Money Mistakes: छोटे लोन, बड़ी मुसीबत! जानलेवा Instant लोन से ज़रा बचके

Money Mistakes: वापी के अश्विन कुमार (बदला हुआ नाम) की सैलरी है 12,000 रुपए. जब ये पिता बने तो खुशियों के साथ एक परेशानी भी खड़ी हुई. इनके बेटे को हर महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. बारह हजार रुपए की तन्ख्वाह में महीने के 4-5 हज़ार का अतिरिक्त खर्च इनके लिए मुमकिन नहीं […]

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जब आप से लेन देने में देरी होगी तो शुरू होगी लोन वसूली के लिए डिजिटल दादागिरी.

जब आप से लेन देने में देरी होगी तो शुरू होगी लोन वसूली के लिए डिजिटल दादागिरी.

Money Mistakes: वापी के अश्विन कुमार (बदला हुआ नाम) की सैलरी है 12,000 रुपए. जब ये पिता बने तो खुशियों के साथ एक परेशानी भी खड़ी हुई. इनके बेटे को हर महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. बारह हजार रुपए की तन्ख्वाह में महीने के 4-5 हज़ार का अतिरिक्त खर्च इनके लिए मुमकिन नहीं था. अश्विन को लेंडिंग ऐप्स के बारे में पता चला जो लोन की छोटी राशि उपलब्ध कराते है और चुटकियों में लोन प्रोसेस कर देते हैं. ऐप डाउनलोड किया और लोन भी मिल गया. लेकिन लोन के साथ जो बात अशविन को समझ नहीं आई वो ये कि 10-15 दिन के बाद लौटा दिए जाने वाले लोन पर इंटरेस्ट रोज़ाना के हिसाब से वसूला जाता है. तो जब हर दिन 2 या 3 % का इंटरेस्ट लगेगा तो सोचिए केवल एक महीने में 60- 90 परसेंट का ब्याज? ब्याज के अलावा लेट फीस का भी मीटर चलता रहता है. अश्विन समय पर लोन नहीं लौटा पा रहे थे उपर से वसूली के कॉल और मेसेज उनके सास- ससुर से लेकर बॉस के पास जाने लगे थे.

उधारी का कुचक्र
जितने दिन की देरी उतना भागेगा ब्याज. ये कंपनियां आप पर वसूली का इतना दबाव बना सकती हैं कि आप एक देनदार का ब्याज चुकाने क लिए दूसरे से लोन ले बैठते और दूसरे से तीसरे और इस तरह आप उधार के कुचक्र में फंस जाते हैं. अशविन ने 2000 रुपए के लोन से शुरुआत की और अब 3.8 लाख रुपए के उधार के पहाड़ के नीचे दब गए हैं. 45 कंपनियों से लोन ले चुकें हैं लेकिन लोन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. डिजिटल लेंडर एसोशिएशन के अनुज कैकर जो खुद MoneyTap नाम के डिजिटल लेंडिंग ऐप के COO और को-फाउंडर हैं- कहते हैं कि इस सेक्टर में कई अनऑर्गनाईज्ड और अनऑफिशियल प्लेयर्स हैं जो लोन देने से पहले लेनदार की लोन वापस करने की क्षमता को जाने बगैर लोन बांट रहें हैं. लोगों को लोन के जाल में फंसा कर गलत तरीके से बकाये की रिकवरी करते हैं. अनुज इन्हें लोन-शार्क्स कहते हैं जो एसे लोगों को ही तलाशते हैं जो बिना ज्यादा पेपरवर्क के लोन लेना चाहते हैं और इस चक्कर में कंपनी की क्रेडिब्लिटी चेक नहीं करते और फंस जाते हैं.

