FD में लगाया पैसा बढ़ती महंगाई को नहीं दे पाएगा मात, पूंजी इकट्ठी करने के लिए ये तरकीब अपनाएं निवेशक

Fixed Deposit: अगर महंगाई ऊंचे स्तर पर और ब्‍याज की कम दरें जारी रहीं तो फिक्स्ड डिपॉजिट में किया गया निवेश नुकसानदायक हो सकता है.

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काउंसिल फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक अंडरस्टैंडिंग (CIEU-Council for International Economic Understanding) ने कहा, आईपीओ फंडिंग एक अधिक जोखिम वाला व्यवसाय है अगर यहां मुनाफा अधिक है तो घाटे की भी संभावना बनी रहती है.

काउंसिल फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक अंडरस्टैंडिंग (CIEU-Council for International Economic Understanding) ने कहा, आईपीओ फंडिंग एक अधिक जोखिम वाला व्यवसाय है अगर यहां मुनाफा अधिक है तो घाटे की भी संभावना बनी रहती है.

अगर महंगाई ऊंचे स्तर पर और जमा पर ब्‍याज की दरें कम रहती हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) में लंबे समय के लिए किया गया निवेश आपकी संपत्ति के लिए नुकसानदायक हो सकता है. कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में यह नहीं कहा जा सकता है ऐसे हालात कब तक रहेंगे. रिटेल महंगाई दर 5.5% के स्तर पर मंडरा रही है. ऐसे में फिक्स्ड इनकम इनवेस्‍टमेंट से निवेशक शायद ही बड़ी पूंजी खड़ी कर पाएं. ज्यादातर बैंक महंगाई के हिसाब से या उससे कम पर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) रेट देते हैं, लेकिन एफडी ब्याज पर ब्याज और निवेशकों को उनके रुपयों पर निगेटिव ग्रोथ के साथ छोड़ दिया जाता है.

क्या कहता है गणित?

अगर एक आकलन करें तो मौजूदा ब्याज और महंगाई की दरों पर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) में निवेश किए गए 100 रुपये (दोनों 5.5% की गणना के आधार पर) पर आपको मिलने वाला रिटर्न नुकसान में ले जाएगा.

अगर 5 साल के बाद की सोचें तो 130 रुपये अभी के 100 रुपये के बराबर ही होंगे. वहीं इस 130 रुपये के ब्याज पर 30% कर के साथ एक निवेशक को  मिलने वाली रकम घटकर 120 रुपये रह जाती है. ऐसे में अगर देखें तो निवेशक को उसके जमा किए गए रुपयों का नुकसान ही हुआ है.

म्यूचुअल फंड्स के जरिए इक्विटी में निवेश

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारतीयों को धन बनाने के लिए अपने पोर्टफोलियो में अच्‍छी संख्‍या में इक्विटी को शामिल करना होगा. इसे करने का एक तरीका म्युचुअल फंड के जरिए निवेश करना है. हालांकि, बाजार में उपलब्ध सैकड़ों निधियों के साथ, एक निवेशक के लिए डेटा को क्रंच करना मुश्किल है क्योंकि कई लोग पेशेवर वित्तीय सलाहकारों से परामर्श नहीं करते हैं.

आनंद राठी प्राइवेट वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अज़ीज़ के मुताबिक, मौजूदा दौर के अस्थिर मार्केट में जहां ये स्‍पष्‍ट नहीं है कि परिसंपत्ति आंवटन लेने वाले के लिए अच्‍छा है या नहीं उसे डायनमिक एसेट एलोकेशन फंड्स में निवेश करना चाहिए. वजह है कि ये फंड्स उसे स्थिर रिटर्न प्रोवाइड कर सकते हैं.

वाइट ओक कैपिटल कॉन्सर्ट के सीईओ आशीष पी सोमैया के मुताबिक, अगर आप बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स को देखते हैं, तो वे कंजरवेटिव निवेशकों के लिए एक बेहतरीन अवसर हैं, जो एक ही समय में निश्चित आय खरीद में अपना सारा पैसा नहीं लगाना चाहते हैं. ये हाइब्रिड म्युचुअल फंड इक्विटी और डेट दोनों का फायदा देते हैं, जिससे एक ही फंड में ग्रोथ के साथ-साथ पूंजी की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके. यहां हम इक्विटी, डेट और अन्य निवेश श्रेणियों (सोना, अचल संपत्ति आदि) के लिए 31 जनवरी 2021 को उनके निवेश के साथ 10 बैलेंस्ड एडवांटेज फंड दिखा रहे हैं.

10 बैलेंस्ड एडवांटेज फंड
सोमैया का कहना है कि ऐसे फंडों में इक्विटी एक्सपोजर और फिक्स्ड इनकम एक्सपोजर को कैलिब्रेट करने और रिकॉल करने का फायदा होता है, जो वैल्यूएशन इंडिकेटर्स और मार्केट की ‘चीपनेस’ या ‘एक्सपेंसिवनेस’ पर निर्भर करता है. “बैलेंस्ड एडवांटेज फंड पांच साल की अवधि में कम अस्थिरता वाले हाई सिंगल डिजिट या दोहरे अंकों का रिटर्न पाने का एक शानदार अवसर है.

ये फंड बाजार के अनुरूप इक्विटी के स्तर को समायोजित करते हैं. जैसे-जैसे बाजार का स्तर बढ़ता है, इक्विटी में उनका एलोकेशन कम होता जाता है; और जैसे ही बाजार गिरता है, वे अपने इक्विटी एलोकेशन में वृद्धि करते हैं.

Published - April 16, 2021, 01:16 IST