यदि आप पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं तो आपको खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या इसके पीछे आपकी आदतें, व्यवहार और व्यक्तित्व तो जिम्मेदार नहीं हैं?
पैर पसारने के लिए चादर ही छोटी हो ये जरूरी नहीं क्योंकि अच्छी कमाई करने वाले लोगों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है और उसके लिए जिम्मेदार है आपकी फाइनेंशियल पर्सनैलिटी (Financial Personality).
कितनी तरह की होती हैं फाइनेंशियल पर्सनैलिटीज, क्या इससे नुकसान होता है और क्या इन्हें सुधारा जा सकता है, आइए समझते हैं.
खतरें का निशान हो वहां भी मुनाफा देखने वाले निवेशक इस कैटेगरी में आते हैं. आक्रामक निवेशक अपनी जोखिम उठाने की सीमा से भी ज्यादा जोखिम उठाते हैं और अपने पोर्टफोलियो का संचालन काफी तत्परता से करते हैं. ऐसे निवेशक स्मॉल-कैप कंपनियां, पैनी स्टॉक्स जैसे हाई-रिस्क साधनों में निवेश करते हैं और अपने निवेश का अधिकतम हिस्सा इक्विटी में रखते हैं.
क्या करना चाहिएः ऐसे खतरों के खिलाड़ियों को मूलधन से भी वंचित होना पड़ सकता है. ऐसे निवेशक परिवार के सभी लोगों का फाइनेंस बिगाड़ सकते हैं. ऐसे निवेशकों को वास्तविकता में जो हासिल हो सके ऐसा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. इक्विटी में लंबे समय के लिए और डेट फंड्स में कम समय के लिए निवेश करना चाहिए. ऐसे निवेशक अपनी आक्रामक फाइनेंशियल पर्सनैलिटी का उपयोग प्रॉफिट बुकिंग में करें तो काफी मुनाफा होगा.
इस पर्सनैलिटी के निवेशक (Financial Personality) रिस्क लेने से डरते हैं. ये सिर्फ सेफ्टी के पीछे भागते हैं. निवेश के सारे विकल्प चेक करते हैं मगर अंत में सिर्फ FD, PF और परंपरागत जीवन बीमा स्कीम्स जैसी डेट प्रोडक्ट्स में ही पैसा डालते है. इन्हें कम जोखिम और सुनिश्चित रिटर्न ही पसंद है.
क्या करना चाहिएः ऐसे निवेशकों को बैंक अकाउंट में पड़े पैसों को दूसरी जगह निवेश करना चाहिए. महंगाई दर से भी कम रिटर्न देने वाले साधन से पैसा निकाल कर ज्यादा रिटर्न देने वाले साधनों में निवेश करना चाहिए. इन्हें आर्थिक सलाहकार की मदद लेकर छोटी शुरुआत करनी चाहिए.
ऐसे निवेशक ज्यादा रिसर्च करते हैं. उनके पास सबसे ज्यादा नॉलेज और बैंक अकाउंट में पैसा भी होता है मगर वे हर वक्त बेस्ट मौका ढूंढने में समय बर्बाद करते हैं. ऐसे निवेशक चक्रवृद्धि ब्याज से होने वाले मुनाफे से वंचित रहते हैं.
क्या करना चाहिएः ऐसे निवेशकों को कम से कम शुरुआत करने की जरूरत है. मार्केट में निवेश करने के लिए कभी भी परफेक्ट टाइम नहीं होता है. इन्हें तुरंत शुरुआत करनी चाहिए.
ऐसे निवेशक हमेशा दूसरों की सलाह का इंतजार करते हैं. ऐसे निवेशक नया सीखने से दूर भागते हैं. इन्हें ना तो मार्केट के बारे में कुछ पता होता है और ना ही इन्वेस्टमेन्ट प्रोडक्ट्स के बारे में.
इनके पोर्टफोलियो का आधार सिर्फ दूसरों की सलाह होती है. ये सिर्फ दूसरों को फॉलो करते हैं. ये दोस्तों को फॉलो करते हैं और इन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है. दोस्तों और परिवार के सदस्यों की बात मान कर ये कहीं पर भी पैसा निवेश करते हैं.
क्या करना चाहिएः एसे निवेशकों को आर्थिक साक्षरता बढ़ानी चाहिए. इन्हें अपने जीवन के आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और उसे पूरा करने के लिए सेबी में रजिस्टर्ड आर्थिक सलाहकार की मदद लेनी चाहिए. मार्केट में कई लोग टिप्स देते हैं और मुफ्त की सलाह देते है उनसे दूर रहना चाहिए.
ऐसे निवेशक परिवर्तन से दूर भागते हैं. ये जोखिम उठाने से डरते हैं. इनके पोर्टफोलियो का 100% निवेश डेट साधन में होता है. ये कभी भी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते और पर्याप्त बचत नहीं कर सकते.
क्या करना चाहिएः इन्हें लंबे समय के लिए महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न दे सकने वाले साधन में निवेश करने के लिए जोखिम लेना चाहिए. म्यूचुअल फंड्स के जरिए इक्विटी में निवेश करना चाहिए.
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