें देखी हैं जिसमें अमेरिकी एफडीए के प्रतिनिधियों ने भारतीय दवा कारखानों का दौरा किया है.

आईटी शेयर क्‍यों पसंद नहीं?
दूसरी तरफ अगर आईटी सेक्‍टर पर नजर डालें तो उनका आउटलुक थोड़ा धुंधला दिख रहा है. WhiteOak Capital MF के चीफ इनवेस्‍टमेंट ऑफिसर रमेश मंत्री कहते हैं, ‘आईटी सेक्‍टर में अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. मांग में कमी और मार्जिन पर उसके असर को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. भारतीय आईटी इंडस्‍ट्री पर AI टेक्‍नोलॉजी का लॉन्‍ग टर्म में क्‍या असर होगा, इसके बारे में भी अभी अनिश्चितताएं हैं. हालांकि टीसीएस के नतीजों से बाजार ने कुछ राहत महसूस की है.’
गौरतलब है कि टीसीएस का जून तिमाही का नतीजा अच्‍छा रहा है और इसकी वजह से पिछले हफ्ते Nifty IT index भी मजबूत हुआ.

अगर दूसरे सेक्‍टर की बात करें तो फंड हाउस ने ऑटोमोबाइल और कैपिटल गुड्स शेयरों में भी निवेश किया है. दूसरी तरफ, प्राइवेट बैंकों, एनबीएफसी और कंज्‍यूमर डिस्‍क्रेशनरी गुड्स (consumer discretionary goods) से उन्‍होंने दूरी बनाई है.

Published - July 18, 2023, 02:38 IST