आप अपने रिश्ते जितनी वफा से निभा रहें हैं क्या उतनी ही वफा आप अपने फाइनेंशियल रिश्ते में भी रखते हैं? दोस्तों के साथ इक्का-दुक्का आउटिंग की बात छिपाने से ये ज्यादा गंभीर है. अगर आप अपने खर्चे और निवेश की जानकारी अपने पार्टनर से साझा नहीं करते तो इसे सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर अमित कुकरेजा ‘फाइनेंशियल बेवफाई’ (Financial Infidelity) मानते हैं. जब पार्टनर एक दूसरे को अपने एसेट, लोन, खर्च और कमाई की जानकारी नहीं देते तो ये रिश्ते में दरार तो पैदा करती है ही, साथ ही बुरे वक्त को और बुरा बना सकती है.
कोविड संकट के इस दौर में फाइनेंशियल जानकारी छिपाना और भी महंगा पड़ सकता है. 40 साल के संजीव की अचानक मृत्यु ने राधिका (बदला हुआ नाम) को हिला कर रख दिया था. राधिका पढ़ी लिखीं होने के बावजूद अपने दो बच्चों के रख रखाव में व्यस्त हो गईं. राधिका को इस बात की खबर नहीं थी कि संजीव ने कहां निवेश किया कहां नहीं – यहां तक कि इसका भी अंदाजा नहीं था कि उनके पति के पास लाइफ इंश्योरेंस भी था या नहीं. बीच में रिश्तेदार भी गलत सलाह देने पहुंच जाते थे. संजीव के बैंक स्टेटमेंट से हर ट्रांजैक्शन को मैच करने के बाद राधिका को सारे इन्वेस्टमेंट का पता चला. लेकिन सोचिए जब आप किसी अपने को खोने के गम से उबर रहें हों और इसमें पता लगाना पड़े कि पार्टनर की सेविंग और इन्वेस्टमेंट क्या-क्या थी तो क्या बीतेगी.
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट मोहिनी महादेविया कहती हैं कि पति-पत्नी कहते हैं कि वो अपने रिश्ते में पैसे को नहीं लाते. लेकिन ये गलत है. पैसा रिश्ते का आधार नहीं है लेकिन एक जरूरी बात है जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. क्योंकि दोनों पार्टनर को पता होना चाहिए कि पैसों के मामले में उनके पास क्या है क्या नहीं है.
शादी के बंधन में बंधते हुए लोग 7 वचन देते हैं लेकिन फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) के लिए ये 9 वचन जरूरी है.
1) दोनों कमाते हैं तो दोनों को पता होना चाहिए कि किसकी कितनी सैलरी है. सैलरी के अलग-अलग कंपोनेंट के जरिए क्या-क्या फायदे मिलते हैं .
2) अगर केवल पति काम करते हैं और पत्नी हाउस वाइफ हैं तब पत्नी को निवेश की हर जानकारी देनी ज्यादा जरूरी बन जाती है. अमित कुकरेजा के मुताबिक भारत में ये एक आम गलती है कि पैसों के निवेश का सारा भार पुरुष खुद लेते हैं. वो पत्नियों के बताते नहीं. लेकिन ये एक बहुत बड़ी गलती है.
3) चाहे महिला काम काजी हो या हाउसवाइफ, हर महीने दोनों को बैठकर घर के खर्च का बजट बनाना चाहिए.
4) इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी, पॉलिसी डॉक्यूमेंट और क्लेम की नौबत में एजेंट/कंपनी किससे बात करनी होगी ये जानें.
5) चाहे निवेश FD में हो, म्यूचुअल फंड, गोल्ड, या क्रिप्टोकरेंसी – सबके रिकॉर्ड बना कर रखें.
6) बैंक अकाउंट में जॉइंट होल्डर नहीं हैं तो नॉमिनी में अपने पार्टनर का नाम दें और उन्हें बताएं कि कितने अकाउंट हैं और कितना पैसा है.
7) अगर लोन है तो उससे जुड़े कागजात का रिकॉर्ड शेयर करें.
8) जिस लक्ष्य के लिए निवेश कर रहें हैं उसकी जानकारी दोनों को होनी चाहिए.
9) अगर आप फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह ले रहें हैं तो उसका नाम-नंबर आपके पार्टनर को जरूर है. इंश्योरेंस एजेंट से लेकर जहां आप काम करते हैं वहां के HR के डीटेल भी पार्टनर के पास रहें.
तो इन 9 बातों का ध्यान रखते हुए अपने फाइनेंशियल जीवन में लाइए पारदर्शिता.