SEBI के इस रूल से अनलिस्टेड मार्केट में निवेशकों की होगी बल्ले-बल्ले

किसी कंपनी के IPO के पहले से होल्ड किए गए अनलिस्टेड शेयर को अब IPO के छ महीने बाद बेच सकेंगे, जिससे अनलिस्टेड मार्केट में निवेशकों की संख्या बढ़ेगी.

Sensex may soon touch a big figure of 66,666, investors will become rich

किसी भी तरह से देखा जाए तो यह खुदरा निवेशकों का खराब प्रदर्शन नहीं है

किसी भी तरह से देखा जाए तो यह खुदरा निवेशकों का खराब प्रदर्शन नहीं है

Unlested Market: बाजार नियामक SEBI ने प्री-IPO सिक्योरिटीज के लिए लॉक-इन अवधि की शर्तों में छूट देने का फैंसला लिया है. अब कंपनी के प्रमोटर को छोड़कर दूसरे इन्वेस्टर्स IPO से पहले से होल्ड किए अनलिस्टेड शेयरों को IPO के बाद से 1 साल की जगह 6 महीने में बेच सकते है, यानी लॉक-इन पीरियड एक साल से घटाकर 6 महीने कर दिया गया है. इसके साथ ही SEBI ने यह घोषणा भी की है कि प्रमोटर शेयरहोल्डिंग की लॉक-इन अवधि IPO/FPO के अलॉटमेंट से 18 महीने की होगी, अभी यह अवधि तीन वर्ष की है.

SEBI के शुक्रवार जारी किए आदेश से अनलिस्टेड मार्केट के साथ जुड़ा जोखिम काफी कम हो गया है और इसे IPO लाने की कगार पर बैठे 50 से अधिक यूनिकॉर्न के लिए शुभ संकेत माना जाता है.

क्या है रूलः

अभी प्रमोटर्स को छोड़कर अन्य व्यक्तियों के पास प्री-IPO सिक्योरिटीज रखने की अवधि एक वर्ष की है, अर्थात्, आपके पास अभी पेटीएम के शेयर हैं और Paytm के IPO तक उसे नहीं बेचते हैं, तो आप अगले एक साल तक उसके शेयर नहीं बेच पाएंगे. लेकिन अब रूल बदलने की बजह से आप IPO आने के 6 महीने में ऐसे शेयर बेच सकेंगे.

AIFs को होगा फायदाः

सेबी के बोर्ड ने शुक्रवार को कहा कि, इस निर्णय से ओल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) की कंप्लायंस जरूरतें भी सरल हो जाएगी. श्रेणी I और II के VC फंड/AIF या फोरेन वेंचर केपिटल निवेशक के लिए होल्डिंग अवधि पहले 1 साल थी, जो अब 6 महीने करी दी गई है.

प्री-IPO और अनलिस्टेड शेयर में डीलिंग करने वाली दिल्ली की Unlisted Zone के डायरेक्टर दिनेश गुप्ता बताते हैं, “सेबी के इस बदलाव से पॉजिटिव असर पैदा होगा. AIF की कैटेगरी-3 को लागू होने वाला नियम अब I और II कैटेगरी में भी लागू होगा, जिसके कारण AIF को निवेश करने के लिए बढ़ावा मिलेगा. जहां तक रिटेल इन्वेस्टर की बात है तो ये रूल उनके जोखिम को आधा कर देगा, क्योंकि रिटेल इन्वेस्टर्स में मार्केट सेंटिमेंट को लेकर सबसे ज्यादा डर बना रहता था, जो अब काफी हद तक दूर हो जाएगा.”

रिटेल इन्वेस्टर का रिस्क होगा कम

प्री-IPO और अनलिस्टेड शेयर्स में डील करने वाली कंपनी UnlistedArena.com के स्थापक अभय दोशी बताते हैं कि SEBI के इस रूल की वजह से अनलिस्टेड मार्केट अब अधिक निवेशकों को आकर्षित करेगा. इस मार्केट से जुड़ा रिस्क आधा हो जाएगा, इसलिए अब छोटे निवेशक से लेकर संस्थाकीय निवेशक भी अधिक रिटर्न की उम्मीद के साथ अनलिस्टेड शेयर का होल्डिंग करने के लिए आगे बढ़ेंगे.

सेबी ने IPO/FPO प्रमोटर्स की हिस्सेदारी के लिए लॉक-इन आवश्यकता में छूट को कुछ शर्तों के अधीन मंजूरी दी है. यदि किसी परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए फंड इकट्ठा करने के उद्देश्य से केवल ऑफर फॉर सेल (OFS) इश्यू लाया जाए तो यह छूट मिलेगी. यदि फ्रेश इश्यू के साथ OFS की संयुक्त पेशकश का मामला है तो उद्देश्य केवल परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए फाइनेंसिंग का होना चाहिए.

कॉन्फिडेंस और लिक्विडिटी बढ़ेगी

एक्पपर्ट मानते हैं कि मोटर और प्रमोटर समूह के लिए नियामक ढांचे में बदलाव से स्टार्ट-अप बिरादरी और उनके निवेशकों को बढ़ावा मिलेगा. अब नियामक ऐसी कंपनियों के लिए सरल ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया सहित और अधिक बदलावों के लिए आगे बढ़ेंगे.

अनलिस्टेड और डीलिस्टेड सिक्योरिटीज का कामकाज करने वाली कंपनी मित्तल पॉर्टफोलियोज के डायरेक्टर और Delistedstocks.in के सह-स्थापक मनीष मित्तल बताते हैं, “सेबी के इस रूल के कारण अनलिस्टेड मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स का आत्मविश्वास बढ़ेगा. इस मार्केट में लिक्विडिटी भी बढ़ेगी. कई शेयरों में डिमांड के सामने सप्लाई बहुत कम होती है, लेकिन सेबी के रूल के बाद लिक्विडिटी बढ़ने से यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी.”

Published - August 7, 2021, 03:33 IST