Mutual Fund Expense Ratio: म्यूचु्अल फंड (Mutual Fund) में निवेश के मामले में सिर्फ फंड के अब तक के प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि उसके एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio)को भी काफी अहम माना जाता है.
असल में फंड का एक्सपेंस रेश्यो ही यह तय करता है कि उस स्कीम में निवेश करना आपको सस्ता पड़ेगा या महंगा. एक्सपेंस रेश्यो के कम या ज्यादा होने का सीधा असर आपके रिटर्न पर पड़ता है. लिहाजा किसी भी फंड को चुनने से पहले उसका एक्सपेंस रेश्यो जरूर देख लेना चाहिए.
दरअसल, एसेट मैनेजमेंट कंपनी म्यूचुअल फंड के ट्रांसफर, लीगल, ऑडिटिंग जैसे खर्च भी उठाती है. इसके अलावा वह फंड डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग का भी खर्च उठाती है.
ये सभी खर्च म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदने वाले निवेशकों से ही वसूले जाते हैं. ऐसी सभी खर्च को निकालने के बाद ही म्यूचुअल फंड स्कीम की नेट एसेट वैल्यू निकाली जाती है.
एक्सपेंस रेशियो एक अनुपात है जो म्यूचुअल फंड के प्रबंधन पर आने वाले खर्च को प्रति यूनिट के रूप में बताता है. किसी म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेशियो निकालने के लिए उसके कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट में कुल खर्च से भाग दिया जाता है.
रिटर्न पर असर एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए कि आपने किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में 10,000 रुपये का निवेश किया. अगर इस फंड का एक्सपेंस रेशियो दो फीसदी है, तो इसका मतलब यह है कि इस रकम के प्रबंधन के लिए आपको 200 रुपये की फीस चुकानी होगी.
अगर इस फंड ने कुल 15 फीसदी रिटर्न दिया, तो आपको 13 फीसदी रिटर्न असल में मिलेगा. लेकिन अगर एक्सपेंस रेश्यो 0.50 फीसदी होता, तो आपको इसके मैनेजमेंट के लिए 50 रुपये सालाना फीस देनी होगी और रिटर्न भी 14.5 फीसदी मिलेगा.
कुल मिलाकर एक्सपेंस रेशियो यह बताता है कि आपके निवेश पोर्टफोलियो के लिए म्यूचुअल फंड प्रबंधन आपसे कितनी फीस वसूल रहा है.
एक्सपेंस रेश्यो एक बार में नहीं वसूला जाता है. फंड हाउस अपने रोजाना खर्च कैलकुलेट करने के बाद इसे दैनिक आधार पर निकालते हैं. सालाना एक्सपेंस रेश्यो को साल के ट्रेडिंग डेज में बांट दिया जाता है.
इसे कुल एनएवी पर लगाया जाता है. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो आपका रिटर्न घटा देता है. हालांकि ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का मतलब यह नहीं कि हमेशा आपका मुनाफा कम ही होगा. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड काफी अच्छा रिटर्न भी दे सकते हैं.
सेबी ने एक्सपेंस रेश्यो की सीमा तय की है. 500 करोड़ रुपये के एयूएम वाली स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो अधिकतम 2.25 फीसदी हो सकता है. इसी तरह 500-750 करोड़ रुपये एयूएम वाली स्कीम के लिए एक्सपेंस रेश्यो 2 फीसदी हो सकता है.