म्यूचुअल फंड में पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो समझना है जरूरी, जानें कमाई पर पड़ेगा कितना असर

Portfolio Turnover Ratio: ये म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में होल्डिंग्स के उस हिस्से को दिखाता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान बदलाव आया है.

, Mutual Funds Vs Index Funds: Know which one is better for you?

इंडेक्स फंड या एक्सपेंस रेशियो 1 फीसदी से अधिक ना हो यह ध्यान रखना चाहिए और उसकी ट्रैकिंग एरर देखनी चाहिए.

इंडेक्स फंड या एक्सपेंस रेशियो 1 फीसदी से अधिक ना हो यह ध्यान रखना चाहिए और उसकी ट्रैकिंग एरर देखनी चाहिए.

Turnover Ratio: जब आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हो तो आप देखते हो कि उसके एक साल या पांच साल के रिटर्न कैसे हैं. फंड का एक्सपेंस रेश्यो कैसा है, फंड मैनेजेर कौन है इत्यादी. लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है की जिस स्कीम में आप निवेश कर रहे हो उस पोर्टफोलियो को कितने समय बाद रिप्लेस किया गया है. किसी भी फंड का पोर्टफोलियो एक समान नहीं होता, वो बदलता रहता है. टर्न ओवर रेश्यो आपको ये बताता है कि पिछले एक साल में म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो कितना बदला है.

क्या है पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो?

पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में होल्डिंग्स के उस हिस्से को दिखाता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान बदलाव आया है.

कैसे होता है कैलकुलेट?

पोर्टफोलियो टर्नओवर की गणना करने के लिए कुल परिसंपत्तियों के औसत से कुल खरीद या कुल बिक्री मूल्य, जो भी कम हो, में भाग दिया जाता है. इसे अमूमन 12 महीने की अवधि के लिए बताया जाता है. इसको एक उदाहरण से समझें तो एक म्यूचुअल फंड का एवरेज एयुएम (AUM) 1000 करोड़ रुपये का है. अब अगर फंड ने 1600 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज को खरीदा है और 1000 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज को बेचा है तो यहां पर सेल्स की लागत कम है  – ये हमें ध्यान में रखना होगा. यानी 1000 करोड़ को 1000 के एवरेज एयुएम (AUM) से डिवाइड करने पर टर्नओवर रेश्यो 1 यानी 100% मिलता है.

टर्नओवर रेश्यो कम होने का क्या है मतलब?

एक लो टर्नओवर रेश्यो इंगित करता है कि फंड मैनेजर अपनी स्टॉक खरीद के बारे में आश्वस्त है और लंबी अवधि के लिए इसे होल्ड करता है. इसका यह भी अर्थ है कि फंड मैनेजर को कंपनियों को चुनने में अपनी पसंद पर काफी ज्यादा भरोसा है. इसलिए, इस तरह के फंड में लेनदेन की लागत कम होगी. इंडेक्स फंड में बहुत कम पोर्टफोलियो टर्नओवर होता है क्योंकि फंड मैनेजर एक ही शेयर और एक ही रेश्यो में शेयर बाजार के इंडेक्स में निवेश करता है.

ऊंचे टर्नओवर रेश्यो का क्या असर?

सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने में कॉस्ट समाविष्ट होती है जो फंड हाउस आपसे लेता है. एक हाई पोर्टफोलियो टर्नओवर का मतलब निवेशक के लिए ऊंचा कास्ट है और यह लंबे समय में रिटर्न को प्रभावित करेगा. डायनैमिक एसेट एलोकेशन वाले फंड्स का खर्च अपेक्षाकृत ज्यादा होता है. एक हायर चर्न एक संकेत है कि फंड अंडरपरफॉर्म कर रहा है.

समझें बारीकियां

क्या किसी फंड का टर्नओवर रेश्यो ज्यादा है तो उसे बुरा माना जाएगा. बिलुकल नहीं. अगर किसी म्यूचुअल फंड का टर्नओवर रेश्यो ज्यादा है लिकन वो अच्छा रिटर्न दे रहा है और रिस्क पेरामीटर्स भी सही है तो कोई चिंता की बात नहीं है. हालांकि, कम रिटर्न के साथ हाई टर्नओवर इस बात का संकेत है कि आपको म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो की समीक्षा करने की जरूरत है.

कैसे करें तुलना?

कुछ सेक्टर्स ऐसे भी हैं, जिसमें बहुत ही कम ऐसेट्स की जरूरत होती है, इस लिए उस सेक्टर के लिए यह रेश्यो ज्यादा होता है. इस लिए हमेशा दो समान सेक्टर्स की कंपनियों के ही एसेट्स टर्नोवर रेश्यो की तुलना करनी चाहिए.

Published - June 26, 2021, 02:02 IST