इस AMC ने लॉन्च किया नया इंडेक्स फंड, जानें पोर्टफोलियो में पैसिव फंड रखना सही या नहीं

आदित्य बिड़ला सन लाइफ निफ्टी 50 ईक्वल वेट इंडेक्स फंड (ABSL Nifty 50 Equal Weight Index Fund) का NFO खुला है जिसमें 500 रुपये में भी निवेश शुरू किया जा सकता है.

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Pixabay - अपने लिए बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का काम कठिन है, लेकिन यहां बताए गए 9 तरीकों से ये कठिन काम आसान हो सकता है.

Pixabay - अपने लिए बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का काम कठिन है, लेकिन यहां बताए गए 9 तरीकों से ये कठिन काम आसान हो सकता है.

आदित्य बिड़ला सन लाइफ ने नया इंडेक्स फंड लॉन्च किया है जिसका न्यू फंड ऑफर (NFO) 2 जून 2021 तक खुला हुआ है. इंडेक्स फंड (Index Fund) को पैसिव फंड भी कहा जाता है और इनका निवेश हूबहू तय बेंचमार्क के आधार पर होता है. वहीं न्यू फंड ऑफर के जरिए म्यूचुअल फंड उस स्कीम के लिए शेयर और अन्य सिक्योरिटी खरीदने के लिए पूंजी जुटाती है. NFO के बाद यूनिट अलॉट होते हैं और लॉन्च के बाद तय नेट ऐसेट वैल्यू (NAV) पर दोबारा निवेश किया जा सकता है.

आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड का नया फंड

आदित्य बिड़ला सन लाइफ निफ्टी 50 ईक्वल वेट इंडेक्स फंड (ABSL Nifty 50 Equal Weight Index Fund) का NFO खुला है जिसमें 500 रुपये में भी निवेश शुरू किया जा सकता है. इस फंड का बेंचमार्क निफ्टी 50 ईक्वल वेट टीआर इंडेक्स है.

ये एक पैसिव फंड है, यानी, फंड हाउस की ओर से इसका एक्टिव मैनेजमेंट नहीं होगा. यही वजह है ऐसे फंड में निवेश पर होने वाला खर्च (एक्सपेंस रेश्यो) एक्टिव फंड के मुकाबले कम होता है.

पैसिव फंड एक तय इंडेक्स की ही नकल करते हैं. मतलब ये, कि जिस तरह उस इंडेक्स में शामिल शेयर में निवेश है उसी तरह फंड का भी निवेश होगा. यही वजह है कि इन फंड्स का प्रदर्शन हूबहू इंडेक्स जैसा होता है. बाजार की चाल तेज तो फंड का प्रदर्शन भी अच्छा लेकिन बाजार में गिरावट पर आपके फंड में भी गिरावट.

इक्विटी फंड होने के नाते इसमें भी जोखिम काफी है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट मानते हैं कि इक्विटी फंड अक्सर लंबी अवधि के लिए ही चुनने चाहिए.

हालांकि, इंडेक्स फंड (Index Fund) में ट्रैकिंग एरर की गुंजाइश रहती है. इंडेक्स के प्रदर्शन और फंड के प्रदर्शन में जो फर्क दिखे वही ट्रैकिंग एरर है.

अलॉटमेंट के 5 कारोबारी दिनों के बाद स्कीम दोबारा निवेश के लिए खुलेगी.

इस स्कीम में कोई एग्जिट लोड नहीं लगेगा. एक्जिट लोड वो पेनल्टी है जो फंड हाउस तय समय से पहले निवेश निकालने पर लगाता है. ध्यान रहे कि ये एक्सपेंस रेश्यो से अलग है. एक्सपेंस रेश्यो रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान का अलग-अलग होगा क्योंकि रेगुलर प्लान में डिस्ट्रीब्यूटर की भी फीस शामिल होती है.

पैसिव फंड पर एक्सपर्ट की राय

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मेहुल अशर पैसिव फंड्स के मुकाबले एक्टिव फंड्स को तरजीह देते हैं. हालांकि, वे मानते हैं कि पैसिव फंड्स में एक्सपेंस रेश्यो, यानी खर्च, एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होता है. अशर के मुताबिक, “अगर आप कम एक्सपेंस रेश्यो चाहते हैं और बेंचमार्क जैसे रिटर्न चाहते हैं तो पैसिव फंड (Passive Index Fund) चुन सकते हैं. एक्टिव फंड्स में फंड मैनेजर की अहम भूमिका रहती है और बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना बनी रहती है. फंड मैनेजर का लक्ष्य रहता है कि वे बेंचमार्क को मात दे और आपको बेहतर कमाई कराकर दे.”

Published - May 22, 2021, 06:39 IST