उद्यमी, पूंजीपति, और शेयर बाजार के दिग्गज सुदीप बंद्योपाध्याय ने अपने करियर में कई मुकाम हासिल किए हैं और उन्हें फाइनेंस और फाइनेंशियल सर्विसेज के अलग-अलग क्षेत्रों में तीन दशकों का अनुभव है. Inditrade–JRG Fincorp के ग्रुप चेयरमैन के तौर पर उनका मानना है कि कंपनी को राष्ट्र निर्माण के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए. सुदीप बंद्योपाध्याय को वित्तीय दुनिया का एक बड़ा लीडर माना जाता है. अपने ज्ञान और विजन के बूते उन्होंने खुद को एक असाधारण निवेशक के तौर पर साबित किया है. वे वॉरेन बफेट, जिन्हें Oracle of Omaha के नाम से भी जाना जाता है, के प्रशंसक हैं. वे किसी कंपनी की ताकत और उसकी भविष्य की क्षमता के आधार पर शेयरों में निवेश करने में विश्वास करते हैं.
मनी9 ने बंद्योपाध्याय से बात की और यह समझने की कोशिश की कि वे कौन सी बातें हैं जिनकी वजह से वे एक सफल निवेशक बन पाए.
फाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री में आपकी पेशेवर यात्रा की शुरुआत कैसे और किस वजह से हुई?
कॉलेज के दिनों से ही फाइनेंशियल मार्केट में मेरी दिलचस्पी रही है और सीए के आर्टिकलशिप के दौरान मैं वित्त और पूंजी बाजार में निवेश करने लगा. पिछले कुछ वर्षों में मेरी दिलचस्पी और बढ़ने लगी और आईटीसी लिमिटेड के फाइनेंशियल सर्विसेज डिविजन के लिए काम करते हुए मैं एक बड़े भारतीय कॉर्पोरेट द्वारा बनाए गए पहले विविध फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनस के निर्माण में भाग लेने में सक्षम हो पाया.
आपका पूरा दिन किस तरह से गुजरता है और आपके शौक क्या हैं?
मैं हर सुबह लगभग 9.30 बजे से काम करना शुरू कर देता हूं और आमतौर पर अपने कार्यालय में डेस्क पर लगभग 7-7.30 बजे तक रहता हूं. मैं अपनी दिलचस्पी के अनुसार फाइनेंस, फाइनेंशियल सर्विसेज और कॉर्पोरेट जगत से संबंधित समाचार-पत्र, पत्रिकाएं और किताबें पढ़ता हूं. इसके अलावा, मुझे क्रिकेट व फुटबॉल देखना और फिल्मों का आनंद लेना पसंद है.
कोई भी शेयर खरीदने से पहले आप किन बातों का ध्यान रखते हैं?
मेरा निवेश करने का तरीका फंडामेंटल रिसर्च पर आधारित होता है और एक कंपनी की ताकत और उसकी भविष्य की क्षमता पर निर्भर करता है.
आप किस चीज को ज्यादा महत्व देते हैं – दृढ़ विश्वास या विश्लेषण?
मैं किसी भी कंपनी में निवेश करते समय उसकी मैनेजमेंट क्वालिटी और ट्रैक रिकॉर्ड पर ध्यान देता हूं. कंपनी का पिछला प्रदर्शन, उसकी भविष्य की योजनाएं व क्षमता और उद्योग दृष्टिकोण ये सभी बातें तो होती हैं, पर इन सब में से मैं मैनेजमेंट क्वालिटी और ट्रैक रिकॉर्ड को सबसे ज्यादा महत्व देता हूं.
वो कौन सी बातें हैं जिनसे आपको मल्टी-बैगर में तब्दील हो चुके शेयरों को जारी रखने का विश्वास मिलता है?
स्टॉक को होल्ड करने का निर्णय कंपनी और उद्योग के भविष्य के संभावित विकास पर निर्भर करता है.
क्या आपको लगता है कि कुछ ब्लू-चिप शेयर्स को जीवन भर के लिए अपने पास रखना चाहिए?
जिस तरह हम अपनी संपत्तियों, आभूषणों और अन्य कीमती सामानों को अगली पीढ़ी को देते हैं, उसी तरह कोई भी लंबे समय तक ब्लूचिप शेयर्स रख सकता है और इसे अगली पीढ़ी को दे सकता है. मुझे नहीं लगता कि इस मामले में अन्य एसेट क्लास और शेयर्स के बीच कोई अंतर है.
आपने निवेश करने में होने वाली गलतियों से क्या सबक सीखा है?
मैनेजमेंट क्वालिटी का सटीक विश्लेषण नहीं कर पाने की वजह से कई मौकों पर मुझे नुकसान हुआ है. बदकिस्मती से, पहले बहुत कम जानकारियां उपलब्ध होती थी और इस वजह से सही विश्लेषण करना कभी-कभी मुश्किल होता था. आज के समय में हर तरह की जानकारी आसानी से मिल जाती है जिसकी वजह से अब मैनेजमेंट क्वालिटी और ट्रैक रिकॉर्ड का बेहतर विश्लेषण करना आसान हो गया है.
आपका निवेश गुरु कौन है और फिलहाल आप कौन सी किताबें पढ़ रहे हैं?
मुझे वारेन बफेट और उनका निवेश करने का तरीका पसंद है. हालांकि, मैंने कई तरह की किताबें पढ़ीं है. अभी मैं नोबेल पुरस्कार विजेता और व्यवहारिक अर्थशास्त्र के पिता डैनियल काह्नमैन की किताबें पढ़ रहा हूं. अभी मैं उनकी किताब ‘नॉइस’ पढ़ रहा हूं.
एक बार जब महामारी की दूसरी लहर थम जाएगी, तो वे कौन से क्षेत्र हैं जिनमें तेजी आ सकती है?
मेरा मानना है कि एक बार दूसरी लहर थमने के बाद, घरेलू अर्थव्यवस्था-केंद्रित क्षेत्रों में तेजी आ सकती है. निवेशकों को इस समय घरेलू बुनियादी ढांचे, निर्माण और इससे संबंधित शेयरों पर ध्यान देना चाहिए. अभी भी वाजिब वैल्यूएशन पर बेहतरीन स्टॉक उपलब्ध हैं.
व्यक्तिगत तौर पर आप प्रत्यक्ष स्टॉक या म्यूचुअल फंड में से क्या पसंद करेंगे?
मैं 30 से भी ज्यादा वर्षों से बाजार से जुड़ा हुआ हूं, इसलिए व्यक्तिगत तौर पर मैं सीधे शेयरों में निवेश करता हूं. हालांकि, PMS या म्यूचुअल फंड के ज़रिए निवेश करना उन लोगों के लिए बुरा विकल्प नहीं है जो खुद बाजार पर ध्यान नहीं दे पाते हैं.
निवेशकों को आप क्या सलाह देंगे?
एक निवेशक के लिए शेयरों में निवेश करने से पहले खुद रिसर्च करना या किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरूरी है. निवेश के मामले में मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. ध्यान देने वाली दूसरी बात यह है कि कभी भी निवेश करने में जल्दबाजी ना करें. बाजार में बने रहते हुए पहले स्थिति को समझ लें फिर उसके बाद ही निवेश करें.
आखिरी सलाह यह होगी कि अगर यह स्पष्ट हो जाए कि किसी कंपनी में निवेश करने का फैसला गलत था, तो उसे छोड़ देना बेहतर है. इस स्थिति में होने वाले नुकसान को कम करते हुए सही समय पर बाहर निकल जाना चाहिए.