म्यूचुअल फंड में निवेश कर लोग अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं ताकि महंगाई को मात दी जा सके और अच्छी रकम तैयार हो सके. म्यूचुअल फंड में निवेश लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि अभी तमाम वित्तीय साधनों में जो भी रिटर्न या ब्याज मिल रहा है, वह महंगाई के मुकाबले बहुत ज्यादा नहीं होता. खासकर शेयर बाजार से जुड़े म्यूचुअल फंड बहुत अच्छे रिटर्न देते हैं. इनकी बदौलत बहुत से लोग अच्छा फंड तैयार कर पाए हैं. लेकिन लोगों का म्यूचुअल फंड पर भरोसा इस कदर बढ़ गया है कि कई लोग आंख मूंदकर धड़ाधड़ म्यूचुअल फंड खरीदे जाते हैं और कई लोगों के पोर्टफोलियो में दर्जनों स्कीम शामिल हो जाती हैं.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि म्यूचुअल फंड की ज्यादा योजनाओं में निवेश कोई अच्छी प्रैक्टिस नहीं है. इसके कई नुकसान हैं. किसी के भी पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा स्कीम्स नहीं होनी चाहिए. अगर आप बहुत ज्यादा म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ऐसा हो सकता है कि आपका निवेश एक ही जैसे शेयरों या एसेट में हो जाए, जिसे होल्डिंग की डुप्लीकेसी कहते हैं. इसकी वजह यह है कि कई फंड का एक ही तरह के एसेट में निवेश हो सकता है.
जैसे अगर आपका चार स्कीम में निवेश हैं और चारों ने ही किसी एक शेयर एक्स में पैसा लगाया है जिसमें 10 फीसदी रिटर्न मिलता है तो आपको चार स्कीम में पैसा लगाने पर भी औसतन 10 फीसद का रिटर्न मिलेगा. अगर आप ऐसे दो ही फंड मैं पैसा लगाते तो भी आपको 10 फीसदी का रिटर्न मिल जाता. इस तरह से निवेश में विविधता का फायदा नहीं मिलता और निवेश का सही इस्तेमाल नहीं होता.
कैसे होता नुकसान है?
असल में होता यह है कि जब बहुत ज्यादा फंड एक ही प्रकृति और गोल के होते हैं तो कुछ फंड अच्छा प्रदर्शन करते हैं और कुछ खराब. पोर्टफोलियो का जो प्रॉफिट होता है, वह कम रिटर्न वाले फंड के मुकाबले समायोजित हो जाता है और इस तरह समूचे पोर्टफोलियो में अच्छा रिटर्न पैदा कर पाना काफी मुश्किल होता है. इसकी वजह से पोर्टफोलियो की निगरानी कर पाना भी काफी कठिन होता है. ज्यादा फंड होने और खासकर अगर खराब प्रदर्शन वाले एसेट्स के साथ कई फंड हैं, तो ऐसे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन की समीक्षा कर पाने में काफी समय लगता है और यह चुनौतीपूर्ण भी होता है. यानी अपने पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा म्यूचुअल फंड रखने से आपका रिटर्न सुधरता नहीं बल्कि रिटर्न कम हो सकता है और कई बार शायद महंगाई से भी कम रिटर्न मिलता है.
कितनी स्कीम होनी चाहिए?
इसके लिए कोई तय संख्या नहीं है कि आपके पास कितने फंड होने चाहिए या कितने नहीं होने चाहिए. इसकी बस एक सीमा तक संख्या होनी चाहिए. ज्यादा स्कीम की जरूरत नहीं है. सिर्फ कुछ म्यूचुअल फंड में निवेश करने से भी आपके पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन की संभावना बढ़ सकती है, जोखिम प्रबंधन में सुधार हो सकता है और आप अच्छी संपदा का सृजन कर सकते हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक आदर्श तौर पर देखें तो किसी के भी पोर्टफोलियो में 8 से 9 स्कीम पर्याप्त हैं.. इनमें दो शॉर्ट टर्म की जरूरतों के लिए, 2 मीडियम टर्म की जरूरतों के लिए और 4-5 लॉन्ग टर्म की जरूरतों के लिए. मीडियम टर्म के लिए आमतौर पर हाइब्रिड फंड चुनते हैं. लॉन्ग टर्म के लिए अपने जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर इक्विटी या हाइब्रिड किसी भी फंड में निवेश किया जा सकता है.
निवेश के लिए क्या रणनीति अपनाएं?
इसके तहत सबसे जरूरी है गोल आधारित निवेश की रणनीति. यह देखिए कि अपने हर गोल के लिए किस तरह से निवेश करना सही है और इस गोल को पाने के लिए एक टाइम लिमिट तय कीजिए. प्रभावी मनी मैनेजमेंट के लिए यह जरूरी है. गोल आधारित निवेश सिद्धांत से आपको म्यूचुअल फंड की विशाल दुनिया से अपने निवेश के लिए कुछ अच्छे फंड चुन पाएंगे और अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अगर आप निवेश की दुनिया में नए हैं और सुरक्षित खेलना चाहते हैं तो फंड्स का ऐसा परफेक्ट कॉम्बिेनशन तैयार करें जिसमें आपको नुकसान की भी चिंता न हो और आपको एक सेहतमंद संतुलन मिले. आपकी जोखिम सहने की क्षमता कितनी है, आपका वित्तीय लक्ष्य क्या है, आपको पैसिव मैनेजमेंट चाहिए या एक्टिव… इन सबकी जानकारी के आधार पर आपको अपना विकल्प चुनना चाहिए. वाइजइंवेस्ट (Wiseinvest) के सीईओ हेमंत रुस्तगी कहते हैं कि बहुत ज्यादा म्यूचुअल फंड में निवेश करने की समस्या सिर्फ गोल आधारित निवेश रणनीति से ही दूर हो सकती है. जब आप म्यूचुअल फंड्स में गोल आधारित रवैया अपनाते हैं तो फंड्स की निगरानी आसान हो जाती है.
उदाहरण के लिए अगर कोई ऐसा कंजर्वेटिव निवेशक है, जो ज्यादा जोखिम और उतार-चढ़ाव के बिना लॉन्ग टर्म में एक अच्छा वेल्थ तैयार करना चाहता है तो उसे लार्जकैप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए.. अगर निवेशक मॉडरेट यानी मध्यम स्तर का जोखिम लेना चाहता है तो वह फ्लेक्सीकैप फंड का चुनाव कर सकता है. अगर कम राशि का निवेश करना हो तो एक या दो स्कीम ही काफी है.