SEBI Chief Cautions on IPO market: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष अजय त्यागी ने कहा है कि प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) बाजार मूल्य की डिस्कवरी (market price discovery) सेकन्डरी मार्केट की प्राइस डिस्कवरी की तरह पारदर्शी और कुशल नहीं हैं. खुदरा निवेशकों को सेकन्डरी मार्केट पर अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि पहले से सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासे (disclosures) बहुत अधिक हैं.
गुरुवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित वित्तीय बाजार शिखर सम्मेलन के 12वें संस्करण के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए त्यागी ने कहा कि, प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) को लेकर निवेशकों में उन्माद हैं, जो सेकन्डरी स्टोक मार्केट्स में सुधार और 2020 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार के साथ शुरू हुआ. यह उन्माद इस वर्ष भी जारी रहा हैं और जुटाए गए धन और संख्या के मामले में बेहतर साबित हुआ है.
ACE इक्विटी के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में अब तक 41 कंपनियों ने 64,244 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिनमें से 16 ऐसी कंपनियों के शेयर इश्यू प्राइस से ऊपर कारोबार कर रहे हैं.
सेबी के अध्यक्ष ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में IPO के माध्यम से अब तक जुटाई गई धनराशि वित्त वर्ष 2020-21 में जुटाई गई राशि के लगभग बराबर है, जो 46,000 करोड़ रुपये थी. पिछले 18 महीनों के दौरान टेक्नोलॉजी कंपनियों ने IPO के जरिए 15,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
2021 के शेष महीनों में अतिरिक्त 25-30 कंपनियों के IPOs आने की उम्मीद है. फूड डिलीवरी, डिजिटल सर्विसेज, पेमेंट बैंक, एनालिटिक्स, ट्रेडिंग और सर्विस प्लेटफॉर्म से लेकर आला सेगमेंट और केमिकल निर्माताओं तक कंपनियां इस रैली को मिस नहीं करना चाहती हैं औऱ अपने प्रमुख निवेशकों को हिस्सेदारी बेचने का विकल्प देने के अलावा, विस्तार और कार्यशील पूंजी के लिए धन जुटाने का मौका गंवाना नहीं चाहती हैं. त्यागी ने कहा कि बाजार नियामक के पास फाइलिंग में करीब 30,000 करोड़ रुपये के IPO आवेदन है.
2021 में अधिकांश IPOs ओवरसब्सक्रिप्शन और ओपनिंग डे लिस्टिंग गेइन के मामले में सफल रहे हैं. JST इन्वेस्टमेंट्स द्वारा संकलित डेटा के मुताबिक, 2021 तक के पांच वर्षों में, IPOs के माध्यम से जुटाई गई अधिकांश धनराशि ऑफर फॉर सेल (OFS) पेशकश में थी, यानि कंपनियां विस्तार के लिए इतना पैसा नहीं जुटा रही थीं जितना कि शुरुआती शेयरधारकों को हिस्सेदारी बेचने के लिए.