इंटरनेशनल फंड वो म्यूचुअल फंड (MF) हैं जो विदेशी फंड में निवेश करती हैं. इंटरनेशनल फंड (International Funds) डाइवर्सिफिकेशन का एक अच्छा विकल्प है, जिसके जरिए एक निवेशक अपने पोर्टफोलियो में रिस्क कम कर सकता है. कई बार ऐसा हुआ है कि भारत की अर्थव्यवस्था का हाल खस्ता रहा, लेकिन इसके मुकाबले अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रहीं.
साल 2000 की टेक बबल बर्सट में सेसेक्स जब 21% गिरा था तो अमेरिका के डाओ जोंस में केवल 6 परसेंट की की गिरावट रही थी. ऐसे में घरेलू फंड के नेगेटिव रिटर्न के सामने आपके इंटरनेशनल फंड (International Funds) पॉजिटिव रिटर्न दे रहें होंगे. Finfix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी के मुताबिक, इटरनेशनल फंड आपके पोर्टफोलियो को विदेशी कंपनियों का एक्सपोजर देते हैं और बाहर की अर्थव्यवस्था की नई थीम और सेक्टर में आप निवेश कर पाते हैं.
बिना डीमैट अकाउंट के आप जैसे भारत के म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं ठीक वैसे ही भारत की ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के जरिए आप इंटरनेशनल फंड खरीद सकते हैं. भारतीय रुपए में आप निवेश करते हैं. प्रबलीन के मुताबिक, किसी भी पोर्टफोलियो में 15 -20% तक का एलोकशन इंटरनेशनल फंड में हो सकता है. इंटरनेशनल फंड एक्टिव और पैसिव फंड्स में बंटे हुए हैं.
NASDAQ और Hang Seng जैसे इंडेक्स को ट्रैक करने वाले पैसिव फंड्स हैं जैसे कि मोतीलाल ओस्वाल Nasdaq 100, FOF Kotak Nasdaq-100 और एक्टिव फंड्स में ब्लूचिप कंपनियां और फेसबुक, अमेजॉन, एप्पल, गूगल (FAANG) जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों के फंड्स हैं.
केवल पिछले रिटर्न के आधार पर ही निवेश न करें. जिस देश का फंड है उसकी नीतियों के देखें उस देश के मुकाबले रुपए की स्थिति को देखें और किस सेक्टर की कंपनी का फंड है और उसके ग्रोथ की गुंजाइश के बारे में समझें.
इंटरनेशनल फंड्स पर निवेशकों को उतना ही डेट म्यूचुअल फंड्स के अनुसार टैक्स देना होता है. तीन साल से कम समय तक के लिए निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है, लेकिन तीन साल से अधिक समय तक निवेश करने पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है और 20% के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.
डिस्क्लेमर- जिन फंड्स के नाम लिए गए हैं वो बस सुझाव हैं इनमें निवेश की सलाह नहीं है..
Save नहीं, Invest कर में Finfix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी के साथ देखिए इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड पर पूरी बातचीत–