मार्केट के धुरंधर रामदेव अग्रवाल का मानना है कि बेंचमार्क BSE सेंसेक्स (sensex) अगले 10 साल में 2,00,000 का अहम पड़ाव छू सकता है. इससे संकेत मिलता है कि मौजूदा लेवल से सेंसेक्स (sensex) हर साल करीब 15% की ग्रोथ दर्ज करेगा. मौजूदा वक्त में सेंसेक्स 51,400 के लेवल पर बना हुआ है.
2028-29 में 5 लाख करोड़ डॉलर की होगी इकनॉमी
भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर रामदेव बुलिश हैं. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2028-29 तक 5 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगी.
15% ग्रोथ से 2 लाख पर पहुंचेगा सेंसेक्स
हालांकि, उनका मानना है कि कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ अगले दशक के दौरान GDP ग्रोथ के मुकाबले कहीं ज्यादा रहेगी. अग्रवाल ने कहा है, “अगले 10 साल में प्रॉफिट में 15% CAGR ग्रोथ के साथ सेंसेक्स (sensex) 2,00,000 पर पहुंच जाएगा.”
भारत की मजबूत स्थिति
27 मई को अपने नोट में उन्होंने भारत की अनुकूल परिस्थितियों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि सबसे बड़े लोकतंत्र, मजबूत संघीय ढांचे, युवाओं के दबदबे वाले एक बड़े घरेलू मार्केट, तेजी से होते डिजिटलीकरण, तगड़े फॉरेक्स रिजर्व और घटती दरें भारत के फायदेमंद फैक्टर हैं.
मौजूदा कोविड महामारी को एक अस्थाई झटका बताते हुए रामदेव अग्रवाल ने कहा है, “स्थाई सरकार होना भी एक बड़ा फायदा है.”
महामारी की फिक्र कम हुई
अग्रवाल ने कहा कि कोविड महामारी को लेकर अब काफी जानकारी उपलब्ध है और वैक्सीनेशन के साथ इसके खात्मे की शुरुआत हो गई है. उन्होंने कहा, “मुझे K-शेप वाली रिकवरी की उम्मीद है और बड़े कारोबार ज्यादा तेजी से रिकवरी करेंगे.”
इससे पहले BSE सेंसेक्स (sensex) की गुजरे 10 साल में एनुअलाइज्ड ग्रोथ करीब 11% रही है. दूसरी ओर, नोटबंदी, GST लाए जाने और RERA (रेरा) जैसे कानूनों, कच्चे तेल के दाम और कोविड-19 की वजह से मार्केट में उतार-चढ़ाव का दौर रहा है.
वैल्यू माइग्रेशन पर फोकस
अग्रवाल निवेशकों को सलाह देते हैं कि उन्हें वैल्यू माइग्रेशन पर फोकस करना चाहिए. अग्रवाल के मुताबिक, IT, प्राइवेट बैंकिंग और प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस सेक्टरों में वैल्यू माइग्रेशन हो रहा है.
वे कहते हैं, “वैल्यू माइग्रेशन से ऐसे सेक्टरों में बड़े मौके पैदा हो रहे हैं जहां पर वैल्यू इनफ्लो आ रहा है. प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस भी ऐसा ही एक सेक्टर है. इस सेक्टर में पब्लिक से प्राइवेट वैल्यू माइग्रेशन होगा.”
दूसरी ओर, ओपन-अप सेक्टरों को डिमांड के मुताबिक वर्गीकृत किया जा सकता है. वे कहते हैं, “इन सेक्टरों में ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल, पेंट और सेलेक्टिव इंडस्ट्रियल्स आते हैं.”