रजत को कारोबार से बड़ा मुनाफा हुआ है. वह इस रकम को इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं..लेकिन दुविधा में है कि क्या बड़ी रकम का एकमुश्त निवेश करना ठीक रहेगा या रुक-रुक कर. लेकिन डर है कि रुक-रुक कर निवेश करेंगे तो कहीं बीच में ही पैसे किसी और काम के लिए खर्च न हो जाएं. साथ ही बाजार की चाल का ठिकाना नहीं रहता कभी ऊपर तो कभी नीचे.
क्या है विकल्प?
रजत जैसे निवेशकों को एकमुश्त रकम का निवेश सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान यानी STP के जरिए करना चाहिए. इसमें सीधे एक साथ पूरा पैसा इक्विटी फंड में निवेश नहीं होता है. पहले पूरा पैसा लिक्विड फंड जैसे किसी डेट फंड में निवेश किया जाता है. इसके बाद धीरे-धीरे इसे STP के जरिए टुकड़े-टुकड़े में इक्विटी म्यूचुअल फंड में डाला जाता है. एकमुश्त रकम पहले जिस स्कीम में जमा होती है उसे सोर्स स्कीम कहते हैं. ये जिस स्कीम में ट्रासफर होती है उसे टार्गेट स्कीम कहते हैं.
STP अनुशासित तरीके से म्यूचुअल फंड की एक स्कीम में जमा रकम को उसकी दूसरी स्कीम में ट्रांसफर करता है. इसके तहत ज्यादातर लोग डेट स्कीम से इक्विटी स्कीम में एक निर्धारित अवधि तक पैसा ट्रांसफर करते रहते हैं. इसकी अवधि आमतौर पर 6 महीने, 1 साल या 2 साल होती है. निवेशकों को यह भी विकल्प मिलता है कि वे कितनी बार यानी कब-कब रकम ट्रांसफर करना चाहते हैं हर हफ्ते, हर महीने, तिमाही या और किसी विकल्प में.
एसटीपी असल में किसी म्यूचुअल फंड की एसआईपी की तरह होते हैं. अंतर बस यह होता है कि STP के तहत एक स्कीम से दूसरी स्कीम में पैसा ट्रांसफर होता है जबकि SIPs में पैसा निवेशक के बैंक अकाउंट से फंड हाउस के पास जाता है. STPs के जरिए निवेश करने पर कोई एंट्री लोड नहीं लगता, यानी किसी तरह की निवेश फीस नहीं देनी होती, लेकिन यूनिट बेचने पर निवेश वैल्यू के अधिकतम 2 फीसदी तक का एग्जिट लोड लगता है. म्यूचुअल फंड निवेशक को टारगेटे स्कीम में कम से कम 6 बार फंड ट्रांसफर करना होता है और अधिकतम ट्रांसफर की सीमा नहीं.
किस तरह से लगता है टैक्स?
STP के तहत जब आप फंड ट्रांसफर करते हैं तो इसमें एक ही साथ सोर्स स्कीम से एग्जिट यानी रीडम्पशन माना जाता है और टारगेट स्कीम में यूनिट की खरीद मानी जाती है. इसलिए हर बार जब आप रकम ट्रांसफर करते हैं तो सोर्स स्कीम की यूनिट पर जो कैपिटल गेन होता है उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स यानी STCG या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स यानी LTCG टैक्स देना होता है.. यह इस पर निर्भर करता है कि आपकी सोर्स स्कीम किस तरह की है जैसे कि इक्विटी ओरिएंटेड या डेट ओरिएंटेड और यूनिट में निवेश कितने अवधि तक बना रहा.
STP से एक बार में ज्यादा रकम निवेश करने के जोखिम से आपको बचाता है, इस तरह से आप बाजार के उतार-चढ़ाव के जोखिम से भी बच जाते हैं. Moneyfront के CEO मोहित गंग कहते हैं कि अगर आपके पास निवेश के लिए बड़ी रकम हो,तो ऐसे में म्यूचुअल फंड में STP विकल्प बेहतर रहता है. उतार-चढ़ाव वाले बाजार के लिए STP का तरीका मददगार रहता है.
एकमुश्त निवेश से STP कैसे है बेहतर?
रिटर्न के मामले में एकमुश्त निवेश के मुकाबले STP रिटर्न के मामले में भी आगे है. STP के जरिए निवेश करने पर सोर्स स्कीम यानी जिस स्कीम में एकमुश्त निवेश करते हैं उससे रिटर्न मिलता है और जब पैसा टार्गेट स्कीम में जाता है तो वहां से भी रिटर्न मिलता है. अगर राहुल के पास 2 लाख रुपए हैं इसे अगर वो इक्विटी फंड में एकमुश्त निवेश करते तो एक साल में 2,000 यूनिट जमा होंगे और 113 के एनएवी पर उनके निवेश की वैल्यू 2 लाख 26 हजार रुपए होगी.
अब इस रकम की STP पर देखिए कैसे रिटर्न मिल रहा है. राहुल ने 2 लाख रुपए का एकमुश्त निवेश लिक्विड फंड में किया. इसमें से हर महीने 16,667 रुपए इक्विटी फंड में ट्रासंफर हुए. 12 महीने 16,667 रुपए ट्रांसफर होने के बाद जो राशि लिक्विड फंड में बचती है उसपर 8 फीसदी का सालाना रिटर्न मिला. दूसरी तरफ जब ये 16,667 है इक्विटी फंड में जमा होंगे तो वहां यूनिट्स जुड़ते जाएंगे. एक साल में जमा हुए 2055 यूनिट. इसकी वैल्यू साल के अंत में 2,32,173 रुपए हो गई. इसके अलावा, उन्होंने लिक्विड फंड में जो निवेश किया उसकी वैल्यू रही 7,718 रुपए. इस तरह, साल के अंत में उनके निवेश की कुल वैल्यू 2,39,891 रुपए पहुंच गई. इस तरह साफ है कि STP की मदद से राहुल को 13,891 रुपए की अतिरिक्त कमाई हुई.
तो STP की ये रणनीति ऐसे निवेशकों के लिए सही है जो बाजार के उतार चढ़ाव में एकमुश्त रकम का निवेश करना चाहते हैं. अगर आपके पास एकमुश्त निवेश नहीं बल्कि हर महीने छोटी-छोटी राशि लगाना चाहते हैं तो आपके लिए SIP ही सही है.