अगर आपका म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) उसके बेंचमार्क फंड से बेहतर रिटर्न दे रहा है तो आने वाले दिनों में उस पर म्यूचुअल फंड कंपनी आपसे ज्यादा फीस भी वसूल सकती है. शेयर बाजार नियामक सेबी ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहा है. इसके लिए सेबी की ओर से एक वर्किंग कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी फंड के प्रदर्शन के आधार पर फीस स्ट्रक्चर तैयार करने पर काम करेगी.
निवेशकों को कैसे होगा फायदा?
पर्फोर्मेंस बेस्ड फीस की व्यवस्था होने पर निवेशकों को अच्छे फंड्स का चुनाव करने में आसानी होगी. इससे वे यह तय कर पाएंगे कि दूसरे फंड के मुकाबले किस फंड में बेहतर रिटर्न मिलेगा. मौजूदा व्यवस्था में यह समझ पाना बहुत मुश्किल होता है कि कि कौन सा फंड आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन करेगा. हालांकि फंड चुनने में तरीके में कोई अंतर नही आएगा. सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि इस प्रस्ताव का फंड मैनेजर्स पर सकारात्मक असर पड़ेगा. फंड के प्रदर्शन के आधार पर फीस चार्ज करने से उन्हें बेहतर रिटर्न देने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. हालांकि निवेशकों से बहुत ज्यादा फीस चार्ज नहीं ली जाएगी. अगर पर्सेंटज के आधार पर फीस वसूली जाती है तो यह फीस दो फीसद से ज्यादा नहीं होगी.
किस तरह से वसूली जाएगी यह फीस?
सीएफपी जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं दो तरीके से फीस वसूली जा सकती है. म्यूचुअल कंपनियां अलग से फीस चार्ज कर सकती हैं. दूसरा तरीका ये है कि ये फीस एक्सपेंस रेश्यो में शामिल की जाए. कंपनी अपने किसी भी खर्च को एक्सपेंस रेश्यो में शामिल करती है. अगर ये फीस एक्सपेंस रेश्यो में शामिल होती है तो निवेशकों के लिए समझना मुश्किल होगा कि उनसे ज्यादा फीस क्यों ली जा रही है? ऐसे में फीस अगर अलग से ली जाए तो निवेशकों की समझ के लिए बेहत विकल्प होगा.