म्यूचुअल फंड की मिससेलिंग रोकने के लिए इस उद्योग के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने एक एडवायजरी जारी की है. संगठन ने इस कारोबार से जुड़ी कंपनियों को एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि निवेश का लक्ष्य हासिल करने वाले वितरकों (Distributors) को अतिरिक्त फायदा न पहुंचाया जाए. संगठन ने कहा है कि जो वितरक खासकर सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) में निवेश कराने का लक्ष्य हासिल कर लेते हैं उनके लिए पिकनिक और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन पूरी तरह से बंद किया जाए.
क्यों पड़ी जरूरत?
देश में कुल 44 एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) यानी म्यूचुअल फंड हाउस हैं जो करीब 40 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रही हैं. ये कंपनियां कारोबार बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं लॉन्च करती हैं. इसमें जो वितरक एक निश्चित अवधि में निवेश का निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लेते हैं. उन्हें आर्थिक रूप से लाभ दिया जाता है. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने वितरकों को अतिरिक्त कमीशन देने पर रोक लगा रखी है. इस वजह से म्यूचुअल फंड हाउस लक्ष्य पूरा करने के वाले वितरकों को देश-विदेश में पिकनिक पर ले जाते हैं और कीमती गिफ्ट देते हैं. इस तरह के मामले सेबी के संज्ञान में न आएं इसके लिए उपकृत किए जाने वाले वितरकों को विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. सही मायनों में प्रशिक्षण कार्यक्रम तो महज खानापूर्ति के लिए किया जाता है. इसका असली मकसद वितरकों को रिवार्ड देना होता है.
ग्राहकों पर असर
म्यूचुअल फंड कंपनियां एक दूसरे की देखादेखी अपने नेटवर्क में शामिल वितरकों के लिए हर साल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. इसकी घोषणा कई महीने पहले की जाती है. वितरकों को पहले ही बता दिया जाता है कि लक्ष्य पूरा करने वाले सदस्यों को ही इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा. कुछ कंपनियां ये कार्यक्रम थाईलैंड, मालदीव और मलयेशिया जैसे देशों में रखती हैं जिन पर बड़ी रकम खर्च होती है. इन कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए वितरक अपने ग्राहकों को संबंधित कंपनी के प्रोडक्ट को बढ़ाचढ़ा कर बेचते हैं. कई बार ये प्रोडक्ट रिटर्न के मामले में कसौटी पर खरे नहीं उतरते. कुछ मामलों में ग्रहकों को इस तरह के प्रोडक्ट की जरूरत नहीं होती फिर भी उसे बेच दिया जाता है. कुल मिलाकर इस तरह की मिससेलिंग का खामियाजा ग्राहक को ही उठाना पड़ता है. दूसरी ओर प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर खर्च होने वाली रकम कंपनी अपने मुनाफे में से ही खर्च करती है. कुल मिलाकर इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से ग्राहकों के हित प्रभावित होते हैं.