24 साल की शीतल की पहली नौकरी का पहला महीना उत्साह में कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला. इसके बाद पहली सैलरी मिलने की जो खुशी थी वह तो शीतल बयान ही नहीं कर सकतीं. लेकिन पैसा जिम्मेदारियां भी लाता है. पहली सैलरी मिलने के साथ ही वह इस बात का गुणा-भाग करने में लग गईं कि इस पैसे से क्या-क्या करना है.
तमाम खर्चों का आइडिया लगाने के बाद उन्हें लगा कि कुछ पैसा हर महीने बचा सकती हैं, तो उनके मन में आया कि इसे हर महीने कहीं निवेश किया जाए. लेकिन रिसर्च करने पर उन्हें इतने तरह के निवेश ऑप्शन दिखे कि वे कंफ्यूज हो गईं कि क्या करें. ऐसे में उनके एक वरिष्ठ सहयोगी अतुल ने उन्हें म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह दी. लेकिन बात यहां अटक गई कि अभी उनकी पहली नौकरी है, बिल्कुल शुरुआती कमाई है. ऐसे में किस तरह से म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना चाहिए?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे पहले शीतल जैसे युवा निवेशक को एक म्यूचुअल फंड में सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश शुरू करना चाहिए. SIP में आप हर महीने 100 रुपए या 500 रुपए जैसी मामूली रकम से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड्स में भी अलग-अलग फंड हाउस की दर्जनों स्कीम हैं. अब सवाल है कि इनमें से चयन कैसे करें? तो किसी स्कीम को चुनने में उम्र, वित्तीय लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता, आय जैसे कई फैक्टर्स का ध्यान रखना होता है.
इन कारकों को ध्यान में रखते हुए आप टॉप फंड हाउसेज की कुछ बेस्ट स्कीम के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करें. SIP के जरिए निवेश एक बहुत सुविधाजनक तरीका है, जिसमें आपके बैंक अकाउंट से हर महीने पैसा अपने आप कटकर निवेश होता रहता है.
इसमें सबसे फायदे की बात यह है कि रूपी-कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है, यानी बाजार के उतार-चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं होता और यह ध्यान नहीं रखना पड़ता कि किस समय निवेश करें. SIP में आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ही फायदा ज्यादा मिलेगा. जल्दी निवेश शुरू करने से कम्पाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि प्रभाव की वजह से आपका निवेश बढ़ता रहता है.
नौकरी की शुरुआत करने वाले युवा ही होते हैं तो ऐसे लोग किसी इक्विटी फंड के लार्जकैप, मिडकैप या स्मॉलकैप फंड में पैसा लगा सकते हैं. यही नहीं वे लॉन्ग टर्म के लिए थीमेटिक फंड में भी पैसा लगाने का जोखिम ले सकते हैं. वे चाहें तो अपने पोर्टफोलियो में कुछ डेट फंड, हाइब्रिड फंड भी रख सकते हैं जिससे जोखिम कम हो जाएगा.
Moneyfront के CEO और Co-Founder मोहित गर्ग कहते हैं कि पहली नौकरी के साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर महीने होने वाली बचत का कम से कम 20 फीसद हिस्सा SIP के जरिए किसी म्यूचुअल फंड में लगाया जाए. धीरे-धीरे यह हिस्सा बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि लॉन्ग टर्म में अच्छा कॉर्पस तैयार हो सके.
अब यह भी जान लीजिए कि म्यूचुअल फंड पर टैक्स किस तरह से लगता है. इक्विटी फंड के मामले में अगर आप फंड के यूनिट्स एक साल के भीतर रीडीम करते हैं, तो उन पर 15% की दर से टैक्स लगता है. एक साल के बाद रीडीम करने पर आपको 10% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. एक वित्त वर्ष के भीतर एक लाख रुपए तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता.
दूसरी तरफ अगर डेट फंड की बात करें तो 1 अप्रैल 2023 से लागू नए नियम के मुताबिक अब इनमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का बेनिफिट नहीं मिलता. अब किसी भी अवधि के रिटर्न को शॉर्ट टर्म गेन माना जाता है और इस पर निवेशक को अपने टैक्स ब्रैकेट के मुताबिक टैक्स देना होता है.
हालांकि एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि नए निवेशकों को सिर्फ म्यूचुअल फंड के भरोसे नहीं रहना चाहिए, बल्कि एफडी, पीपीएफ, गोल्ड आदि में निवेश कर एक बैलेंस्ड और डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
कुल मिलाकर कहा जाए तो नए निवेशकों के लिए निवेश के बहुत से अवसर मौजूद हैं. तो सबसे पहले अपना एक बजट बना लें और यह देखें कि आप कितना इनवेस्टमेंट कर सकते हैं. इसके बाद बेहतर यह है कि किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद से निवेश के पहले पायदान पर कदम रखें.