डिजिटल लेंडिग ऐप कैसे बनाते हैं दबाव?
इन ऐप्स को आप गूगल प्लेस्टोर से बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं. इस तरह के ऐप डाउनलोड के लिए आपसे फोनबुक और फोटो गैलरी की परमिश्न मांगी जाती है. जिनको दिए बगैर ऐप डाउनलोड नहीं होगें. जब आप से लेन देने में देरी होगी तो शुरू होगी लोन वसूली के लिए डिजिटल दादागिरी. आपके फोनबुक में आपके दोस्त, रिश्तेदार, मां-बाप से लेकर, सास -ससुर को मेसेज और कॉल जिसमें आपके पैसे नहीं लौटाने वाली बात को बताया जाएगा, डराया-धमकाया जाएगा. आपकी फोटो गैलरी से पर्सनल फोटोज को सोशल मीडिया या पॉर्न साईट पर डालने की भी धमकी दी जाएगी. आपको इतना शर्मिंदा किया जाएगा कि आप और लोन लेकर इसे चुकाएंगे या फिर गिड़गिड़ाते हुए रिश्तेदारों से लोन लेने के लिए मजबूर हो जाएगें. तब तक आपके 5000 का बकाया लोन इंटरेस्ट और लेट फी की वजह से बड़ी राशि बन चुकी होगी. साइबर क्राईम इंवेस्टीगेटर रीतेश भाटिया बताते हैं कि इन लेंडिंग कंपनियों का कोई नाम पता आपको नहीं मिलेगा. इन कंपनियों की साइबर बुल्लिइंग केवल आपकी इज्ज़त की धज्जियां उड़ाने तक सीमित नहीं रहती. ये आपसे जुड़ी निजी और आॉफिशियल जानकारी जैसे कि पैन कार्ड और आधार डीटेल का भी गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. रीतेश ने मुझे कुछ मैसेज्स दिखाए जिसमें लेनदार के आधार और पैन की फोटो फोनबुक के कॉन्टैक्ट लिस्ट के हर नंबर को भेजी जा रही थी. दोस्तों को भेजे गए मैसेज में बोला जाता है कि आपको लोन में गैरेंटर बनाया गया है और लीगल एक्शन का शिकार आप भी हो सकते हैं. डर के आधार पर ये आप पर हावी होने की कोशिश करते हैं. पुलिस के पास जाने पर पुलिस कह देती है कि आपने सारी परमिश्न ऐप को दी है तो हम क्या करें.

डिजिटल लेंडिग ऐप के दबाव में आत्महत्या
आईटी फर्म में काम करने वाले हैदराबाद के निवासी पी सुनील ने लेंडिंग ऐप के डराने-धमकाने वाले कॉल की वजह से 17 दिसंबर को आत्महत्या कर ली. कोरोना की वजह से नौकरी चली गई थी और सुनील लोन वापस नहीं कर पा रहे थे. उनके दोस्त रिश्तेदारों को भी कॉल किए जा रहे थे. कुछ और भी मामले सामने आए हैं जिसमें मशहूर शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के लेखक अभिषेक मकवाना के आत्महत्या की खबर भी लोन की वसूली से जुड़ी हुई है.

MoneyTap के COO और को-फाउंडर अनुज कैकर कहते हैं कि रेगुलेशन की तो सख्त जरूरत है साथ ही में फिनटेक के बढ़ते दौर में सरकार को इस सेक्टर को ऑर्गनाईज़ करने के नियम बनाने की आवश्यकता है. वर्ना रिकवरी की दादागिरी का बाज़ार चलता रहेगा. अनुज ने हमें बताया कि लोन लेनेवालों को भी कुछ बातों का का ख्याल रखना जरूरी है कुछ बातों को चेक किया बिना किसी भी कंपनी से लोन ले लेंगे तो आगे जाकर लेने के देने पड़ सकते हैं.

क्या रखें ध्यान?
– छोटे समय के लिए मिलने वाले लोन से सावधान. इन्हें पे-डे (PAYDAY) लोन भी कहा जाता है. 10 दिन और 15 दिन के टेन्योर वाले लोन से दूर रहें.
– लोन प्रोसेसिंग शुरू करने के पहले ही अगर कंपनी आपसे पैसे मांग रही है तो आपके कान खड़े हो
जाने चाहिए. यानि आप प्रोसेसिंग फीस भी देंगे और प्री प्रोसेसिंग फीस भी.
– हर लोन देना वाला एक लोन रिपेमेंट शेड्यूल भी तय करता है. बिना रिपेमेंट शेड्ययूल के लोन देने वाले की नीयत पर शक होना चाहिए.
-आपसे इनकम प्रूफ की डीटेल मांगी जानी चाहिए. पेपर लेस लोन अप्रूवल में अगर लेंडर आपके लोन वापस करने की क्षमता को नहीं देखेगा तो किस बिनाह पर लोन दे रहा है?
– KYC की प्रक्रिया हो रही है या नहीं.
– किसी बैंक/ NBFC / शेड्यूल बैंक से टाय-अप है या नहीं.
– सबसे जरूरी कंपनी के लेटर हेड में लोन अग्रीमेंट लेटर जरूर मिलना चाहिए.

RBI- बैंक और NBFC को रेगुलेट करती है. जून 2020 में RBI ने लोन रिकवरी के तौर-तरीके पर गाइडलाइंस की याद दिलाई थी. RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक लोन रिकवरी के लिए परिवार या दोस्त रिश्तेदारों को कॉल नहीं किया जाना चाहिए. बॉरोअर से शालीनता से बात हो उसे अपमानित नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन डिजिटल लेंडर्स न बैंक हैं न NBFC और अपने इस ग्रे जोन में वो ब्लैकमेंलिंग का धंधा चला रहें हैं.

Published - January 23, 2021, 07:14 IST