खर्च करने की इन आदतों को बदले बगैर नहीं कर पाएंगे बचत

बहुत लोगों के लिए संपत्ति जोड़ने के लिहाज से पर्सनल फाइनेंस एक गैर-जरूरी मसला होता है. हालांकि, अपने खर्चों का सही प्रबंधन हमेशा काम आता है.

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बिक्री पिछले साल की तुलना में 10-15 प्रतिशत अधिक होगी. उनके मुताबिक, देश भर में, खासकर उत्तर, पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों में बेहतर कारोबार की उम्मीद है

बिक्री पिछले साल की तुलना में 10-15 प्रतिशत अधिक होगी. उनके मुताबिक, देश भर में, खासकर उत्तर, पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों में बेहतर कारोबार की उम्मीद है

पैसा ऐसी चीज है जो कि मरते दम तक आपके जेहन से नहीं निकलता है. पैसे को लेकर सबसे आम ख्याल जो दिमाग में आता है वो ये है कि मैं और कितना ज्यादा कमा सकता हूं? ऐसा इसलिए है कि आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए एक तनावरहित जीवन जीने के लिए यह जरूरी चीज है. इसी वजह से ज्यादातर आबादी हर साल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कमाने की कोशिश करती है. इसके बावजूद रिटायरमेंट के वक्त ज्यादातर लोग इस बात से निराश होते हैं कि उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं बचा है.
इस असंतोष की वजह यह नहीं होती कि उन्होंने कम कमाया, बल्कि इसकी असली वजह पूंजी को सही तरह से खर्च न करना होता है. लोगों की जरूरतें कभी खत्म नहीं होती हैं. इससे उन्हें लगातार कर्जों का भुगतान करना पड़ता है. ऐसे में बाद में उनके पास कोई सेविंग्स नहीं बचती है.
बहुत लोगों के लिए संपत्ति जोड़ने के लिहाज से पर्सनल फाइनेंस एक गैर-जरूरी मसला होता है. हालांकि, वित्तीय तनाव का हल आपकी आमदनी बढ़ाने से कहीं ज्यादा है. ऐसे में अपने खर्चों का सही प्रबंधन हमेशा मददगार साबित होता है. यहां हम आपको ऐसे कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिनसे आप अपनी पूंजी बचा सकते हैं और इसे समझदारी से खर्च कर सकते हैं.

अपना बजट बनाइए

बजट तैयार करने का मतलब है कि आपने तयशुदा खर्चों का आकलन करना. मसलन, आपकी ईएमआई, ईंधन, ग्रोसरी, बिल्स जैसी चीजें इसमें आती हैं. इस तरह के सभी फिक्स्ड खर्चों को हटाने के बाद आपकी कोर सेविंग निकलनी चाहिए. इसके बाद बची हुई रकम को शॉपिंग और और एंटरटेनमेंट पर खर्च किया जा सकता है. आमतौर पर लोग खर्च पहले करते हैं और सेविंग बाद में करते हैं. इसके चलते वे अपने तयशुदा खर्चों को पूरा नहीं कर पाते हैं.
इस कदम से आपको यह पता लगता है कि आपके पास खर्च करने लायक कितना पैसा बच रहा है. इस तरह से आप अपने तय उत्तरदायित्वों और सेविंग्स दोनों को पूरा कर सकते हैं.

वही खरीदें जो जरूरी हो

हम में से ज्यादातर लोगों की ये आदत होती है कि वे बिना किसी बड़े मकसद के अचानक से खरीदारी कर बैठते हैं. इसके बाद लोगों के लिए मुश्किलें होने लगती हैं. कोई भी खर्च पूरी योजना बनाकर करना चाहिए. अचानक किया गया खर्च न केवल आपके बजट में छेद करता है, बल्कि आपकी भविष्य की योजना को भी प्रभावित करता है.

पहले पड़ताल करें तभी खरीदें

तमाम लोग हड़बड़ी में जो भी मिल जाए उसे खरीद लेते हैं. यह आदत अच्छी नहीं होती. किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसकी वैल्यू और जरूरत को समझें. बेहतर होगा घर पर आएं और तसल्ली से दूसरे प्रोडक्ट्स के साथ उसकी तुलना करें. हो सकता है कि आपको अच्छे डिस्काउंट्स और डील्स भी मिल जाएं. इससे आप बचत भी करते हैं और बेहतर प्रोडक्ट भी हासिल कर सकते हैं.

किसी के प्रभाव में आकर खर्च न करें

ज्यादातर लोग कुछ भी खरीदारी करने से पहले अपने दोस्तों, सहयोगियों या परिवार के साथ चर्चा करते हैं. अगर आप मजबूत इच्छाशक्ति वाले शख्स नहीं हैं तो इस बात के पूरे आसार हैं कि आप इन्हीं की दी गई सलाह के मुताबिक खर्च करने का फैसला कर लेते हैं. ऐसे में कई दफा आप गलत चीज ले बैठते हैं. लेकिन, मसला सलाह का नहीं है. मसला आपकी जरूरत और बजट का है. आपके बजट का अंदाजा आपसे ज्यादा किसी को नहीं होता है. ऐसे में कोई भी फैसला करने से पहले अच्छे से सोच-विचार करें.

क्रेडिट से बचें कैश पर जोर दें

क्रेडिट कार्ड्स या ईएमआई का सीधा मतलब ये है कि आप वो पैसा खर्च कर रहे हैं जो कि आपके पास नहीं है. यह न केवल आपके भुगतान को आगे बढ़ा देता है, बल्कि अगर आप पेमेंट करने से चूक जाते हैं तो आपको भारी पेनाल्टी और ब्याज भी चुकाने पड़ते हैं. इससे आपका खरीदा गया उत्पाद महंगा भी हो जाता है और आपकी साख भी खराब होती है. क्रेडिट कार्ड्स का इस्तेमाल केवल मेडिकल जैसी आकस्मिक स्थितियों के लिए होना चाहिए. किसी भी खरीदारी के लिए कैश ही सबसे बढ़िया जरिया है.

अपने लिए जियें, दूसरों के लिए नहीं

एक सामान्य आदमी अपनी कम से कम 10 फीसदी कमाई ऐसे लोगों को इंप्रेस करने में खर्च करता है जिनके साथ वह रहता है या फिर घूमता-फिरता है. इसके चलते बिना-वजह के खर्च होते हैं. ये एक आम आदत है और इसे हर हालत में खत्म होना चाहिए. इसकी बजाय आपको अपनी जरूरत की चीजें लेनी चाहिए. इससे न केवल आपका पैसा बचेगा, बल्कि आपकी फिजूलखर्ची पर भी लगाम लगेगी.

महंगी आदतों से उबरें

महंगे रेस्टोरेंट्स में जाना और हर महीने शॉपिंग करना, लेट नाइट फिल्में या वीकेंड आउटिंग- ये सभी आदतें आपकी वित्तीय सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं. हालांकि, आप इनसे पूरी तरह से मुक्त नहीं हो कते, लेकिन आपको दोनों के बीच में एक संतुलन बैठाना होगा. आप अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट या मूवी देखने वीकेंड की बजाय वीकडे पर जा सकते हैं और अपना खर्च 10-15 फीसदी कम कर सकते हैं. हमेशा डिस्काउंट्स को खंगालें और जहां पैसा बचा सकते हैं वहां इसे बचाने की कोशिश करें.

(लेखक मनी मंत्रा के फाउंडर हैं)

Published - March 28, 2021, 05:26 IST