Mutual Fund Investment: बड़ी कमाई की शुरुआत करनी हैं तो समझें कैसे काम करते हैं म्यूचुअल फंड

Mutual Fund Investment: बाजार के मूड के मुताबिक निवेश की स्ट्रैटजी ना बदलें बल्कि अपने लक्ष्य के अनुसार निवेश कीजिए, जानें कैसे चुनें सही फंड

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Mutual Fund Investment

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म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) – इसके नाम में ही छिपा है इसका मतलब. म्यूचुअल यानि आम सहमति से कुछ लोग मिलकर अपने पैसों को एक फंड में पूल करके डालते हैं तो बनता है म्यूचुअल फंड. जो जितने अनुपात में पैसा डालेगा उस हिसाब से उसे फायदा या नुकसान मिलेगा. सुंदरम म्यूचुअल फंड के MD और CEO सुनील सुब्रमण्यम के मुताबिक अगर हर 500 रुपए पर 50 रुपए का फायदा मिलता है तो केवल 500 रुपए का निवेश करने वाले को 50 रुपए का फायदा होगा तो वहीं जो 1000 रुए का निवेश करेगा उसे 100 रुपए का फायदा होगा .

कितने तरह के म्यूचुअल फंड्स हैं ?

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के जरिए आप शेयर मार्केट या डेट यानि उधारी मार्केट में पैसा निवेश करते हैं .

शेयर बाजार से जुड़े म्यूचुअल फंड इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) कहलाते हैं और डेट मार्केट से जुड़े म्यूचुअल फंड डेट म्यूचुअल फंड कहलाते हैं . सालों का अनुभव रखने वाले एक्सपर्ट रिसर्च करके फंड्स तैयार करते हैं और ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के जरिए इन्हें बेचा जाता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं पड़ती. सुनील सुब्रमण्यम के मुताबिक एक सुरक्षित पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड दोनों तरह के फंड का हिस्सा होना चाहिए. आपका पोर्टफोलियो अलग-अलग तरह के फंड से डायवर्सीफाइड रहेगा और उसे बैलेंस्ड रखेगा. डेट म्यूचुअल फंड में रिस्क कम है इसलिए रिटर्न भी कम रहता है वहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड में रिस्क ज्यादा है और बेहतर रिटर्न भी मिलता है. नए निवेशकों के लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड सही रहते हैं क्योंकि इसमें थोड़ा इक्विटी और थोड़ा डेट दोनों होता है.

बैलेंस्ड फंड, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, अग्रेसिव हाइब्रिड – ये सभी हाइब्रिड MF कैटगरी में आते हैं.

कैसे चुनें अपने लिए फंड?

निवेशक अपनी रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार निवेश तय करें. सुनील सुब्रमण्यम के मुताबिक तीन तरह के निवेशक होते हैं – कंजर्वेटिव- जो बिल्कुल भी रिस्क नहीं लेना चाहते , मॉडरेट- जो थोड़ा संभलकर रहते हैं और कम मात्रा में रिस्क ले सकते हैं और अग्रेसिव जो ज्यादा रिस्क ले सकते हैं. रिस्क लेने की क्षमता हर किसी के अपनी वित्तीय हालत पर निर्भर करेगी. अग्रेसिव और मॉडरेट इन्वेस्टर इक्विटी का हिस्सा ज्यादा रख सकते हैं. कंजर्वेटिव इन्वेस्टर के लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund) अच्छा विकल्प है.

सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट (SIP) को इन्वेस्टमें को EMI समझिए

SIP छोटे-छोटे किस्तों में आपको निवेश करने का मौका देता है. 100, 500 या 1000 रुपए महीने से म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश कर सकते हैं. मार्केट में उतार-चढ़ाव से भी ये आपको सुरक्षित रखता है. कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है. यानी जब बाजार में तेजी तो आपके पैसों में कम यूनिट्स खरीदी जाएंगी और जब गिरावट तो आपको उसी निवेश की रकम से ज्यादा यूनिट्स खरीदे जा सकेंगे जिससे आपको बाजार के उतार-चढ़ाव में भी औसत भाव पर निवेश का मौका मिलेग. बाजार के चढ़ने पर आपको मुनाफा मिलता है और बाजार के गिरने पर आप ज्यादा यूनिट्स खरीद पाते हैं . सुनील सुब्रमण्यम कहते हैं कि बाजार के मूड के मुताबिक निवेश की स्ट्रैटजी नहीं बदलें बल्कि अपने लक्ष्य के अनुसार निवेश कीजिए. लक्ष्य दूर है और बाजार में गिरावट आती है तो अपने निवेश को बढ़ाइए. लक्ष्य पास है और बाजार में बढ़त आती है तो इस मौके में बिकवाली कर दिजिए. गिरावट पर खरीदारी और तेजी में बिकवाली का मंत्र अपनाइए.

सुंदरम म्यूचुअल फंड के MD और CEO सुनील सुब्रमण्यम इस वीडियो में –

Published - April 30, 2021, 07:53 IST