Midcap Mutual Funds: कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद इकोनॉमी फिर से खुलने लगी है और सभी इंडस्ट्री में डिमांड सुधर रहे हैं. इतने उतार-चढ़ाव के बीच भी ज्यादातर मिडकैप कंपनियों की बैलेंस शीट दुरुस्त है और ऑपरेशनल कैशफ्लो भी मजबूत है. वहीं, मार्च 2020 में आई गिरावट तो मिडकैप के पक्ष में वैल्यू आई जिससे कीमतों में तेज रिकवरी भी देखने को मिली. मई 2021 में मल्टीकैप फंड में सबसे ज्यादा निवेश आया है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स (AMFI) के डेटा के मुताबिक मई में मल्टीकैप फंड्स 1,954 करोड़ रुपये का निवेश आया है. वहीं, मिडकैप फंड्स में 1,368 करोड़ रुपये का निवेश आया.
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds) के कुल 10.1 लाख करोड़ रुपये के ऐसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में से सबसे ज्यादा बड़ा हिस्सा लार्जकैप फंड्स का ही है. कुल AUM का 18 फीसदी लार्जकैप में है और 16 फीसदी हिस्सा हाल ही में लाई गई कैटेगरी फ्लेक्सी फंड का है. वहीं, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) और मिडकैप फंड दोनों ही AUM में 12-12 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं.
मिडकैप फंड्स ने पिछले 6 महीने और 1 साल की अवधि में अच्छा प्रदर्शन दिखाया है. वैल्यू रिसर्च के डेटा के मुताबिक इक्विटी ओरिएंटेड कैटेगरी में मिडकैप फंड्स ने एक साल में 73.73 फीसदी का रिटर्न दिया है और 3 साल में 15.02 फीसदी और 5 साल में 15.56 फीसदी रिटर्न दिया है.
मिडकैप सेगमेंट में ऐसी कारोबार आते हैं जो भविष्य में लार्जकैप बनने की संभावना रखते हैं और अच्छे रिटर्न देने की काबिलियत रखते हैं. छोटी अवधि के लिए आउटलुक है कि रिटर्न स्थिर सामान्य रहेंगे लेकिन ऐसे निवेशक जो 4 से 6 साल तक इंतजार कर सकते हैं उनके लिए बड़ी कमाई का मौका है.
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के इक्विटी सीनियर फंड मैनेजर अनिरुद्ध नाहा के मुताबिक, “निवेशकों को ध्यान रखना होगा कि मिडकैप फंड में काफी उतार-चढ़ाव रहता है. सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं लेकिन निवेश का नजरिया 5 साल या उससे ज्यादा रखना होगा. उतार-चढ़ाव के बीच, निवेशक एकमुश्त रकम डालने का भी मौका ढूंढ सकते हैं. लंबी अवधि में ही वेल्थ क्रिएशन होता है और इसलिए अच्छे फंड में टिके रहना जरूरी है.”
मिडकैप शेयरों की तेजी को देखते हुए ये ध्यान रखना होगा कि मार्केट आकलन में किस चीज को अकाउंट नहां कर रहा या आगे क्या गड़बड़ हो सकती है. पिछले 3 साल से महंगाई और ब्याज दरें इक्विटी मार्केट के पक्ष में हैं. लेकिन, एक्सपर्ट्स सतर्क रहने की सलाह देते हैं क्योंकि मिडकैप शेयरों में अब भी ऊंची महंगाई दर से दबाव नहीं देखा गया है.
नाहा का कहना है, “महंगाई बढ़ रही है और हाल के जारी आंकड़े ज्यादा राहत नहीं देते. अगर ये महंगाई ग्रोथ पर असर डालती है तो इक्विटी की तेजी पर भी इसका असर पड़ेगा. साथ ही बाजार ये मानकर चल रहा है कि अगली तिमाही तक वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी और आबादी का बड़ा तबका सुरक्षित रहेगा. लेकिन अगर वैक्सीन की उपलब्धता में देरी होती है तो कंपनियों की कमाई में रिकवरी में और समय लग सकता है.”
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कंज्यूमर बिजनेस, केमिकल्स, एग्रो-केमिकल्स और फार्मा सेक्टर में मिडकैप शेयरों में लंबी अवधि में अच्छे ग्रोथ की उम्मीद है. इन कंपनियों की कमाई में बढ़त के आसार हैं और साथ ही रिरेटिंग की भी उम्मीद है जिससे ये भविष्य में लार्जकैप बन सकेंगी.