इंडेक्स फंड (Index fund) जिन्हें पैसिव फंड भी कहा जाता है- ये म्युचूअल फंड की ही कैटेगरी हैं. ये फंड बाज़ार या सेक्टर के इंडेक्स को ट्रैक करते हैं जहां इनका निवेश होता है. यानि किसी एक स्टॉक, डेट या कंपनी से ये नहीं जुडे़ रहते लेकिन बेंचमार्क इंडेक्स ही होते हैं. इंडेक्स में कपनिंयों का जो भी वेटेज है उसी अनुपात में इस फंड का भी निवेश होता है.
क्या इनमें रिस्क नहीं होता है?
ऐसा नहीं है कि इंडेक्स फंड (Index fund) में रिस्क नहीं होता, लेकिन कम होता है. इंडेक्स फंड को आप लो टू मीडियम रिस्क प्रोडक्ट मानकर चल सकते हैं. क्योंकि, बाजार की गिरावट में इनमें भी दवाब आएगा. मोतीलाल ओसवाल के पैसिव फंड, हेड प्रतीक ओसवाल मानते हैं कि इंडेक्स फंड में सबसे बढ़िया रणनीति ये है कि आप इसमें लंबे समय तक के लिए निवेश करें, क्योंकि लंबे समय में इंडेक्स अच्छा रिटर्न देते हैं. इसलिए अगर आप नए निवेशक हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश करने का इरादा रखते हैं तो इंडेक्स फंड अच्छा विकल्प हो सकते हैं.
इंडेक्स फंड कैसे चुनें ?
दो बातों का रखें ख्याल-
1) ट्रैकिंग एरर- अंडरलाइंग इंडेक्स और इंडेक्स फंड (Index fund) के रिटर्न की तुलना देखकर ही फंड चुने. इंडेक्स और फंड के रिटर्न में जितना कम फासला होगा उतना बेहतर.
2) एक्सपेंस रेश्यो- हर फंड के साथ फंड मैनेजर आपसे ये कीमत उस फंड को मैनेज करने के लिए लेता है. इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो वैसे तो एक्टिवली मैनेज्ड फंड से कम होता है लेकिन अलग-अलग कंपनियों के एक्सपेंस रेश्यो को देख लें ताकि आपके लिए लागत कम रहे.
इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट होना ज़रूरी नहीं है. इनमें SIP भी किया जा सकता है. लेकिन, निवेश के पहले अपने रिस्क प्रोफाइल को देख लें. इक्विटी, डेट, गोल्ड और अब तो इंटरनेशनल इंडेक्स को ट्रैक करने वाले इंडेक्स फंड भी आ गए हैं. प्रतीक ओसवाल मानते हैं कि केवल इंडेक्स फंड के जरिए भी अपने पूरे पोर्टफोलियो को डायवरसिफाई किया जा सकता है.
पूरी बातचीत इस वीडियो में-