25 साल की उम्र से पहले ही ये निवेशक बन गया करोड़पति

इक्विटी में अरुण मुखर्जी के प्रवेश का अनुमान उनके पिता के उस आग्रह पर लगाया जा सकता है कि उन्हें भाषा में दक्षता के लिए अंग्रेजी अखबार पढ़ना चाहिए.

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अंग्रेजी और गणित पर जोर देने के साथ-साथ शेयर बाजारों (Stock Market) से दूर रहने की सलाह – यही मंत्र अधिकांश बंगालियों के कानों में गूंजता है जब वे स्कूल में होते हैं. पीढ़ियों से इसी कारण बंगालियों को संकोची निवेशक के रूप में प्रसिद्ध कर रखा है. लेकिन स्मार्ट निवेशक 32 वर्षीय अरुण मुखर्जी ने बिल्कुल अलग रास्ता अपनाया.  उनके माता-पिता ने अंग्रेजी सिखाने के अखबार पढ़ने को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने की कोशिशों ने उन्हें शेयर बाजारों (Stock Market) की दुनिया से परिचित कराया, सम्भवतः जिसके खिलाफ उन्हें समझाया गया होगा.

एक विद्रोही

मुखर्जी कुछ याद करते हुए कहते हैं, “मेरे पिताजी बिल्कुल अलग नहीं थे क्योंकि वह चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा अंग्रेजी में निपुण हो.  वह मुझसे अपने पास रखा हुआ एक बिजनेस अखबार पढ़ने के लिए कहा करते थे.  एक दिन अखबार पढ़ते हुए, मैं एक्सेल शीट जैसी कुछ चीजों पर रुक गया. मुझे बताया गया था कि वे स्टॉक कोट्स थे.
मुखर्जी के पिताजी ने उन्हें समझाया कि वे इस दुनिया से बचें क्योंकि 90% शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशक अपना पैसा खो देते हैं.
 “मैं एक विद्रोही था और इसने मुझे प्रेरित किया. प्रेरणा ऐसी दुनिया में जीत हासिल करने की थी जहां बड़ी संख्या में लोग अपना लंबा समय गंवा बैठते हैं, ”मुखर्जी आंखों में चमक के साथ कहते हैं.
उनका पहला निवेश वेलविन इंडस्ट्रीज नामक कंपनी में हुआ, जहां कुछ ही दिनों में उन्होंने अपनी पहली आमदनी हासिल की.

 16 साल की उम्र में तैयारी

वह 16 साल पहले था. जब उनके दोस्त फ्लर्ट और हवाई महल बनाने में व्यस्त थे, उस समय मुखर्जी व्यापारिक समाचार पत्रों के पन्ने पलटने और बाजार के कामों को समझने के लिए शेयरों के बारे में पढ़ने में मशगूल थे. इस कड़ी मेहनत ने उन्हें कैपलिन पॉइंट, अवंती फीड्स, सिम्फनी, सेरा सेनेटरीवेयर, मिंडा इंडस्ट्रीज और हेस्टर बायो जैसे शेयरों को चुनने में मदद की. मुखर्जी ने मनी9 को बताया कि उन्होंने 25 साल की उम्र से पहले अपना पहला एक करोड़ रुपया कमाया.
वर्तमान में, वह सूचीबद्ध कंपनियों के साथ-साथ स्टार्ट-अप में भी सक्रिय निवेशक हैं. मुखर्जी पूरे भारत और विदेशों में शेयर बाजार जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं.

निवेश पद्धति

अनौपचारिक बातचीत के दौरान मुखर्जी जो कुछ भी सुनते हैं, उसमें से बहुत काम काम की बातें इकट्ठा कर लेते हैं. “मैं दुनिया भर में यात्रा करता हूं और गुणी से ज्ञान प्राप्त करता रहता हूं.  उनसे बात करके, मैं अपने शोध शस्त्रागार में जो कुछ भी उपयुक्त प्रतीत होता है उसे जोड़ लेता हूं. हालांकि, मुझे लगता कि सुनी सुनाई बातों का दृष्टिकोण मेरे लिए अद्भुत काम करता है, ”मुखर्जी ने कहा.  हालांकि, उनके पास अलग अलग मैनेजमेंट के बारे में एक खास बात होती है जब वे अपनी कंपनियों की बात करते हैं.

बहुत तेज़ मैनेजमेंट

मज़ाक भरे अंदाज़ में वह कहते हैं, “वे ज़रूरत से ज़्यादा उत्साही होंगे और आपको ललचाती बातों में उलझा लेंगे.” वह किसी भी कंपनी के बारे में निष्पक्ष जानकारी के लिए डीलरों, वितरकों, आपूर्तिकर्ताओं, पूर्व कर्मचारियों, ग्राहकों और विक्रेताओं पर भरोसा करना पसंद करेंगे.

