डिजिटल गोल्ड ट्रेड को रेग्युलेट करने की सेबी की योजना, जानिए क्या है वजह?

फिनटेक ऐप बिना किसी रेगुलेटरी के बेच रहे डिजिटल सोना, सेबी इसे रेग्युलेट करने के लिए नया फ्रेमवर्क कर रहा तैयार.

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नया सिस्टम लाने से पहले बाजार सहभागियों को दो साल का समय दिया था जबकि सेबी ने चार महीने से भी कम का समय दिया है

नया सिस्टम लाने से पहले बाजार सहभागियों को दो साल का समय दिया था जबकि सेबी ने चार महीने से भी कम का समय दिया है

सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) अब विभिन्न फिनटेक फर्मों और ब्रोकरेज की ओर से बेचे जाने वाले डिजिटल गोल्ड के ऑनलाइन ट्रेड को रेग्युलेट (Regulate) करने की योजना बना रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स ने इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों के हवाले से इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है. सेबी एक ऐसे एसेट क्लास में रेगुलेटरी वैक्यूम को भरने की कोशिश कर रहा है जो नए जमाने के निवेशकों के साथ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. सेबी एक नया फ्रेमवर्क तैयार करना चाहता है जिसके माध्यम से रजिस्टर्ड ब्रोकर्स और बाजार मध्यस्थों (market intermediaries) को प्रस्तावित स्पॉट एक्सचेंज पर डिजिटल गोल्ड बेचने की अनुमति होगी.

मई में, सेबी ने डिजिटल गोल्ड में ट्रेडिंग के लिए प्रस्तावित एक्सचेंज पर एक परामर्श पत्र (consultation paper) जारी किया था. अंतिम नियम जल्द ही प्रकाशित किए जाने की उम्मीद है.

सोने की गुणवत्ता समस्या नहीं

एक सीनियर मार्केट पार्टिसिपेंट के हवाले से ईटी ने कहा, ‘सोने की गुणवत्ता समस्या नहीं है, लेकिन इस डिजिटल सोने को बेचने वाली संस्थाओं पर किसी भी नियामक निरीक्षण (regulatory oversight) की कमी निश्चित रूप से परेशानी का कारण बन सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘ये डिजिटल प्लेटफॉर्म कह रहे हैं कि वे महज एग्रीगेटर हैं; इसलिए अगर कुछ गलत होता है, तो जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल होंगे.’

संसदीय कानून की आवश्यकता
सेबी को अपने नियामक दायरे का विस्तार करने के लिए संसदीय कानून की आवश्यकता हो सकती है. सेबी की सेकेंडरी-मार्केट एडवाइजरी कमेटी के एक सदस्य ने कहा, ‘अगर सेबी को पूरे डिजिटल गोल्ड सेक्टर को रेगुलेट करना है और सभी एंटिटीज को कवर करना है, तो संसद के एक एक्ट के जरिए रेगुलेटर को शक्तियां देनी होंगी.’

डिजिटल सोने की बिक्री बंद करने के लिए सर्कुलर

अगस्त में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों ने स्टॉक ब्रोकर्स और वेल्थ मैनेजर्स सहित सभी सेबी-पंजीकृत संस्थाओं को 10 सितंबर तक अपने प्लेटफॉर्म पर डिजिटल सोने की बिक्री को बंद करने के लिए कहा था. यह सर्कुलर तब जारी किया गया था जब सेबी ने अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल सोना बेचने वाली ब्रोकरेज पर चिंता जताई थी. एडवाइजरी पैनल के सदस्य ने कहा, ‘अभी, डिजिटल गोल्ड उत्पादों की कोई सेटलमेंट गारंटी या मानक नियम नहीं हैं.’

ये फिनटेक ऐप देते हैं डिजिटल गोल्ड में निवेश का विकल्प

नए जमाने के निवेशकों के बीच डिजिटल सोना काफी पॉपुलर हुआ है. सभी प्रमुख फिनटेक ऐप और भारत के कुछ सबसे बड़े ब्रोकरेज भी इन उत्पादों को अपने प्लेटफॉर्म पर इक्विटी के साथ पेश करते हैं. इनमें ग्रो, अपस्टॉक्स और पेटीएम मनी जैसे नए जमाने के फिनटेक इंटरमीडियरीज शामिल है. इसके अलावा एचडीएफसी सिक्योरिटीज और मोतीलाल ओसवाल जैसे पारंपरिक ब्रोकर भी है जो ग्राहकों को डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का विकल्प देते हैं. इन प्लेटफार्मों ने ऑगमोंट गोल्ड, एमएमटीसी-पीएएमपी इंडिया और डिजिटल गोल्ड इंडिया जैसी गोल्ड फर्मों के साथ करार किया है.

एक रुपये का भी सोना खरीद सकते हैं

इस बिजनेस मॉडल में ग्राहक एक रुपये का भी सोना खरीद सकते हैं. इसके बाद गोल्ड कंपनियां खरीद के वर्चुअल सर्टिफिकेट के बदले अपने लॉकर में इतनी ही मात्रा में मेटल स्टोर करती हैं. अनुमान हैं कि डिजिटल सोने का बाजार सालाना 5,000 करोड़ रुपये का है. लगभग 5-6 मिलियन लोगों का इसमें निवेश है. मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि नियामक के रूप में सेबी की भागीदारी से इस एसेट क्लास में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा.

Published - September 3, 2021, 09:01 IST