Zomato Stock News: जोमैटो के शेयरों को लेकर क्या है ब्रोकिंग फर्मों की राय?

Zomato stocks news: HSBC ने 112 के काउंटर टारगेट प्राइज के साथ जोमैटो के शेयरों को रिड्यूस रेटिंग दी है. ऐसे में क्या आपको इसमें पैसा लगाना चाहिए?

Zomato Share, Food delivery, Zomato, stellar market, new incentive, riders, cash collected, cash-on-delivery, food order,delivery partners, cash-in-hand,

जुलाई में जोमैटो के शेयर बाजार में लिस्ट हुए थे. बीएसई में यह शेयर 115 रुपए पर लिस्ट हुआ था, जो कि इसके इश्यू प्राइस से 51 फीसदी अधिक था.

जुलाई में जोमैटो के शेयर बाजार में लिस्ट हुए थे. बीएसई में यह शेयर 115 रुपए पर लिस्ट हुआ था, जो कि इसके इश्यू प्राइस से 51 फीसदी अधिक था.

Zomato Stocks News: शानदार लिस्टिंग और Zomato के शेयरों में जारी तेजी के बाद इसको लेकर विशेषज्ञों के बीच अलग अलग विचार हैं. राकेश झुनझुनवाला जहां जोमैटो वैल्युएशन को एक उन्माद बता रहे हैं, उनके मुताबिक कैश फ्लो कहीं भी नजर नहीं आ रहा है. जबकि ग्लोबल ब्रोकरेज इसके विपरीत बुलिश नजर आ रहा है. UBS ने 165 रुपये प्रति शेयर के टारगेट प्राइस के साथ स्टॉक पर खरीदारी की रेटिंग दी है.

जेफरीज ने अनुमान लगाया है कि स्टॉक 12 महीने में 170 रुपये का आंकड़ा छू लेगा. ऐसे ही JM फाइनेंशियल्स ने शुरुआती कवरेज के हिसाब से टारगेट प्राइज 170 रुपये का अनुमान लगाया है.

घाटे में चल रही डिलीवरी कंपनी में निवेश करना है या नहीं, इस पर बहस जारी है. इसको देखते हुए ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने 112 के काउंटर टारगेट प्राइज के साथ Zomato Stocks को रिड्यूस रेटिंग दी है. जो वर्तमान वैल्यू की तुलना में 22.85 रुपये या 17% कम है.

HSBC के मुताबिक, फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) को भारत में तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. पहला, बाकी दूसरे ई-कॉमर्स के जैसे फूड डिलीवरी के विस्तार के लिए सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है.

ब्रोकरेज हाउस ने कहा है कि भारतीय समाज में बाहर का खाना आज भी गलत माना जाता है. दूसरा ई-ग्रॉसरी में एंट्री का फैसला गलत साबित हो सकता है, इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है. और तीसरा, जोमैटो की मौजूदा वैल्यू (Zomato valuations) बहुत ही जोखिम भरी है और इसका कारण आक्रमक ग्रोथ का पूर्वानुमान है.

वित्त वर्ष 2021 के दौरान जहां जोमैटो (Zomato stocks) ने यूनिट इकोनॉमी के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन HSBC की नजर में वो टिकाऊ नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के दौर से पहले हर दिन 15 लाख ऑर्डर जोमैटो (Zomato) को मिल रहे थे. उन ऑर्डर की औसत वैल्यू 280 रुपये थी. एक साल के अंदर ऑर्डर की औसत वैल्यू बढ़कर 400 रुपये जा पहुंची है.

कोरोना के दौर के बाद जैसे जैसे जीवन सामान्य होगा, HSBC के मुताबिक ऑफिस आदि खुलने पर वॉल्यूम में तेज ग्रोथ दर्ज होगी. औसत ऑर्ड वैल्यू में HSBC ने वित्त वर्ष 22 में 5% और वित्त वर्ष 23 में एक और 6% की गिरावट का अनुमान लगाया है.

वैल्यूएशन

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, निवेशकों में Zomato को लेकर भले ही आकर्षण हो लेकिन HSBC का मानना है कि बहुत आशावादी अनुमान के पीछे का कारण ज्यादा वैल्यूएशन है. अगले 10 वर्षों में 26% CAGR (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) GOV (ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू) का अनुमान है. Zomato पिछले दो सालों में अच्छे रिजल्ट के बावजूद, 20x FY30e EPS (प्रति शेयर आय) और c2.5x FY25e GOV पर कारोबार कर रहा है, जबकि इसके ग्लोबल कंपनियां 1-1.5x 2021e GOV पर कारोबार कर रही है.”

(डिसक्लेमर: ये स्टोरी ब्रोकरेज फर्म की रिसर्च पर आधारित है. Money9 और उसका प्रबंधन उनकी निवेश सलाह के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. निवेश करने से पहले कृपया अपने निवेश सलाहकार से सलाह लें)

Published - August 6, 2021, 09:01 IST