क्या आपको पता है कि एक टायर कंपनी का शेयर इस वक्त भारत में सबसे महंगा है? हां, ये बात सच है और इस कंपनी का नाम है MRF. गुजरे दो दशकों में दलाल स्ट्रीट पर जबरदस्त परफॉर्मेंस देने वाले MRF के शेयरों में निवेशकों ने जमकर चांदी काटी है.
इस बात को ऐसे समझिए. जून 2001 को MRF के शेयर का दाम 640.65 रुपये था. 15 जून 2021 को ये शेयर तब से 12,800% चढ़कर 82,848 रुपये पर पहुंच गया है.
इसका मतलब ये है कि 20 साल पहले इस स्टॉक में लगाए गए 1 लाख रुपये अब बढ़कर 1.28 करोड़ रुपये हो गए होंगे.
क्या करती है कंपनी?
चेन्नई स्थित MRF देश की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर है. इसकी सभी प्रमुख टायर कैटेगरीज में तगड़ी मौजूदगी है. MRF टू-व्हीलर टायरों में मार्केट लीडर है. जबकि, ट्रक और बस (T&B) और पैसेंजर कार रेडियल (PCR) में ये टॉप-3 में आती है.
कंपनी के कुल रेवेन्यू में T&B सेगमेंट की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. इसके बाद टू-व्हीलर और PCR का नंबर आता है.
कंपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में काम करती है. MRF का पूरे देश में सेल्स नेटवर्क है और कंपनी के 9 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं. इनमें से 7 दक्षिणी राज्यों में मौजूद हैं.
टायरों के अलावा कंपनी रबड़ प्रोडक्ट्स, पेंट्स और कोट्स, टॉयज, मोटरस्पोर्ट्स और क्रिकेट ट्रेनिंग के सेगमेंट में भी मौजूद है. 1946 में कंपनी ने टॉय बैलून बनाने के साथ अपनी शुरुआत की थी.
वित्तीय प्रदर्शन
MRF ने गुजरे 20 वर्षों में नेट प्रॉफिट में हर साल 20% की ग्रोथ हासिल की है. वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी की नेट प्रॉफिट बढ़कर 1,277 करोड़ रुपये हो गई है जो कि वित्त वर्ष 2000-2001 में केवल 31.74 करोड़ रुपये थी.
इसी तरह से कंपनी की ग्रॉस सेल्स इस अवधि में करीब 11 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 16,163 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.
हालिया फाइनेंशियल रिजल्ट्स की अगर बात करें तो 31 मार्च 2021 को खत्म हुई गुजरे वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी का कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 51 फीसदी गिरकर 332 करोड़ रुपये रह गया.
इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 के दौरान कंपनी का कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 679 करोड़ रुपये रहा था.
गुजरे वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी का ऑपरेशंस से कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू बढ़कर 4,816 करोड़ रुपये रहा है, जबकि इससे एक वित्त वर्ष पहले की इसी अवधि में ये 3,685 करोड़ रुपये था.
क्यों चढ़ रहा है MRF का शेयर?
MRF और दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट की बर्कशायर हैथवे में एक समानता है. दोनों कंपनियों के शेयर आज तक स्प्लिट नहीं हुए हैं. आमतौर पर लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए कंपनियां समय-समय पर अपने स्टॉक को स्प्लिट करती हैं. लेकिन, MRF ने अपने जारी किए गए बोनस शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया है.
जानकारों को लगता है कि कंपनी अपने इनवेस्टर्स बेस को बढ़ाना नहीं चाहती है, या कंपनी अपने साथ केवल संजीदा इनवेस्टर्स को ही रखना चाहती है. इसकी वजह से ही कंपनी के शेयरों की कीमत इतनी ज्यादा है.
क्या आपको लगाना चाहिए पैसा?
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स 96,217 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ MRF पर पॉजिटिव है. ब्रोकरेज हाउस को उम्मीद है कि कंपनी को अर्थव्यवस्था के खुलने से फायदा होगा.
दूसरी ओर, IIFL सिक्योरिटीज भी MRF के शेयर पर बुलिश है. ब्रोकरेज हाउस ने इसके लिए 90,000 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है. हालांकि, इसने कहा है कि नैचुरल रबड़ और क्रूड प्राइसेज की कीमतों में गुजरे कुछ वक्त में तेजी आई है. दूसरी ओर, टायर इंडस्ट्री कच्चे माल के दाम में तेजी को अपने उत्पादों की कीमतों में पूरी तरह से शुमार नहीं कर पाई है.