डोमेस्टिक मार्केट में 18 अगस्त को पहली दफा सेंसेक्स ने 56,000 पर पहुंचने के साथ अपने ऐतिहासिक स्तर को छुआ. BSE-लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 2,42,08,041.64 करोड़ रुपये के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. लंबी अवधि के निवेशकों को मार्केट ने अच्छा रिवॉर्ड दिया है. 25 जुलाई 1990 को, सेंसेक्स ने पहली बार चार अंकों यानी हजार के आंकड़े को छुआ था और अच्छे मानसून और बढ़िया कॉर्पोरेट रिजल्ट के चलते ये 1,001 पर बंद हुआ था.
बुधवार, 18 अगस्त 2021 की बात करें तो सुबह के कारोबार के दौरान, 30-शेयर BSE बेंचमार्क इंडेक्स 312.44 अंक उछलकर 56,104.71 के अपने लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गया, जिसने लगातार पांचवें सेशन में भी इसके बढ़ने का क्रम जारी रखा.
यहां हम शेयर मार्केट के 56000 के अहम पड़ाव पर पहुंचने तक के 9 प्रमुख घटनाक्रमों का जिक्र करेंगे:
जुलाई 1991: मनमोहन सिंह का उदार बजट
24 जुलाई 1991 को, मनमोहन सिंह ने अपने बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के उपायों की घोषणा की. यह बजट भारत को हमेशा के लिए बदलने वाले बजट के रूप में याद किया जाएगा. अगले दो महीनों में, सेंसेक्स 29% (1,488 से 1,916 अंक तक) चढ़ गया, इस साल का अंत 2,000-अंक से थोड़े कम पर हुआ. 1992 में बड़े बैंड रिफॉर्म के बाद उसने 2000, 3000 और 4000 अंक को पार किया.
अगस्त 1992: हर्षद मेहता स्कैम
आर्थिक उदारीकरण के बाद के युग में सबसे बड़े स्कैम में से एक सामने आया जिसने भारत के फाइनेंशियल सिस्टम को हिलाकर रख दिया और जिसे हर्षद मेहता स्कैम या सिक्योरिटीज स्कैम के रूप में जाना जाता है.
इसमें लगभग 4,000 करोड़ रुपये का फ्रॉड शामिल था, जिसकी वजह से भारतीय शेयर मार्केट को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा.
इस घोटाले का पहली बार खुलासा अप्रैल 1992 के अंत में हुआ, और अप्रैल की शुरुआत में सेंसेक्स 4,546 अंक से अगस्त के पहले सप्ताह तक 2595 अंक पर सिमट गया. यानी 43% की गिरावट.
BSE सेंसेक्स ने आठ साल बाद फिर से अपना सफर शुरू किया और साल 1999 में पहली बार 5000 का आंकड़ा पार किया. अक्टूबर 1999 में भारतीय बाजारों ने 5,000 अंक का आंकड़ा पार कर लिया क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 13 वां लोकसभा चुनाव जीता और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक स्थिर सरकार बनाई.
टेक्नोलॉजी बूम ने यह सुनिश्चित किया कि साल की शुरुआत से 1999 के अंत तक सेंसेक्स में 63% की वृद्धि हुई. 2000 में सेंसेक्स ने 6000 का आंकड़ा छुआ था. जून में 7000 का आंकड़ा और 2005 में 8 सितंबर को स्टॉक मार्केट 8000 का आंकड़ा पार कर गया.
2008: ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (वैश्विक वित्तीय संकट)
ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के चलते प्रमुख विकसित देशों में मंदी के कारण 2008-2009 के दौरान सेंसेक्स में 50% से अधिक की गिरावट आई.
2008 की शुरुआत में देखे गए लगभग 21,000 के लेवल से, इंडेक्स मार्च 2009 तक 8,000 के करीब क्रैश हो गया. मार्केट में ये गिरावट विदेशी निवेशकों की वजह से थी, जिन्होंने वित्तीय संकट (मंदी) के कारण अपना पैसा भारतीय मार्केट से निकाल लिया.
1992 के बाद 24 अक्टूबर 2008 को इंडेक्स में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई.
2009: UPA ने जीता दूसरा टर्म
लोकसभा चुनावों में UPA की निर्णायक चुनावी जीत के चलते सेंसेक्स ने 18 मई, 2009 को अपना सबसे बड़ा इंट्राडे गेन देखा. भारतीय मार्केट के इतिहास में पहली बार, मार्केट में अपर सर्किट लगने की वजह से ट्रेडिंग को रोक दिया गया था.
सेंसेक्स 2099.21 अंक यानी 17.24 फीसदी की तेजी के साथ 14272.62 पर बंद हुआ था. इसी तरह निफ्टी 636.40 अंक यानी 17.33 फीसदी की तेजी के साथ 4308.05 पर बंद हुआ था.
चुनाव परिणामों ने निवेशकों के बीच एक आशा जगाई की ये सरकार स्थिर है जिसमें क्षेत्रीय दलों का हस्तक्षेप कम है जिसके चलते मौजूदा सरकार धीमी अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने में मददगार साबित होगी.