सीखने में बाधाएं

मुखर्जी हमेशा से अपने दम पर कुछ करना चाहते थे. निवेश समुदाय द्वारा अब उनका व्यापक रूप से अनुसरण किया जाता है. ट्विटर पर उनके 80,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
 “एक बंगाली परिवार से होने के नाते, जहां शेयर बाजार एक वर्जित क्षेत्र है, मुझे हर किसी की शक भरी निगाहों का सामना करना पड़ा. जिन लोगों ने मुझे हतोत्साहित किया है, अब वे शुरू में अपने पोर्टफोलियो के बारे में मुझसे सलाह लेते हैं.”

कम संपत्ति रखें

उम्र मुखर्जी के पास अभी बहुत समय है. वह जोखिम लेने से नहीं डरते. “मैं हमेशा एक अच्छी टीम और दृष्टि वाले अद्भुत उद्यमियों की तलाश में रहता हूं. अगर मुझे वे मिल जाते हैं तो मैं उनसे डील कर लेता हूं.  मैं कई स्टार्ट-अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में डील करता हूं. आकार छोटे हैं और सूचीबद्ध संस्थाओं की तुलना में मेरी हिस्सेदारी बहुत अधिक होती है, ”मुखर्जी ने बताया.
उनका मानना है कि हर कोई बाजारों नुक़सान के रूप में ट्यूशन फीस का भुगतान करता है और यही हर किसी के लिए मददगार साबित होता है. वे बताते हैं, “आप अपनी पिछली गलतियों से सीखते हैं और यदि आप उन्हें नहीं दोहराते हैं, तो आप आख़िरकार बेहतर बन जाते हैं.  मैं अब फ़्री हो गया हूं और मुझे जो कुछ भी चाहिए था, शेयर बाजार ने मुझे दिया है.
एक बुद्धिमान निवेशक हमेशा मंदी के दौर में एसेट कम करने की बजाय बढ़ाने की सोचता है.

अब तक कोई कार नहीं

उनका कहना है, “इसीलिए मेरे पास कार नहीं है.  मैं हमेशा एसेट-लाइट बिजनेस मॉडल का शौकीन रहा हूं, जिसका मैं अपने असल जीवन में पालन करता हूं. घर एक ज़रूरत है.  मेरे पास कई घर हैं.  हाल ही में खरीदा हुआ घर मुझे उन चीजों को आराम और मस्ती करने की ज़्यादा आज़ादी देता है जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं.  मैं संपत्ति को हल्का करने के अपने विचार का खंडन नहीं कर रहा हूं.

नए निवेशकों को सलाह

वित्तवर्ष2021 में, म्यूचुअल फंड सहित इक्विटी भारतीय परिवारों की कुल संपत्ति के अनुपात में एकल अंक यानि सिंगल डिजिट में थी. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह ऊंचे दोहरे अंकों में है. मुखर्जी इसे बड़े पैमाने पर उपेक्षित क्षेत्र के रूप में मानते हैं.
उनका कहना है, “हमारी पीढ़ी, विशेष रूप डिमोनेटाइज़ेशन यानी विमुद्रीकरण के बाद, सावधि जमा में पैसा लगाने की इच्छुक नहीं रही होगी. माउस के एक क्लिक पर एक आकर्षक व्यवसाय का मालिक होने का रास्ता चुनना होगा. इसके संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं.”
मुखर्जी हैरानी जताते हुए कहते हैं कि 60 की उम्र में रिटायर होने की बजाय लोग 40 की उम्र क्यों नहीं होते?  उनका मानना ​​​​है कि इक्विटी अमीरों को रिटायर करने और काम से बहुत जल्दी फ्री होने का तरीका है.

इक्विटी को ही खाओ, सोओ और पीओ

 “लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन रेट सिर्फ 10% है.  26% चक्रवृद्धि से आपकी संपत्ति 10 वर्षों में 10 गुना बढ़ जाती है जो मुद्रास्फीति को भी बड़े अंतर से मात देती है. अगर आप ठीक से निवेश कर सकते हैं तो 30 साल में 1000 गुना करना भी कोई बड़ी बात नहीं है. दुनिया में कोई दूसरा संपत्ति वर्ग इतनी मात्रा में धन सृजन नहीं कर सकता. आप मासिक स्टॉक एसआईपी करते हैं या लाभांश वापस करते हैं, यह सब आपके पोर्टफोलियो को उस स्तर तक ले जाता है जहाँ आप सोच भी नहीं सकते हैं, ”उन्होंने कहा. आप जानते हैं यह बचपन में सिखाये जाने वाले गणित के पाठ हैं.
Published - July 17, 2021, 10:48 IST