आयकर विभाग (Income Tax Department) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन इंडेक्स (Cost of Inflation Index) को नोटिफाई कर दिया है. अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के लिए ये 317 तय किया गया है और ये असेसमेंट ईयर 2022-23 पर लागू होगा. लेकिन, ये इंडेक्स आपके किस काम का है? महंगाई तो हम सब समझते हैं. हमारे निवेश, पैंसों और फाइनेंस पर महंगाई का क्या असर होता है हम सब इससे भी वाकिफ हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे कई निवेश हैं जिनमें लंबी अवधि तक निवेश रखने पर इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता है. यानी, महंगाई जिस तेजी से बढ़ी है उसकी वजह से आपके मुनाफे की वैल्यू पर जितना असर पड़ा है उतना घटाकर ही टैक्स लगेगा. नहीं समझे? यहां हम आपको इसे आसान शब्दों में और कैलकुलेशन के साथ समझा रहे हैं.
आज से 10 साल पहले 1000 रुपये की जो वैल्यू होती थी, यानी जितनी खरीदारी आप पहले 1000 रुपये में कर लेते थे, उतनी अब नहीं कर पाएंगे. यही है महंगाई. यानी, जब आपने वर्षों पहले निवेश में 1,000 रुपये लगाए होंगे तो उसकी वैल्यू आज के 1,000 रुपये से ज्यादा रही होगी. तो आपको कैपिटल गेन, यानी मुनाफे में भी इसी लिहाज से ग्रोथ दिखनी चाहिए.
इंडेक्सेशन से आपके परचेजिंग प्राइस को बढ़ाकर मुनाफे का कैलकुलेशन किया जाता है.
इंडेक्सेशन बेनेफिट आपके निवेश से हुई इसी कमाई पर महंगाई का कितना असर हुआ है ये आकलन करता है और इसके तहत मुनाफे से कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स की दर घटाकर बची रकम पर ही टैक्स लगता है.
इनकम टैक्स विभाग की ओर से अचल संपत्ति (प्रॉपर्टी), डेट निवेश और गहनों की बिक्री से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है.
शेयर बाजार से मुनाफा कमाया है तो आपको इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा. इंडेक्सेशन का फायदा आपको डेट म्यूचुअल फंड में 3 साल (36 महीनों) से ज्यादा की अवधि के निवेश पर मिलता है.
डेट फंड में 3 साल से ज्यादा के निवेश को लॉन्ग-टर्म माना जाता है और इस पर होने वाले मुनाफे पर 20 फीसदी टैक्स लगता है. लेकिन साथ ही, इसमें इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. मुनाफे में से महंगाई की दर घटाकर बची रकम पर ही ये 20 फीसदी टैक्स देना होगा. इसके अलावा, सोने के गहने और सिक्के (फिजिकल गोल्ड) को 36 महीनों बाद बेचने पर 20 फीसदी का टैक्स लगेगा, इस पर भी इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा.
साथ ही, प्रॉपर्टी बेचने पर भी इंडेक्सेशन का फायदा उठाया जा सकता है.
कैलकुलेशन के वक्त ही ये कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) काम आएगा. इसके लिए आपने जिस साल निवेश किया था उस साल के कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन से जिस साल आप बिक्री कर रहे हैं उसकी कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन से डिवाइड कर जिस कीमत पर खरीदारी की गई थी उससे गुणा करना होगा. तब आपका कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन निकाला जाएगा. फिर उसे मुनाफे से घटाने पर जो रकम आएगी उसी पर टैक्स लगेगा.
इंडेक्स के मुताबिक खरीदारी की लागत = जिस कीमत पर निवेश किया x (बिक्री वाले साल का CII/खरीदारी वाले साल का CII)
मान लीजिए, आपने साल 2011-12 में डेट फंड में 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया था. तब कॉस्ट ऑफ इंफ्लेशन 184 था. और अब इस निवेश की वैल्यू 3 लाख रुपये हो गई है. देखने पर तो आपका मुनाफा 2 लाख रुपये हुआ है लेकिन अब इसमें जानेंगे कि इंडेक्सेशन का फायदा कितना मिलेगा. अब जाप इसे बेचेंगे तो कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन 317 है. अब इसे पहले दिए फॉर्मूले में दिखाते हैं.
इंडेक्स के मुताबिक खरीदारी की लागत = 1,00,000 (317/184)
ये रकम आती है 1,72,282 रुपये. यानी, महंगाई के मुताबिक, आपकी खरीदारी की लागत 1.72 लाख रुपये में आती है. मतलब ये कि आपको 2 लाख रुपये का मुनाफा नहीं हुआ, बल्कि 1,27,718 रुपये का प्रॉफिट माना जाएगा और इतने पर ही टैक्स लगेगा.