मई 2014: NDA ने जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी PM बने
मई 2014 में, सेंसेक्स ने पहली बार रिकॉर्ड 25,000 के स्तर को पार किया, मार्केट की रिकॉर्ड की वजह थी 16 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत. पीएम मोदी की व्यापार-समर्थक इमेज से मई 2014 में मार्केट में 8% से अधिक की तेजी आई.
NDA शासन में अगला इवेंट था गुड्स और सर्विस टैक्स (GST) का लॉन्च. यह भारत का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म था, जिसे 1 जुलाई, 2017 को शुरू किया गया था. इसके लागू होने के बाद साल के अंत तक सेंसेक्स में 10% से ज्यादा की तेजी आई.
मई 2019: NDA ने जीता दूसरा टर्म
2019 में लोकसभा चुनाव में NDA की जीत के बाद मई 2019 में, पहली बार सेंसेक्स ने रिकॉर्ड 40,000 का आंकड़ा पार किया.
निवेशकों को उम्मीद थी कि NDA सरकार द्वारा दूसरा टर्म जीतने के साथ, राजनीतिक स्थिरता होगी और बहुमत वाली सरकार आसानी से निर्णय लें सकेगी जिससे और सुधारों को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा ने सुनिश्चित किया कि मार्केट ऊपर की ओर बने रहें. और इसने जनवरी 2020 में नए ऑल टाइम हाई पर पहुंचकर ये साबित भी किया.
मार्च 2020: कोविड-लॉकडाउन
23 मार्च, 2020 को, सेंसेक्स 3,936 अंक गिरकर 25,981 पर सिमट गया, जो कि कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण था जो फाइनेंशियल मार्केट को कड़ी टक्कर दे रहा था.
बैंकों और फाइनेंशियल इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट के साथ सभी सेक्टोरल इंडेक्स गिरावट के साथ बंद हुए. मार्केट में गिरावट आई क्योंकि निवेशक कोरोना वायरस से डरे हुए थे और इस अनिश्चितता के माहौल के चलते इक्विटी मार्केट से पैसा निकाल रहे थे.
जनवरी 2020 के मध्य से मार्च 2020 तक सेंसेक्स अपने टॉप से लगभग 40% गिर गया. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के एक दिन पहले 23 मार्च, 2020 को इंडेक्स में 13.15% की सबसे तेज गिरावट देखी गई. अप्रैल 2020 से सेंसेक्स में थोड़ी रिकवरी देखने को मिली.
जनवरी 2021: वैक्सीन की शुरुआत
21 जनवरी 2021 को, BSE सेंसेक्स ने इतिहास में पहली बार 50,000 का आंकड़ा पार किया. सेंसेक्स मार्च में अपने निचले स्तर से लगभग दोगुना हो गया है और तीन दशकों में लगभग 50 गुना बढ़ गया. बेंचमार्क 1 जनवरी 1991 को 999 पर था.
फरवरी 2021: केंद्रीय बजट का मार्केट पर इम्पैक्ट
वित्त मंत्री निर्मला द्वारा किसी भी मेजर टैक्स हाईक की घोषणा से इंकार करने के बाद 1997 के बाद से भारतीय इक्विटी ने बजट डे पर सबसे अधिक बढ़त दर्ज की.
BSE बेंचमार्क सेंसेक्स 1,700 अंक से अधिक उछला और NSE निफ्टी ने 1 फरवरी, 2021 को बजट स्पीच के बाद फाइनेंशियल शेयरों में गेन के चलते 14,000 के लेवल को फिर से छुआ.
8 फरवरी, 2021 को, BSE सेंसेक्स ने पहली बार 51,000 का आंकड़ा पार किया और मार्केट ने अपना उछाल जारी रखा. 15 फरवरी 2021 को सेंसेक्स पहली बार 52,000 के स्तर को पार कर गया.
23 जून 2021 को सेंसेक्स ने पहली बार 53,000 का आंकड़ा पार किया और 4 अगस्त 2021 को पहली बार BSE सेंसेक्स ने 54,000 का आंकड़ा छुआ.
बेंचमार्क सूचकांकों ने 13 अगस्त, 2021 को BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी ने क्रमशः 55,000 अंक और 16,500 अंक के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ.
चार सेशन में सेंसेक्स ने 1,000 अंक की छलांग लगाई. 30-पैक इंडेक्स ने 13 अगस्त को 55,000 और 18 अगस्त को इंट्राडे में 56,000 की बढ़त हासिल की, जिसके बीच में वीकेंड था.
यह 2021 की सबसे तेज 1,000 अंकों की रैली है. 10 सेशन में सेंसेक्स 50,000 से बढ़कर 51,000 पर पहुंच गया और 52,000 तक पहुंचने में छह सेशन का समय लगा.
अगले 1,000 अंक 85 सेशन की कड़ी मेहनत के बाद आए. 53,000 से 54,000 के सफर में 30 सेशन लगे लेकिन 54,000 से 55,000 होने में महज सात सेशन लगे.