Startup: कोरोना की दो लहर से गुजरने के बाद तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. इन सबके बीच देश के स्टार्टअप्स (Startup) पर निवेशक मेहरबान नजर आ रहे हैं. इस साल अब तक इन कंपनियों ने रिकॉर्ड 30 अरब डॉलर बटोरे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक बचे हुए साल में स्टार्टअप्स को और फंड्स मिलने की उम्मीद है. इनमें चीन, विदेशी निवेशक और IPO का हाथ रहने वाला है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि इस रफ्तार से बढ़ते हुए आने वाले पांच सालों में भारतीय स्टार्टअप्स 500 अरब डॉलर से अधिक के फंड जुटा सकते हैं.
चीन ने प्राइवेट टेक कंपनियों पर जब से शिकंजा कसना शुरू किया है, वहां की फर्मों पर दांव लगाने वाले विदेशी निवेशक अब भारत का रुख कर रहे हैं. खास तौर पर एजुकेशन टेक्नोलाजी से जुड़ी कंपनियों को फायदा हो सकता है.
चीन के एड-टेक सेक्टर ने बीते 10 साल में अलिबाबा, टेनसेंट, टाइगर ग्लोबल जैसे नामी निवेशकों को खूब आकर्षित किया है. इसका कारण यह था कि यह न्यू इकॉनमी का सेक्टर है, जिसमें चीन तेजी से विस्तार करता आ रहा था.
अब चीनी सरकार ने इस सेक्टर पर भी शिकंजा कसा है. ड्रैगन के बाद भारत ऐसा देश है, जहां इस सेक्टर की ग्रोथ तेजी से हो रही है. निवेशकों के लिए भारत अगला एड-टेक निवेश का गढ़ बन सकता है.
इन विदेशी निवेशकों की नजर दरअसल भारत के मार्केट साइज पर रहती है. यहां मिडल क्साल परिवारों की संख्या बहुत बड़ी है.
कोरोना के बाद बढ़ी लोगों की तकनीकी जरूरतों ने कई स्टार्टअप्स को कारोबार विस्तार का मौका दिया है. साथ ही सस्ते स्मार्टफोन और किफायती इंटरनेट कनेक्शन मिलने से आज नए-नए तरह के प्लेटफॉर्म्स खड़े हो रहे हैं.
इन्हीं ऐप्स, कंपनियों में पैसे लगाने को विदेशी निवेशक आगे आ रहे हैं. इनकी मदद से इस साल में अब तक 16 स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न श्रेणी में पहुंचे हैं. ये वो स्टार्टअप होते हैं, जिनकी कीमत एक अरब डॉलर या अधिक होती है.
मार्केट डेटा तैयार करने वाली कंपनी रेफिनिटिव के मुताबिक, 2021 में अब तक जुटाए गए पैसों में विदेशी निवेशकों का योगदान 13.21 अरब डॉलर का रहा. बीते साल की इतनी अवधि में ये आंकड़ा 4.99 अरब डॉलर पर था.
वहीं, IPO के जरिए अब तक 5.4 अरब डॉलर जुटाए जा चुके हैं. रेफिनिटिव के आंकड़ों के मुताबिक, देश में रही IPO की ग्रोथ इस साल अन्य एशियाई देशों की तुलना में करीब दोगुनी रही है.
जोमैटो की धमाकेदार लिस्टिंग के बाद आने वाले दिनों में पेटीएम जैसे स्टार्टअप्स से बड़े IPO लाने की उम्मीद है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि इस रफ्तार से बढ़ते हुए आने वाले पांच सालों में भारतीय स्टार्टअप्स 500 अरब डॉलर से अधिक के फंड जुटा सकते हैं.